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Jhansi News: परिवार को बचाने की जद्दोजहद में भर आई आंखें
Jhansi News: सास-ससुर के बेटे और बहू को वैवाहिक जीवन बचाने के लिए निर्णय लिया कि वे अपनी मर्जी के अनुसार अलग रहेंगे तथा उनकी बेटी भी अपने भाई भाभी के साथ रहेगी। इस पर बेटा भावुक होकर रोने लगा।
Jhansi News: परामर्श केंद्र में उस समय माहौल भावुक हो गया जब पत्नी को मनाने के दौरान एक पति की आंखों में आंसू भर आए। प्रकरण के अनुसार पत्नी ने सास ससुर पर आरोप लगाया था कि वे उसे परेशान करते हैं। इसलिए वह अपने पति के साथ नहीं रहेगी। सास-ससुर के बेटे और बहू को वैवाहिक जीवन बचाने के लिए निर्णय लिया कि वे अपनी मर्जी के अनुसार अलग रहेंगे तथा उनकी बेटी भी अपने भाई भाभी के साथ रहेगी। इस पर बेटा भावुक होकर रोने लगा। परामर्शदाताओं ने समझाइश दी व पत्नी को इस बात के लिए तैयार किया कि वह अपने सास ससुर की इच्छा का सम्मान करते हुए अपने पति के साथ रहे। इस तरह का समझौता हुआ।
वहीं, एक अन्य प्रकरण में पत्नी ने पति पर शराब पीकर परेशान करने का आरोप लगाते हुए अलग रहने की मंशा जताई। परामर्श केंद्र में समझाइश के बाद दोनों में समझौता कराया। उधर, एक अन्य प्रकरण में समझौते की संभावना नहीं होते देख न्यायालय की शरण लेने की सलाह दी।
पंद्रह मामलों में चार का किया निस्तारण
महिला थाना परिसर में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश एस के निर्देशन में परिवार परामर्श केंद्र का आयोजन किया गया। इस केंद्र में 15 मामलों में से चार का निस्तारण किया गया।
इस अवसर पर महिला थाना प्रभारी नीलेश कुमारी, महिला उपनिरीक्षक ममता, सुश्री नीति शास्त्री, कंचन आहूजा, ऊषा देवी, नीलम खन्ना, स्वप्निल, संध्या सिंह, डॉ आलिया एजाज, अमृता देवी, नीलम गुप्ता, महिला आरक्षी किरन , पूजा आदि लोग उपस्थित रहे।
महिलाओं को अपनी स्वयं की लड़ाई के लिए आना होगा आगे
आज के समय में महिलाएं किसी से भी कम नहीं है। जरुरत है कि महिलाएं जागरुक हो और अपने अधिकार को पहचाने। महिलाएं आत्मनिर्भर होगी, तभी घर व समाज के साथ-साथ देश का भी विकास होगा।
सरकार नारी सशक्तिकरण का ढोल पीटती है, लेकिन आए दिन महिलाओं पर जुर्म की दास्तान सुनने को मिलती रहता है। यह बात उस समय उभरकर सामने आई, जब महिला थाना में महिला शक्तिकरण पर काउंसलिंग कर रही महिलाओं ने बैठक के दौरान कही है।
सुश्री नीति शास्त्री, समाजसेवी
अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी, आंचल में है दूध और आंखों में पानी.. ऐसी अबला महिला कोई है ही नहीं है। हर अबला अपनी सुरक्षा खुद कर सकती है। लेकिन प्रशासन महिलाओं की बात पहले सुने। पब्लिक पेलेस पर कड़ी सुरक्षा होनी चाहिए। ताकि महिलाएं अपने आपको सुरक्षित महसूस कर सके।
डॉ आलिया एजाज, समाजसेवी
छोटे व नाबालिग बच्चियों के बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है। पुलिस समय पर काम नहीं करती है। इसके कारण इस तरह के मामले में लचिलापन आ जाता है। पुलिस अफसरों को चाहिए कि वे इस तरह के मामले में त्वरित कार्रवाई करवावें। महिलाओं के साथ की गलत काम हो रहे। लेकिन इसके लिए महिलाओं को भी आगे आना होगा। एफआईदर्ज कराने से काम नहीं चलता है। उसे बारे में बार-बार जानकारी लेनी होगी।
नीलेश कुमारी, महिला थाना प्रभारी
स्वंय जगे और दूसरों को जगाएं। हमारे पर कोई अत्याचार हो रहा है तो उसे सहन न करके उसे उजागर करें। ताकि अन्य लोग भी आग आ सके। कुछ समाज की महिलाएं आगे आने लगी है।
लेकिन पिछड़ी जाति की महिलाएं अब भी पीछे हैं। उन्हें आगे लाने की जरुरत है। सरकार ने महिला सुरक्षा को लेकर कई कानून बनाए है उसकी जानकारी इन्हें नहीं है। आजकल बैंकों के नाम से कई तरह के फ्रॉड हो रहे है। इसे रोकने के लिए महिलाओं का जागृत होने की आवश्यकता है। कानून की जानकारी होना भी आवश्यक है।
नीलम खन्ना, समाजसेवी
महिलाओं के साथ जो भी अत्याचार हो रहा है उसे छिपाना नहीं चाहिए। उसे उजागर करे। सभी का सहयोग लेकर आरोपी के खिलाफ थाने में मामला दर्ज कराया जाना चाहिए। उसके बाद भी कार्रवाई नहीं होती है तो उसकी बार-बार जानकारी लेती रहना चाहिए। ताकि पुलिस जल्द कार्रवाई कर सके।