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बिजनेस ग्रुप्स ने कहा- बजट किसानों के लिए फायदेमंद पर उम्मीदों से कम
लखनऊ: फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने 2016-17 के यूनियन बजट में गरीबों और किसानों को ध्यान में रखकर काफी योजनाएं दी हैं। ये कहना है CII, IIA और ग्लोबल टैक्स पेयर्स ट्रस्ट के चेरपर्सन्स और एडवाइजर्स का। उनका कहना है कि देश के फार्मर्स को बजट में ज़्यादा ध्यान दिया गया है। महिलाओं के बारे में कुछ भी नहीं है। इन सब ने बजट को एवरेज बताया है।
क्या कहती हैं सीआईआई की 'को-चेयर पर्सन' स्मिता अग्रवाल?
-पिछले साल काफी किसानों ने आत्महत्या की थीं।
-मेनली फार्मर्स को ध्यान में रख कर बजट में काफी फैसिलिटीज दी गई हैं।
-महिलाओं के लिए कोई भी योजनाएं नहीं हैं, हालांकि LPG पे सब्सिडी बढ़ा रही है सरकार।
रीटेक रबर लिमिटेड के MD किरण चोपड़ा ने क्या कहा?
-इंडिया की 70% आबादी गांव में रहती है। 20% ही कंट्रीब्यूशन है मार्केट ग्रोथ में। ये एक गंभीर स्थिति है।
-गवर्नमेंट इसी बात को ध्यान में रख कर प्राइवेट सेक्टर को इन्क्लूड करने जा रही है जिससे रूरल एरियाज से भी ग्रोथ में बढ़ोतरी हो।
-UP से बड़ा एग्रीकल्चर सेक्टर देश में किसी स्टेट में नहीं। पूर्वांचल को ज़्यादा फायदा पहुंचेगा।
-मिडिल क्लास के लिए भी कुछ हद तक ये बजट बेनिफिशिअल है।
-स्किल डेवलमेंट और आम आदमी को छत देने के लिए खासा ध्यान।
-इलेक्शन आने वाले हैं इसलिए बजट में गवर्नमेंट कंसर्न भी दिख रहा है।
-एक नेगेटिव पॉइंट ये भी है कि गवर्नमेंट 1st जून से एग्रिकल्चर सेस बढ़ाने जा रही है बल्कि ये पहले से ही लागू हैं।
-बजट उम्मीद के हिसाब से नहीं है।
क्या कहना हैं आईडिया सेलुलर के कॉर्पोरेट एडवाईज़र एम ए खान का?
-महिलाओं के लिए कुछ नहीं है।
-युवाओं को ध्यान में ज़रूर रखा गया है।
-उनके लिए स्किल डेवलपमेंट पर ख़ास ध्यान दिया गया है।
क्या कहा ग्लोबल टैक्सपेयर्स ट्रस्ट के चेयर पर्सन मनीष खेमका ने?
-आम आदमी के लिए बजट सही नहीं है।
-ये बजट लोगों के लिए लॉलीपॉप है।
-इस बजट में नरेगा में सब्सिडी डबल करनी चाहिए थी।
-मिडल क्लास के लिए कुछ चीज़ें की गई हैं, लेकिन उससे काम नहीं चलने वाला।
क्या कहते हैं IIA के चेयर पर्सन डीएस वर्मा?
-इस बजट में MSME के लिए कुछ नहीं है।
-एग्रीकल्चर की मार्केटिंग के लिए 100% FDI प्रपोस्ड की गई है।
-छोटे किसानों को मार्केटिंग में एक्सिस्टेंस से फायदा।
क्या कहना है किसान मंच के UP अध्यक्ष शेखर दीक्षित का?
-इस बजट में आकड़ों की बाजीगरी के अलावा कुछ नहीं है।
-महंगाई में बेतहाशा वृद्धि होगी। खाने-पीने की वस्तुएं, होटल यात्रा, मोबाइल, इंटरनेट सेवाओं पर अधिक खर्च करना पड़ेगा।
-बजट कार्पोरेट हाउसों को ध्यान में रख कर बनाया गया है।
-केवल महंगाई का खेल दिखाकर महंगाई कम होने का दावा किया जा रहा है। वास्तविकता के धरातल पे यह कहीं नहीं दिखाई देता।
-बजट में सबसे बड़ा मजाक ये है कि भाजपा सरकार का कार्यकाल 2019 तक है, जबकि वादे 2022 तक किए जा रहे हैं।
-पिछले तीन वर्षों में किसानों की फसलें दैवीय आपदा के कारण तबाह हो रही हैं, उन्हें राहत देने का कोई प्रावधान बजट में नहीं है।
-देश के करोड़ों किसानों को नए बजट से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी।
क्या कहती है आम जनता?
-बजाज हिंदुस्तान में प्राइवेट कंसर्न कहते है कि UP के साथ अन्याय किया गया है।
-बजट में हायर सोसाइटी को ध्यान में रखा गया है।
-फार्मर्स के लिए कुछ प्रावधान दिए गए हैं, लेकिन उतना वेटेज नहीं दिया गया जितनी उम्मीद थी।
-बजट नार्मल है कुछ ख़ास नहीं।
क्या कहते हैं तम्बाकू में एक्साइज ड्यूटी बढ़ने पर पान वाले?
-सिगरेट के पैकेट में रु 10/- तक की बढ़त आ गई है।
-हर सिगरेट पर 1 से 2 रुपए तक की बढ़ोतरी हुई है।
-हालांकि बीड़ी के दामों में कोई इज़ाफा नहीं हुआ है।
-इससे कस्टमर से बहस भी होती है।