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Kushinagar: कुशीनगर में औने-पौने दाम पर बिक रहा है गन्ना, किसानों को नहीं मिल रहा उचित मूल्य
Kushinagar: पूर्वांचल में किसान अपने खून पसीने की कमाई गन्ना औने पौने दामों पर बिचौलियों और गन्ना क्रेसर पर बेच रहे हैं। छोटे और मध्यम वर्ग के किसानों की हालत और भी खराब है।
Kushinagar: पूर्वांचल की धरती का सोना कहे जाने वाला गन्ना फसल आज दुर्दशा के मुहाने पर खड़ा है। किसानों की आय दोगुनी करने की नारा जनपद में हवा हवाई साबित हो रहा है। किसान अपने खून पसीने की कमाई गन्ना औने पौने दामों पर बिचौलियों और गन्ना क्रेसर पर बेच रहे हैं। छोटे और मध्यम वर्ग के किसानों की हालत और भी खराब है। जनपद में 200 से लेकर 250 रुपये प्रति क्विंटल गन्ना बिक रहा है। ऐसे में किसान की लागत मूल्य भी नहीं निकल पा रही है किसान मजबूर होकर भगवान भरोसे बैठा है।
गन्ना सप्लाई टिकटों के लिए मचा है हाहाकार
जनपद की अधिकतर चीनी मिलों को चले एक माह से अधिक हो गया है। लेकिन समय से सप्लाई टिकट नहीं मिलने से किसान अपना गन्ना मिलों को नहीं दे पा रहे हैं। मजबूर होकर अगली फसल के लिए बिचौलियों और गन्ना क्रेसरो पर गन्ना कम कीमत पर घाटा सहकर बेच रहे हैं। सरकार ने गन्ना किसानों के लिए सप्लाई टिकटों मे भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए मोबाइल पर एसएमएस के जरिए पर्चियां उपलब्ध कराने का सिस्टम किया है और सॉफ्टवेयर से पूरे किसानों की सप्लाई टिकटों का वितरण किया गया है। लेकिन इस व्यवस्था से किसान परेशान होकर सप्लाई टिकट के लिए दर-दर भटक रहे हैं। जनपद में चीनी मिल निजी क्षेत्र की है। चीनी मिलें चालू हालत में हैं उनमे बिरला ग्रुप की ढाढा़, त्रिवेणी ग्रुप की रामकोला, आईपीएल ग्रुप की खड्डा तथा यूनाइटेड ग्रुप की सेवरही है । किसानों के गेट वाली पर्चियो की दशा और भी खराब है ।इन किसानों के पक्ष व कालम कछुए की गति से चल रहे हैं।
किसानों के नई फसल के लिए दिसंबर माह होता है खास
कुशीनगर की अधिकतर मिट्टी दोमट और उपजाऊ है किसान अपनी पेढ़ी गन्ना नवंबर से दिसंबर तक गिरा कर के नई रवि की फसल बोते हैं ऐसे में समय से किसानों के गन्ना सप्लाई टिकट (पर्ची) के दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण होता है। समय से गन्ना सप्लाई टिकट नहीं मिलने से किसानों की अगली फसल प्रभावित होती है
पिछले 2 वर्षों से किसान गन्ना किसान उठा रहे हैं आर्थिक क्षति
पिछले दो वर्षो से गन्ना सूखने की बीमारी गन्ना किसानों की कमर तोड़ दिया है। वर्तमान में गन्ने की दो अधिक पैदावार की प्रजातियां 238 और 239 में कैंसर रोग लगने के कारण गन्ने का भविष्य अधर में लटकता दिख रहा है। जिसको लेकर क्षेत्र के किसानों का दर्द रहा है। जनपद की माटी गन्ने के लिए प्रसिद्ध है। यहां की मिट्टी गन्ने की फसल के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। इस क्षेत्र के किसानों की मुख्य फसल गन्ना ही मानी जातीहै। ज्यादातर भू -भाग पर गन्ने की खेती होती है। सरकार की किसानों की आय दोगुनी करने की योजना गन्ना किसानों पर असफल साबित हो रही है।
पिछले लागातार दो वर्षो मे वर्षा अधिक होने के कारण पैदावार काफी कम हो गई है और किसानों की हजारों हेक्टेयर गन्ने की फसल सूख गई हैं। जो गन्ना किसानों की उम्मीद थी वह रोग ग्रस्त हो गई है। फसली बीमा योजना के तहत गन्ना नहीं आने की वजह से किसानों को किसी तरह का सरकारी लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। इसलिए गन्ने की फसल बर्बाद होने पर किसानों को कोई लाभ नहीं मिलता है। दर्जनों किसानों ने गन्ने की फसल की भविष्य को लेकर अपना अपना राय व्यक्त किया। किसानों का कहना है कि वर्तमान सत्र में गन्ने की अभी तक मूल्य निर्धारित नहीं हुआ है। सभी को मिठास उपलब्ध कराने वाले गन्ना किसानों का मनोबल धीरे-धीरे गिरने से चीनी उत्पादन भी प्रभावित हो जायेगा ।