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किसानों ने बढ़ाई UP सरकार की मुश्किलें, रोका समाजवादी आवासीय योजना का काम
नोएडा: जहां एक ओर सीएम अखिलेश और मुलायम सिंह यादव एक बार फिर सत्ता में आने के लिए पुरजोर कोशिश में जुटे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर, किसानों ने भी एक बार फिर सपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
बीते दो हफ्तों से अपनी मांगों को लेकर नोएडा प्राधिकरण के बाहर बैठे किसानों ने सोमवार को अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट समाजवादी आवासीय योजना का काम बंद कराकर धरने पर बैठ गए हैं। खबर लिखे जाने तक ना तो नोएडा प्राधिकरण का कोई अधिकारी मौके पर पहुंचा था और ना ही पुलिस।
रोका आवासीय योजना का काम
सोमवार को नोएडा प्राधिकरण के गेट बाहर अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे किसानों के सब्र का बांध टूट गया। उन्होंने बीकेयू के साथ मिलकर 11 बजे के करीब सेक्टर-118 में चल रहे समाजवादी आवासीय योजना के काम को रोक दिया। करीब 200 किसान मौके पर पहुंचे और ठेकेदार, सुपरवाइजर और मजदूरों को काम करने से मना कर दिया। जिसके बाद साइट से सभी मजदूर अपने-अपने घर चले गए। किसानों ने वहीं पर बैठकर प्राधिकरण और प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।
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अदालत से बड़ी हो गई है सरकार
सेक्टर-118 में किसानों का नेतृत्व कर रहे राजेश उपाध्याय ने बताया कि कोर्ट के आदेश आने के बाद भी प्राधिकरण और सरकार किसानों का भुगतान करने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा, 'सरकार के साथ कई बार बात होने के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकल पाया है। समाजवादी आवासीय योजना का काम तब तक शुरू नहीं कराया जाएगा जब तक सरकार और प्राधिकरण हमारी मांगों को पूरा नहीं कर देती है।'
आपको बता दें कि पिछले 14 दिनों से नोएडा प्राधिकरण के गेट बाहर भारतीय किसान यूनियन की नोएडा की यूनिट धरना दे रही है।
आगे की स्लाइड में पढ़ें क्या है किसानों की मांग ...
रात को चलता है रागनियों का दौर
रात के समय नोएडा प्राधिकरण के बाहर धरना दे रहे भारतीय किसान यूनियन के सदस्य और किसान अपने मनोरंजन के लिए रागनियों की बैठक भी जमा रहे हैं। रागनियां, नोएडा अथॉरिटी और सरकार की नीतियों के खिलाफ चोट करने वाली हैं। किसानों का नेतृत्व कर रहे भानू का कहना है कि 'रागनियों में सच्चाई होती है। हम उसी सच को रात के समय में रागनियों के माध्यम से प्रस्तुत करने की कोशिश करते हैं। ताकि लोगों को इनकी सच्चाई का अंदाजा लग सके। हम किसानों को 14 दिन हो चुके हैं। लेकिन सरकार की ओर से कोई भी सुनवाई नहीं हुई है।'
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ये है किसानों की मांग:
-किसान कोटे की स्कीम के तहत आवंटन पत्र किसानों को दिए जाएं। रेट 2,011 में घोषित 1,200 रुपए प्रति वर्गमीटर हो।
-1976 से 1997 तक के किसानों को 297 रुपए प्रतिगज के हिसाब से मुआवजा वितरित किए जाएं।
-1976 से 1997 तक के किसानों को भी 10 प्रतिशत की दर से विकसित भूखंड दिए जाएं।
-1997 से 2002 तक के किसानों को 64.7 फीसदी की दर से मुआवजा दिया जाए।
-किसानों की आबादी जस की तस छोड़ी जाए।
-जिले के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और स्कूलों में 20 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए।
-अस्पतालों में लखनऊ के संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान की दरों पर इलाज कराया जाए।
-सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में 50 प्रतिशत नौकरी का आरक्षण दिया जाए।
-खेतिहर मजदूरों को 120 मीटर का आवासीय भूखंड आवंटित किए जाएं।
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