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Farrukhabad News: दूल्हे के कपड़े खरीदने निकले थे, कफन में लौटे बचपन के दोस्त
Farrukhabad News: फर्रुखाबाद में शादी से पहले तीन घरों में कोहराम मच गया। घर का इकलौता था शशांक, दो दिसंबर को शादी होनी थी
Farrukhabad News: काकोरी में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे पर रेवरी टोल प्लॉजा के पास हुए भीषण हादसे में जान गंवाने वाले शशांक राठौर, शिवम यादव, अनुज राठौर और गंभीर हालत में भर्ती शांतनु सिंह व आदित्य राजपूत उर्फ अमन बचपन के दोस्त थे और एकसाथ आर्मी स्कूल में पढ़े थे। दो दिसंबर को शशांक की शादी की तैयारियां जब जोरों पर थीं तो पांचों दोस्तों ने तय किया कि शशांक (दूल्हे) के कपड़े खरीदने के लिए लखनऊ जाएंगे। कार्यक्रम तय होने के बाद शुक्रवार को आदित्य की बहन अंजलि की कार लेकर सभी लखनऊ के लिए रवाना हुए।
शिवम करीब दो साल से लखनऊ के बुद्धेश्वर इलाके में किराए पर रह कर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है इसलिए फर्रुखाबाद से निकलते वक्त प्लान बना कि रात में शिवम के कमरे पर रुकेंगे और शनिवार को खरीदारी के बाद वापस लौटेंगे। सभी दोस्त अपने-अपने परिवारीजनों को शादी की खरीदारी का हवाला देकर निकले, लेकिन शनिवार शाम तीनों घरों में युवकों के शव पहुंचे तो कोहराम मच गया। चारों ओर सिर्फ बिलखने की आवाजें सुनाई दे रही थीं। उधर, जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे शांतनु और आदित्य के घर में भी कोहराम मच गया। इससे पहले शुक्रवार रात पांचों युवकों के परिजनों को घटना का पता चला तो परिजन तुरंत लखनऊ के लिए रवाना हुए और वहां से शव लेकर शनिवार शाम घर पहुंचे।
पिता बोले- शशांक की जगह कैसे बैठूंगा
शशांक की शादी की तैयारी को लेकर घर में पहले से मौजूद रिश्तेदार भी घटना को सहज स्वीकार नहीं कर पा रहे थे कि सामने रखा शव शशांक का ही है। ई-रिक्शा की एजेंसी चलाने वाले शशांक राठौर के पिता उदय बहादुर सिंह ने बताया कि चारों युवक शशांक के बचपन के दोस्त थे। सभी एकसाथ आर्मी स्कूल में पढ़े। अगले ही महीने शादी थी इसलिए लखनऊ से कपड़े खरीदने की इच्छा को मना नहीं कर सके। पोस्टमार्टम हाउस पर रिश्तेदारों संग मौजूद उदय बहादुर शशांक हमारा इकलौता बेटा था। उसे दूल्हे के लिबास में देखने का सपना था, लेकिन आज कफन में देख रहा हूं....बोलते हुए फफक पड़े। रुंधले गले से बोले कि मेरी एजेंसी पर अक्सर शशांक ही बैठता था
अब उस जगह मैं कैसे बैठ सकूंगा। जान गंवाने वाले अनुज राठौर के जेएनवी रोड पर जब मकान पर शव पहुंचा तो पूरा मोहल्ला रो पड़ा। बड़े भाई अभय, मां रेखा, पिता विजेंद्र का करुण क्रंदन देख हर आंख से आंसू निकल पड़े। परिजन अनुज के शव को अंतिम संस्कार के लिए पांचालघाट लेकर चले गए। तीसरे मृतक शिवम यादव का शव उसके गांव डाल के नगला पहुंचा। बड़े भाई अनुज और दीपक आर्मी में हैं। मां रामादेवी का रो रोकर बुरा हाल हो गया। पिता बदन सिंह को लोग ढांढस बंधाते रहे, लेकिन उनके मुंह से सिर्फ यही निकला कि हम तो उसे अफसर बनाना चाहते थे इसीलिए पढ़ने लखनऊ भेजा था, लेकिन भगवान ने ये सब क्या कर दिया।