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Kisan Andolan: 26 जून को गाजीपुर बॉर्डर पर हल्ला बोल, पश्चिमी यूपी से हजारों किसान रवाना
कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ने के बाद अब किसानों आंदोलन की रफ्तार तेज होने लगी है। 26 जून को किसानों आंदोलन के सात माह पूरे हो जाएंगे।
गाजियाबाद: कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ने के बाद अब किसानों आंदोलन की रफ्तार तेज होने लगी है। 26 जून को किसान आंदोलन के सात माह पूरे हो जाएंगे। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने एलान किया कि किसानों को 26 तारीफ भूलने नहीं दी जाएगी। यूपी में किसान आंदोलन का केंद्र पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और मेरठ से गाजीपुर बॉर्डर के लिए हजारों किसान ट्रैक्टर से रवाना हुए हैं। मेरठ से किसान गौरव टिकैत के नेतृत्व में गाजीपुर बॉर्डर के लिए निकले और पूरी रात सिवाया टोल प्लाजा किसानों से गुलजार रहा। किसानों की भारी संख्या को देखते हुए पूरी रात टोल फ्री चला।
सरकार का करेंगे इलाज- राकेश टिकैत
गाजीपुर बॉर्डर के लिए रवाना हुए किसान कल यानि 26 जून को अपनी ताकत एक बार फिर दिखाएंगे। कोरोना की वजह से किसान आंदोलन की धीमी हुई रफ्तार को राकेश टिकैत एक बार फिर धार देने में लग गए हैं। राकेश टिकैत ने कहा कि अभी किसान ट्रैक्टर से दिल्ली आने की रिहर्सल कर रहे हैं। यदि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले तीन वर्षों में किसान इलाज भी करेंगे। राकेश टिकैत ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि अभी कुछ दवाई पश्चिम बंगाल से मिली है और कुछ दवाइयां उत्तर प्रदेश में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में मिली है। आगे भी किसान इलाज करेंगे। भाकियू नेता ने चेतावनी देते हुए कहा कि, हम ऐसी फिल्म दिखा देंगे कि याद रखेंगे।
हजारों किसान पहुंचेंगे गाजीपुर बॉर्डर- नरेश टिकैत
वहीं भाकियू के अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि इस यात्रा में हजारों किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ शामिल हो रहे हैं। सभी ट्रैक्टर पूर्णतया अनुशासन में चलते हुए गंतव्य की ओर बढ़ रहे हैं। जिससे किसी भी मुसाफिर को परेशानी का सामना न करना पड़े। रास्ते में अलग-अलग पड़ाव पर उस क्षेत्र के किसान भी अपने ट्रैक्टर के साथ जुड़ते चले जाएंगे। बता दें 26 जून को किसान गाजीपुर बॉर्डर पर तीनों कृषि कानून के खिलाफ एक बार फिर हुंकार भरेंगे।
सरकार कृषि कानूनों को वापस ले: जयंत चौधरी
किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। पत्र में जयंत चौधरी ने कहा है कि किसानों ने कोरोना लॉकडाउन में देश की जनता का पेट भरा और अर्थव्यवस्था को अपने कंधे पर थामे रखा। आज वही किसान अस्तित्व की लड़ाई लड़ने को मजबूर हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री के किसानों से एक फोन काल दूर वाले बयान को याद दिलाते हुए कहा कि जब ऐसी सकारात्मक बात कही तो लगा कि समाधान किया जा सकता है। सरकार के नुमाइंदे और मंत्रियों ने किसानों के साथ संवाद को स्थगित कर दिया।