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योगेश प्रवीनः राजनाथ सिंह ने कहा- लखनऊ उनके भीतर हमेशा धड़कता था

राजनाथ सिंह ने अपने शोक संदेश में कहा है कि इतिहासकार, योगेश प्रवीण के निधन के समाचार से मुझे गहरी वेदना हुई है

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Dharmendra Singh
Published on: 12 April 2021 5:21 PM GMT (Updated on: 12 April 2021 5:22 PM GMT)
राजनाथ सिंह
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राजनाथ सिंह (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)

लखनऊः लखनऊ के सांसद व देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अपने शोक संदेश में कहा है कि प्रख्यात लेखक एवं इतिहासकार, योगेश प्रवीण के निधन के समाचार से मुझे गहरी वेदना हुई है। उन्होंने कहा कि वे लखनऊ के इतिहास, कला और संस्कृति के न केवल बहुत अच्छे जानकार थे बल्कि लखनऊ उनके भीतर हमेशा धड़कता रहता था। योगेश प्रवीण जी को उनकी कृतियों के माध्यम से हमेशा याद किया जाएगा। इसी के साथ ट्वीटर व सोशल मीडिया पर शोक श्रद्धांजलियों का तांता लग गया है।




डाॅ. अमित कुमार सर्राफ ने कहा है प्रसिद्ध इतिहासकार पद्मश्री, डॉ. योगेश प्रवीण, जो लखनऊ को महानगर कहते हैं, हमारे साथ नहीं हैं।


आल इंडिया रेडियो न्यूज ने भी डॉ. योगेश प्रवीन के निधन पर ट्वीट किया है प्रसिद्ध इतिहासकार और अवध खासकर लखनऊ के जानकार योगेश प्रवीन का आज दोपहर निधन हो गया है।


प्रभाष महाराज ने ट्वीट किया है देश के जाने-माने इतिहासकार #पद्मश्री #यशभारती श्री #योगेशप्रवीण जी के आकस्मिक निधन से स्तब्ध हूं। योगेश जी ने उत्तर प्रदेश एवं मुख्य रूप से लखनऊ के इतिहास पर विशेष कार्य किया।


एक अन्य अदिति सिंह ने लिखा है प्रसिद्ध इतिहासकार और पद्मश्री योगेश प्रवीन कहते थे जो इस शहर को दिल ओ जान से मोहब्बत करता है लखनऊ उसका हो जाता है। उन्हें अवध का एनसाइक्लोपीडिया भी कहा जाता था। अब वह हमारे बीच नही रहे।


ईशान शर्मा ने लिखा है पद्म श्री डॉ. योगेश प्रवीण एक प्रसिद्ध इतिहासकार और विद्वान थे जिन्होंने अवध के इतिहास और संस्कृति पर अपने लेखन के साथ बहुत योगदान दिया। वह सही मायने में लखनऊ का एक विश्वकोश थे।


आशीष रमेश ने लिखा है लखनऊ हम पर फ़िदा है हम फ़िदा-ए-लखनऊ आसमां की क्या हकीकत जो छुड़ाए लखनऊ। ईश्वर आपको अपनी शरण में ले।
फरहान ने लिखा है बेहद दुखद ! जाने माने इतिहासकार पद्मश्री योगेश प्रवीन जी का निधन !


#लखनऊ है तो महज गुम्बद ओ मीनार नही सिर्फ एक शहर नहीं कूच ओ बाज़ार नहीं
इसके आंचल में मोहब्बत के फूल खिलते हैं इसकी गलियों में फरिश्तों के पते मिलते हैं


Dharmendra Singh

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