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योगी के 'गौ-प्रेम' पर भारी पड़ रहा छुट्टा जानवरों का आतंक, किसान परेशान
वहीं, कब इस सम्बंध में गौ सेवा आयोग के सदस्य भोले सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सरकार अन्ना जानवरो से निपटने हेतु लगातार प्रयास कर रही है। हम गौ आश्रय केंद्रों द्वारा ऐसे सभी गौ वंश का रखरखाव रख रहे हैं जो बाहर रहकर किसानों के लिए मुसीबत बनते हैं।
अनुज हनुमत
बुन्देलखण्ड: भारत मे भयंकर सूखा पड़ रहा था और देश के प्रधानमंत्री थे लाल बहादुर शास्त्री जिन्होंने नारा दिया जय-जवान, जय-किसान। इस नारे ने देश के किसानों और जवानों में जान फूंकने का काम किया। फिर भारतीय सिनेमा में 60 के दशक में ही रिलीज हुआ गाना 'मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती...' जिसने भारत मे किसान और कृषि की महत्ता का वर्णन किया।
छुट्टा जानवर फसलों को बर्बाद कर दे रहे हैं
यही कृषि जिसका अर्थव्यवस्था में एक बड़ा हिस्सा आज भी है लेकिन किसानों की स्थिति आज दयनीय हो रही है । धरती के भगवान कहे जाने वाले किसानों को इस समय खाद पानी की फिक्र नहीं है बल्कि चिंता है तो छुट्टा जानवरों से फसल को बचाने की क्योंकि खाद पानी की जरुरत तब पड़ेगी जब फसल खेती में होगी फसलों के तैयार होने से पहले ही छुट्टा जानवर फसलों को बर्बाद कर दे रहे हैं।
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खासकर बुन्देलखण्ड के किसानों की बात करें तो पहले सूखे की मार पड़ी और अब अन्ना जानवर ही उनकी फसल चट कर रहे हैं । वहीं खुद को किसान हितैषी बताने वाली योगी सरकार भी किसानाें की समस्याएं और बदहाली दूर नहीं कर पा रही है। गांवों में दिन रात घूमने वाले अन्ना जानवरों का आतंक किसी आपदा से कम नहीं हैं। अन्ना जानवरों द्वारा फसल बर्बाद कर देने से आर्थिक समस्या के कारण किसान तेजी से पलायन करने को मजबूर हैं। किसानों की यह बदहाली न तो शासन को नजर आती है और न ही प्रशासन को। यही वजह है कि गांवाें में अन्ना जानवराें से फसलों को बचाने के कहीं कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
अन्ना जानवर किसानों के लिए चिंता
बुंदेलखंड में अन्ना जानवर किसानों के लिए चिंता की वजह बन गए हैं। दिन रात मेहनत और लगन से खेत में फसल की बुवाई करने के बाद अच्छी पैदावार की किसानों की उम्मीद पर अन्ना जानवर पानी फेर रहे हैं। लंबे समय से सूखा और उसके बाद अतिवृष्टि व ओलावृष्टि की विभीषिका झेल चुके किसान अब अन्ना जानवराें के आतंक से जूझ रहे हैं। किसान लगातार परेशान हैं और सर्दी की ठिठुरती रात में वो खेतो में बसने को मजबूर हैं । दिन रात गांव में घूम रहे अन्ना जानवर खेतों में घुसकर भारी भरकम क्षेत्र में बोई की फसलाें को चंद समय में चट कर जाते हैं, जिससे किसानों को खासी चपत लग रही है।
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अस्थाई गौशालाएं भी लगभग हर ग्राम पंचायत में
गौरतलब है कि पूर्व में गांवाें और कस्बाें में कांजी हाउस बनाने की व्यवस्था थी और अब योगी सरकार ने स्थायी और अस्थाई गौशालाएं भी लगभग हर ग्राम पंचायत में बनवा डाली लेकिन इससे भी कुछ खास फायदा किसानों को होता नहीं दिख रहा ।गौरतलब है कि पहले जब कांजी हाउस होते थे तो गांव में आवारा घूमते पाए जाने पर वाले जानवरों को पकड़कर कांजी हाउस में बंद कर दिया जाता था। बाद में पशु को कांजी हाउस से छुड़ाने पर पशुपालक को शुल्क भी जमा करना पड़ता था। लेकिन अब कांजी हाउस समाप्त हो जाने के कारण पशुपालकाें में भय खत्म हो गया है। उन्हें गांव के अन्य किसानों की फसल बर्बाद होने की जरा भी परवाह नहीं है। गांव में आवारा घूमते जानवर किसानों की फसलाें को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
जानवरों के खेत में घुस जाने पर पूरी फसल नष्ट हो जाती है
अब इन जानवरो को गौशालाओ में बन्द किया जाता है लेकिन इससे भी कुछ फायदा होता नहीं दिख रहा। रात-रातभर ठंड में कर रहे रखवाली- हालत यह है कि फसल की रक्षा के लिए किसान परिवार समेत खेत में डेरा डाले हुए हैं। दिन रात किसान ठंड में जागकर खेतों की रखवाली कर रहे हैं। अन्ना जानवरों का झुंड नजर आते ही किसान उन्हें खदेड़ने के लिए दौड़ पड़ते हैं। मानिकपुर विकासखण्ड के रामपुर गांव के किसान राजेश सिंह , हेला गांव के किसान कमलेश द्विवेदी का कहना है कि ओलावृष्टि और अतिवृष्टि होने के बाद भी किसानों को कुछ न कुछ तो बच ही जाता है लेकिन अन्ना जानवरों के खेत में घुस जाने पर पूरी फसल नष्ट हो जाती है। उन्होंने बताया कि हमने इस बाबत थाने में तहरीर भी दी है कि गांव के और अन्ना जानवरो द्वारा हमारी कई बीघे फसल चट कर दी है। अब लगता है कि किसानी ही बन्द करनी पड़ेगी|
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जानवरो के रखरखाव हेतु 55 स्थायी गौ आश्रय केंद्र
बीडीओ डीके अग्रवाल बताते हैं कि मानिकपुर विकासखण्ड में अन्ना जानवरो के रखरखाव हेतु 55 स्थायी गौ आश्रय केंद्र अब तक हैं । जिनमे 4633 गौवंश का रखरखाव किया जा रहा है। हम लगातार प्रयास कर रहे है कि हमारे विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों में किसानों को अन्ना जानवरो के कारण समस्या न हो।उन्होंने बताया कि सचिवों को निर्देश दिया गया है कि जब तक गौ आश्रय केंद्रों में ठंड से बचाव हेतु गौवंशो हेतु टीन शेड नही बन जा रहे हैं तब तक ठंड से बचाव हेतु उनके अतिरिक्त प्रयास किये जायें
जानवरो से निपटने हेतु लगातार प्रयास कर रही है
वहीं, कब इस सम्बंध में गौ सेवा आयोग के सदस्य भोले सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सरकार अन्ना जानवरो से निपटने हेतु लगातार प्रयास कर रही है। हम गौ आश्रय केंद्रों द्वारा ऐसे सभी गौ वंश का रखरखाव रख रहे हैं जो बाहर रहकर किसानों के लिए मुसीबत बनते हैं। इस दिशा में लगातार प्रयास किये जा रहे हैं और अगर किसी भी अधिकारी ने लापरवाही की तो वो क्षम्य नही होगा। मैं जल्द ही चित्रकूट का दौरा करूँगा और किसानों से मिलकर इस सम्बंध में बात करूंगा।