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घायल दारोगा के परिजनों ने सत्यनारायण की कथा सुनी, कही ये बड़ी बात

सुधाकर पांडेय ने कहा कि उज्जैन में उसकी गिरफ्तारी यूपी पुलिस के दबाव का परिणाम है। वह अपने एनकाउंटर के डर से मारे-मारे फिर रहा था। उसने स्वयं सरेंडर नहीं किया।

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Published on: 11 July 2020 5:46 PM IST
घायल दारोगा के परिजनों ने सत्यनारायण की कथा सुनी, कही ये बड़ी बात
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गोरखपुर। कानपुर मुठभेड़ में घायल हुए गोरखपुर के गोला क्षेत्र के बेलपार पाठक निवासी दारोगा सुधाकर पांडेय स्वस्थ होकर अपने गांव आ गए। शुक्रवार को सुबह कानपुर में हुई मुठभेड़ में विकास दुबे के मारे जाने के बाद वे और उनका परिवार काफी खुश है। सुधाकर पांडेय व उनके परिजनों ने सत्यनारायण की कथा सुनी। कहा कि पापी के अंत की खुशी मना रहा हूं।

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स्वयं सरेंडर नहीं किया

सुधाकर पांडेय ने कहा कि उज्जैन में उसकी गिरफ्तारी यूपी पुलिस के दबाव का परिणाम है। वह अपने एनकाउंटर के डर से मारे-मारे फिर रहा था। उसने स्वयं सरेंडर नहीं किया। इसी कारण शुक्रवार को सुबह वाहन दुर्घटना होते ही वह अपने पुराने रूप में आ गया और हमारे जवानों पर फायरिंग कर दिया। जवाबी कार्यवाही में वह गोली लगने से घायल हो गया। उसके अंत से दिल को सुकून पहुंचा है। उसने आठ पुलिस जवानों की नृशंस हत्या की थी। उनके बलिदान का बदला पूरा हुआ। अभी आधा दर्जन घायलों का इलाज चल रहा है।

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अपराधी किसी का भी नहीं हो सकता

पुलिस के इतिहास में ऐसी घटना कभी नहीं हुई थी कि बिना संवाद या कार्यवाही के ही निर्दोष लोगों को गोलियों से भून दिया जाय। कई बच्चों के सिर से पिता का साया हट गया। बहनें विधवा हो गईं। माताओं से पुत्र छिन गया। उसकी कार्यवाही आतंकवादियों व दस्यु सरगनाओं जैसी थी। उसे गीदड़ के मौत मरना ही था। उसके मौत से पुलिस महकमा ही नहीं पूरा देश खुश है। उन्होंने कहा कि उसके मौत से दिल को सुकून पहुंचा है।

सुधाकर पांडेय के पिता रामनयन पांडेय ने कहा कि अपराधी किसी का भी नहीं हो सकता है। उसको हर हाल में सजा मिलनी चाहिए। उसकी मौत की सूचना मिलने से राहत मिली है। घायल दरोगा के भाई अमरनाथ पांडेय ने कहा कि उसके और उसके गुर्गो को कड़ी सजा मिलने से समाज में अच्छा संदेश गया है कि अपराध की अंतिम परिणति बुरी होती है। समाज में ऐसा कार्य करने वालों को ऐसी ही सजा मिलनी चाहिए। उनके प्रवीण पांडेय ने कहा कि पिताजी के घायल होने की सूचना मिलते ही मेरी माताजी बेसुध हो गईं थीं। मैं खुद होशहवाश खो बैठा था। अगर उसे सजा नहीं मिलती तो आम आदमी का पुलिस से विश्वास उठ जाता।

रिपोर्टर- गौरव त्रिपाठी, गोरखपुर

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