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लखनऊ में ऐसी अंतिम संस्कार की व्यवस्था, देर से जागा प्रशासन
लखनऊ के गुलाला घाट का हाल ऐसा हो गया है कि जहां कल तक खुले मैदान में बैठकर लोग समय बिताते थे, आज वो मैदान लाशों
लखनऊ। कोरोना वायरस के तेजी से फैलते संक्रमण से राजधानी लखनऊ की हालत बद से बदतर होती जा रही है। हर दिन मामलों में वृद्धि हो रही है। यहां के गुलाला घाट का हाल ऐसा हो गया है कि जहां कल तक खुले मैदान में बैठकर लोग समय बिताते थे, आज वो मैदान लाशों की राख से सराबोर हुआ पड़ा है। समय ने इस तरह पलटी मारी कि आज लाश जलाने के लिए जगह कम पड़ रही है। जहां जगह दिख रही, वहीं अंतिम संस्कार की रस्मों को अदा किया जा रहा है। कितना ज्यादा दुर्भाग्यपू्र्ण वक्त आ गया है कि जिंदा में मारामारी करनी ही पड़ रही और मरने के बाद भी यही हाल हो गया है।
ऐसे में संक्रमण से मौतों की बढ़ती तादात को देखते हुए नगर निगम ने अब शवों के लिए गुलाला घाट पर अंतिम संस्कार के लिए 170 नए प्लेटफॉर्म बनवाए हैं। इन प्लेटफॉर्म में से 50 स्थल कोरोना संक्रमित शवों के लिए और 120 सामान्य शवों के लिए हैं। जबकि इससे पहले बैकुंठधाम पर भी 50 प्लेटफार्म बढ़ाए जा चुके हैं। वहीं गुलाला घाट पर नगर निगम से 500 क्विंटल और ठेकेदार की तरफ से 1000 क्विंटल लकड़ी उपलब्ध कराई गई है।
शिफ्ट लगाकर हो रहा काम
ऐसे में बुधवार को राजधानी के नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने दोनों श्मशान स्थलों का निरीक्षण भी किया। इस बारे में उन्होंने बताया कि गुलाला घाट शवदाह गृह स्थल व बैकुंठ धाम पर अतिरिक्त प्लेटफार्म के साथ दो शिफ्ट में 50-50 कर्मचारियों की तैनाती भी शवों के अंतिम संस्कार के लिए की गई है। दोनों स्थलों पर दो शिफ्ट में 20-20 अतिरिक्त सफाई कर्मी भी लगाए हैं।
आगे बताते हुए लगातार सैनिटाइजेशन भी कराया जा रहा है। अंत्येष्टि स्थलों पर वाहनों को व्यवस्थित करने के लिए लाइन डालकर पार्किंग की व्यवस्था की गई है। कोविड/बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण बंद वाहनों में एसएमएस वाटरग्रेस संस्था के माध्यम से बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट पर कराया जा रहा है।
इसके साथ ही नगर निगम के मुख्य अभियंता विद्युत यांत्रिक राम नगीना त्रिपाठी ने बताया एक शव के अंतिम संस्कार पर दो पीपीई किट व करीब तीन क्विंटल लकड़ी इस्तेमाल होती है। इस समय शवों की तादाद के हिसाब से रोजाना करीब 300 क्विंटल लकड़ी और 200 से अधिक पीपीई किट लग रही है।