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शाहजहांपुर में फर्जी एजुकेशन बोर्ड का पर्दाफाश, देश के कई राज्यों में फैला है इसका जाल
शाहजहांपुर: जिले में एक फर्जी एजुकेशन बोर्ड का पर्दाफाश हुआ है। यह बोर्ड यूपी बोर्ड के समानांतर एक बोर्ड बनाकर काम कर रहा था। यह फर्जी बोर्ड अब तक यूपी सहित देश के अन्य कई राज्यों में हजारों मार्कशीट बांट चुका है।
यह फर्जी एजुकेशन बोर्ड खंडहरनुमा घर में चल रहा था। फिलहाल पुलिस की क्राईम ब्रांच इस बोर्ड को चलाने वाले चेयरमैन सहित पांच लोगों की तलाश में जुटी है।
देश के कई राज्यों तक फैला है जाल
बाहर से खंडहरनुमा दिख रहा मकान वास्तव में एक एजुकेशन बोर्ड का हेड ऑफिस है। यहां बोर्ड ऑफ सेकेण्डरी एजुकेशन, कांट उत्तर प्रदेश के नाम से बोर्ड संचालित किया जा रहा है। इस फर्जी बोर्ड का यूपी में ही नहीं बल्कि कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, नागालैंड, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा तक जाल फैला हुआ है। इस बोर्ड के जरिए अब तक हजारों लोगों को मार्कशीट बांटा जा चुका है।
हाईकोर्ट ने लगाया 25 लाख का जुर्माना
इस फर्जी बोर्ड का खुलासा उस वक्त हुआ जब कई राज्यों से अंकतालिकाओं को यहां सत्यापन होने भेज गया। एक शिकायत के बाद हाईकोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए बोर्ड पर 25 लाख रुपए का जुर्माना और कथित अध्यक्षक गजेन्द्र नाथ, उपाध्यक्ष शुशीला देवी, सचिव रूबल कुमार, उपसचिव डॉ. मोहम्मद आरिफ और कोषाध्यक्ष दशेन्द्र सिंह बघेल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे। इसी आधार पर जिला विद्यालय निरीक्षक ने सभी के खिलाफ कांट थाने में फर्जीवाड़े की एफआईआर दर्ज करवायी है।
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कांट कस्बे से हो रहा संचालित
जिला विद्यालय निरीक्षक, रणवीर सिंह का कहना है एक फर्जी बोर्ड का संचालन कांट कस्बे से हो रहा है। फर्जी बोर्ड से प्राप्त मार्कशीट का जब सत्यापन होने भेज गया तब राज खुला। और जो सच सामने आया उसने कईयों को चौका दिया। बाद में पता चला कि ये बोर्ड फर्जी है।
हाईकोर्ट ने दिया एफआईआर दर्ज करने के आदेश
इस मामले में मार्कशीट पाने वाले छात्र हाईकोर्ट पहुंचे। हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया। शिक्षा के नाम पर इस फर्जीवाड़े को देखते हुए कोर्ट ने बोर्ड के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए। जिसके बाद जिला विद्यालय निरीक्षक ने कांट थाने में बोर्ड संचालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।
जारी ...
चेयरमेन ने कहा- यूपी में नहीं देते मार्कशीट
हालांकि विभाग की इस कार्रवाई को बोर्ड के कथित चेयरमैन ने अवैध बताया है। आरोपी संचालक गजेंद्र नाथ का कहना है कि बोर्ड आॅफ सेकेंडरी एजुकेशन, कांट को कई राज्यों के बोर्ड ने अनापत्ति दी है जिसके आधार पर वो यहां से बोर्ड संचालित कर रहे थे। यूपी में किसी भी तरह से वह मार्कशीट नहीं दे रहे थे। यूपी में वह कोई काम नहीं कर रहे थे। उन्होंने बताया यूपी में उनके बोर्ड को मान्यता प्राप्त नहीं है। यूपी में कराई गई एफआईआर का कोई औचित्य नहीं बनता। हाईकोर्ट ने उनकी नहीं सुनी, इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
क्या कहना है एसपी सिटी का?
वहीं एसपी सिटी कमल किशोर का कहना है कि 'फर्जी एजुकेशन बोर्ड के मामले में जांच के बाद जिला विद्यालय निरीक्षक की तहरीर पर बोर्ड के कथित चेयरमैन सहित पांच लोगों के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी का मुकदमा कांट थाने में दर्ज कर लिया गया है। पूरे मामले ही जांच क्राईम ब्रांच को सौंपी गई है।'