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किसानों ने सरकार की बढ़ाई टेंशन, मॉनसून सत्र में संसद घेराव का एलान, विपक्षी संसदों को भी चेतावनी
किसान संगठनों ने एलान किया है कि वह संसद के मॉनसून सत्र में संसद का घेराव करेंगे, हर रोज 200 किसान संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
दिल्ली: 19 जुलाई से संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने जा रहा है, मॉनसून सत्र में मोदी सरकार को घेरने के लिए एक तरफ जहां विपक्ष तैयार बैठा है तो वहीं किसान आंदोलन की जो रफ्तार कोरोना की दूसरी लहर के कारण धीमी हुई थी वह फिर से तेज हो गई है। संसद सत्र में विपक्ष जहां कोरोना और वैक्सीनेशन को मुद्दा बनाने वाला है तो पेट्रोल-डीजल के दाम और महंगाई पर संग्राम होना तय माना जा है। मोदी सरकार की टेंशन किसान नेताओं ने और बढ़ा दी है, रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने एलान किया है कि वह मॉनसून सत्र के दौरान संसद का घेराव करेंगे। सत्र के दौरान हर रोज करीब 200 किसान कृषि कानून के खिलाफ संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
विपक्षी सांसदों को चेतावनी
किसान नेता तीनों कृषि कानून के खिलाफ सरकार के खिलाफ तो हल्लाबोल बोल ही रहे हैं, विपक्ष दलों के सांसदों को भी चेतावनी दी है कि अगर वह संसद के अंदर उनकी आवाज नहीं उठाए तो उनके खिलाफ भी प्रदर्शन होगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सत्र शुरू होने के दो दिन पहले सदन के अंदर कानूनों का विरोध करने के लिए सभी विपक्षी सांसदों को एक चेतावनी पत्र दिया जाएगा। इसमें उनसे कहा जाएगा कि संसद का बर्हिगमन कर केंद्र सरकार को फायदा न पहुंचाएं। रोजाना हमारी मांगें संसद में उठायें और जब तक सरकार इस मुद्दे का समाधान नहीं करती, तब तक सत्र को नहीं चलने दें। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि जब तक वे हमारी मांगें नहीं सुनेंगे, तो हम संसद के बाहर लगातार विरोध प्रदर्शन करेंगे।
महंगाई के खिलाफ 8 जुलाई को विरोध प्रदर्शन
संयुक्त किसान मोर्चा ने पेट्रोल, डीजल और एलपीजी सिलेंडर की बढ़ती कीमतों के खिलाफ आठ जुलाई को देशव्यापी विरोध का भी आह्वान किया है। मोर्चा ने लोगों से राज्य के और राष्ट्रीय राजमार्गों पर सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक बाहर आने और अपने वाहन को वहां लगाने को कहा है। किसान नेताओं ने अपील की है कि इस दौरान आपके पास जो भी वाहन हो - ट्रैक्टर, ट्रॉली, कार, स्कूटर, बस, उसे निकटतम राज्य या राष्ट्रीय राजमार्ग पर लाएं और वहां पार्क करें। लेकिन, ट्रैफिक जाम न लगाएं। उन्होंने विरोध में एलपीजी सिलेंडर लाने को भी कहा।
पश्चिमी यूपी में आंदोलन होगा तेज-टिकैत
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि तीनों काले कानूनों को लेकर सरकार की हठधर्मिता से देश में इमरजेंसी जैसी हालात पैदा हो गयी है। उन्होंने कहा कि किसान बिना बिल वापसी के घर वापसी नहीं जाएगा। सरकार कृषि बिल वापसी को लेकर अनावश्यक हठधर्मिता कर रही है। तीनों कानून वापस लेने होंगे, और एमएसपी पर कानून बनाना होगा। इसके साथ ही किसान नेता राकेश टिकैत ने आगे रणनीति का भी ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि हम जुलाई के महीने में 2 ट्रैक्टर रैलियों करने जा रहे है। पहली रैली 9 और दूसरी रैली 24 जुलाई को किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 9 जुलाई को शामली और बागपत के किसान शामिल होंगे। साथ ही सभी 10 जुलाई को सभी लोग सिंघु बॉर्डर पहुंचेगे। इसके बाद किसान 24जुलाई को एक और रैली का आयोजन किया जाएगा। इसमें मेरठ और बिजनौर के किसान शामिल होंगे। ये सभी किसान 25 जुलाई को गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचेंगे।
26 नवंबर को शुरू हुआ था किसान आंदोलन
बता दें पिछले सात महीनों से किसानों के 40 संगठन दिल्ली एनसीआर के सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर आंदोलन कर रहे हैं। प्रदर्शन को खत्म करने और कानून में बदलाव करने को लेकर सरकार और किसानों की जितनी भी वार्ताएं हुईं, सभी असफल रहीं। आपको बता दें कि बीते कुछ महीनों से सरकार और किसान के बीच कोई वार्ता भी नहीं हुई है। केंद्र व किसानों के बीच आखिरी दौर की बातचीत 22 जनवरी को हुई थी और उसके बाद से बातचीत का रास्ता बंद पड़ा हुआ है।
19 जुलाई से 13 अगस्त तक मॉनसून सत्र
संसद का मॉनसून सत्र 19 जुलाई से शुरू होगा। यह 13 अगस्त तक चलेगा। इस सेशन में 19 बैठकें होंगी। इस दौरान कोरोना के प्रोटोकॉल का पूरा ध्या न रखा जाएगा। दोनों सदनों की बैठक एक ही समय होगी। आधिकारिक आदेश में यह जानकारी दी गई है। इस बारे में लोकसभा और राज्यसभा दोनों की ओर से आदेश जारी हुए हैं। लोकसभा की ओर से जारी आदेश में कहा गया है, '17वीं लोकसभा का छठा सत्र 19 जुलाई (सोमवार) को आरंभ होगा। सत्र का समापन 13 अगस्त (शुक्रवार) को हो सकता है।