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अगर खींची गई तस्वीर विषय की आत्मा न दिखा पाए, तो बेअसर है: रघु राय
लखनऊ: किसी भी फ़ोटोग्राफ़र को खोजी होना चाहिए, सिर्फ़ ख़ूबसूरत तस्वीर खींचना ही मक़सद न हो, अगर आपकी खींची तस्वीर विषय की आत्मा को न दिखा पाए, तो वह पूरी तरह बेअसर है। फोटोग्राफी के चहेतों को विश्व प्रसिद्ध फोटोग्राफर पद्मश्री रघु राय ने कुछ ऐसी नसीहतें दी।
रघु राय ने फोटोग्राफी के गुण सिखाते हुए कहा कि अपनी आँखों को अपने दिल और भावनाओं से जोड़ कर फोटो क्लिक करो, ऐसा करने से खुदा भी तुम्हारी मदद करेगा। रघु राय नवाबों के शहर लखनऊ आए थें और उनका अंदाजे- गुफ्तगूं भी कुछ नवाबी ही रहा। बीच-बीच में वो फोटोग्राफी की बारीकियां समझाने के लिए शेर-ओ -शायरी का इस्तेमाल भी कर रहे थे।
दिमाग से नहीं दिल से करें फोटोग्राफी
मेरी मजबूरियां क्या हैं, कहां ये दिल समझता है, कि अपनी हर तमन्ना का हमें कातिल समझता है। जब भी आपके हाथ में आपका कैमरा हो तो अपने दिमाग से नहीं दिल से फोटोग्राफी करें और जैसे की दुनिया सभी इंसानों की शक्ल एक जैसी नहीं होती। वैसे ही हमारा काम भी सबसे हटकर होना चाहिए।
तस्वीर उस पल के दस्तावेज हैं
रघु राय के लिए फ़ोटोग्राफ़ी उनकी दुनिया है, वह मानते हैं कि तस्वीर उस पल का दस्तावेज़ है जिसे दोबारा नहीं लिखा जा सकता, जो आने वाली पीढ़ी के लिए बीते समय का इतिहास होगा।
आज के समय में फोटोग्राफी सिर्फ एक इंटरटेंमेंट का हिस्सा बनकर रह गई है जोकि बहुत ही अफ़सोस की बात है। हम सबको कॉपी करने लगते हैं। किसी से इंस्पायर होना गलत नहीं है, लेकिन अपनी वास्तविकता खो देना ये पूरी तरह से गलत है। हम जवान होने से पहले ही बूढ़े होते जा रहे हैं।
फोटोग्राफी सिर्फ नजर का खेल
रघु राय का मानना है कि कैमरा कितना महंगा या सस्ता है, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता, एक फ़ोटोग्राफ़र को अपने कैमरे की तकनीकी जानकारी होनी चाहिए, बाक़ी सब नज़र का खेल है। बदलाव ज़िंदगी का हिस्सा है और यह बदलाव हर कला को प्रभावित करता है, बदलाव नई संभावनाएं और अनुभव देता है।
देखिए, उनकी खींची गईं कुछ चुनिंदा तस्वीरें...