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Loksabha Election 2024: फर्रुखाबाद लोकसभा सीट भाजपा हैट्रिक लगाने की कर रही तैयारी, जानें समीकरण

Loksabha Election 2024 Farrukhabad Seats Details: फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर सपा ने डॉ. नवल किशोर शाक्य को चुनावी मैदान में उतारा है। जबकि भाजपा ने वर्तमान सांसद मुकेश राजपूत पर तीसरी बार दांव लगाया है। वहीं बसपा ने क्रांति पांडेय को उम्मीदवार बनाया है।

Sandip Kumar Mishra
Published on: 26 April 2024 5:43 AM GMT
Loksabha Election 2024: फर्रुखाबाद लोकसभा सीट भाजपा हैट्रिक लगाने की कर रही तैयारी, जानें समीकरण
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Loksabha Election 2024: यूपी का फर्रुखाबाद जिला कानपुर मंडल का हिस्सा है। फर्रुखाबाद लोकसभा सीट दिग्गज समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया की कर्मस्थली रही है। इसके अलावा देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ जाकिर हुसैन की जन्मस्थली भी है। मशहूर कवियत्री महादेवी वर्मा की जन्मस्थली भी फर्रुखाबाद ही है। कांग्रेस के कद्दावर नेता सलमान खुर्शीद भी यहीं से आते हैं। इंडिया गठबंधन के तहत यह सीट सपा के खाते में है। इसलिए इस बार सपा ने डॉ. नवल किशोर शाक्य को चुनावी मैदान में उतारा है। जबकि भाजपा ने वर्तमान सांसद मुकेश राजपूत पर तीसरी बार दांव लगाया है।

वहीं बसपा ने क्रांति पांडेय को उम्मीदवार बनाया है। यह लोकसभा सीट लोधी बाहुल्य है। यहां बहुसंख्यक के साथ-साथ अल्पसंख्यक व दलित समाज का भी अच्छा खासा वोट बैंक है। अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो भाजपा के मुकेश राजपूत ने सपा-बसपा के संयुक्त उम्मीदवार रहे मनोज अग्रवाल को 2,21,702 वोट से हराकर दूसरी बार जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में मुकेश राजपूत को 5,69,880 और मनोज अग्रवाल को 3,48,178 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के दिग्गज नेता सलमान खुर्शीद ने महज 55,258 वोट पाकर अपनी जमानत जब्त करा ली थी। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के दौरान भाजपा के मुकेश राजपूत ने सपा के रामेश्वर सिंह यादव को 1,50,502 वोट से हराकर करीब एक दशक बाद इस सीट पर दुबारा कमल खिलाया था। इस चुनाव में मुकेश राजपूत को 4,06,195 और सपा के रामेश्वर सिंह यादव को 2,55,693 वोट मिले थे। जबकि बसपा के जयवीर सिंह को 1,14,521 और कांग्रेस के दिग्गज नेता कहे जाने वाले सलमान खुर्शीद को 95,543 वोट मिले थे।

यहां जानें फर्रुखाबाद लोकसभा क्षेत्र के बारे में

फर्रुखाबाद लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 40 है।

यह लोकसभा क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आया था।

इस लोकसभा क्षेत्र का गठन फर्रुखाबाद जिले के कायमगंज, अमृतपुर, फर्रुखाबाद व भोजपुर और एटा जिले के अलीगंज विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है।

फर्रुखाबाद लोकसभा क्षेत्र के 5 विधानसभा सीटों में से 4 पर भाजपा और 1 पर अपना दल का कब्जा है।

यहां कुल 17,08,585 मतदाता हैं। जिनमें से 7,78,822 पुरुष और 9,29,686 महिला मतदाता हैं।

फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 10,03,241 यानी 58.72 प्रतिशत मतदान हुआ था।

फर्रुखाबाद लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास

फर्रुखाबाद को पोटैटो सिटी के नाम से जाना जाता है। फर्रुखाबाद में आलू की सबसे ज्यादा पैदावार होती है। जिसकी सप्लाई यूपी समेत विदेशों में भी होती है। इस शहर के पूर्व की तरफ गंगा एवं रामगंगा और दक्षिण की ओर काली नदी स्थित है। फर्रुखाबाद जिले का नाता कांस्य युग के दौर का है। यहां पर प्राचीनकाल के कई ऐतिहासिक हथियार और उपकरण मिले थे। महाभारत युद्ध के अंत तक प्राचीन काल से जिले के पारंपरिक इतिहास का जिक्र पुराणों और महाभारत में हुआ है। इसी क्षेत्र में काम्पिल्य एक शहर था, जो महाभारत काल में दक्षिण पांचाल की राजधानी हुआ करती थी। द्रौपदी का प्रसिद्ध स्वयंवर यहीं पर हुआ था। बुद्ध और महावीर के समय में 16 महाजनपदों की सूची में भी पांचाल शहर शामिल था। यह 10वें महाजनपद के रूप में शामिल था। नवाब मोहम्मद खां बंगश ने बमटेला गांव की भूमि पर इस शहर की स्थापना की थी। उन्होंने इस शहर का नाम 1714 में शासक सम्राट फरुखशियर पर रखा था। आजादी के बाद आज तक इस सीट पर 17 लोकसभा चुनाव व उपचुनाव हो चुके हैं। जिसमें सात बार कांग्रेस का कब्जा रहा है। इसके अलावा भाजपा ने 3, सपा ने 2 और जनता पार्टी ने 2 बार जबकि जनता दल और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी को एक-एक बार जीत हासिल हुई है।

फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर आधे से अधिक चुनाव जीत चुकी है कांग्रेस

इस सीट पर 1952 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के पं. मूलचंद्र दुबे ने 88,024 वोट पाकर सोशलिस्ट पार्टी के तेज नरायन को हरा दिया था। फिर 1957 के भी चुनाव में कांग्रेस के पं. मूलचंद्र दुबे ने 96,301 वोट पाकर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के भरत सिंह को हरा दिया। 1962 में तीसरी बार भी कांग्रेस के पं. मूलचंद्र दुबे ने इस सीट पर अपना कब्जा बनाए रखा। उस समय उन्हें 79,621 वोट मिले थे। लेकिन पं. मूलचंद्र दुबे के निधन के बाद इस सीट पर 1963 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार डॉ. बीके केशकर के खिलाफ समाजवादी के दिग्गज नेता डॉ राम मनोहर लोहिया ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पर्चा भर दिया। 1962 में चीन से मिली हार के बाद देश में कांग्रेस के खिलाफ आक्रोश था।डॉक्टर लोहिया कांग्रेस के उम्मीदवार को करीब 57 हजार से अधिक वोट से हरा दिया। लेकिन 1967 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर वापसी की।

इस चुनाव में कांग्रेस के अवधेश चंद्र सिंद्र ने 99,835 वोट पाकर जनसंघ के दयाराम शाक्य को हरा दिया। फिर 1971 के चुनाव में भी कांग्रेस को इस सीट पर कामयाबी मिली। पार्टी के अवधेश चंद्र सिंह राठौड़ ने 1,14,077 वोट पाकर भारतीय क्रांति दल के राजेंद्र सिंह पादब को हरा दिया। 1977 का चुनाव का जरूर कांग्रेस के द्वाथ से खिसक गया। इस चुनाव में बीएलडी के दयाराम शाक्य ने 2,63,287 वोट पाकर कांग्रेस के अवधेश चंद्र सिंह को हरा दिया। 1980 के चुनाव में दयाराम शाक्य जनता पार्टी से चुनाव लड़े और जीत हासिल की। इस चुनाव में दयाराम शाक्य को 77541 वोट मिले। उन्होंने कांग्रेस के सियाराम गंगवार को हरा दिया। लेकिन 1984 में एक बार फिर कांग्रेस ने वापसी की । उस बार कांग्रेस के टिकट पर खुर्शीद आलम खां ने 23,8892 वोट पाकर भाजपा के दयाराम शाक्य को हरा दिया। लेकिन 1989 का चुनाव कांग्रेस के हाथ से निकल गया। इस चुनाव में जनता दल के संतोष भारती ने कांग्रेस के सलमान खुर्शीद को 7,484 वोट से हरा दिया। फिर 1991 के चुनाव में कांग्रेस ने वापसी की। कांग्रेस के सलमान खुर्शीद 1,42,842 वोट पाकर दिल्ली पहुंचे। उन्होंने जनता पार्टी के अनवार मोहम्मद खां को 38,150 वोट से हराया था।

1996 में भाजपा और 1999 में सपा का पहली बार खुला खाता

इस सीट पर 1996 में हुए चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे साक्षी महाराज ने 2,29,906 वोट पाकर सपा के अनवार मोहम्मद खां को हरा दिया। 1998 का चुनाव भी साक्षी महाराज ने 2,24,636 वोट पाकर सपा के अरविंद प्रताप सिंह को हराया था। लेकिन 1999 के चुनाव में सपा के चंद्रभूषण सिंह मुचुबाबू ने 2,22,984 वोट पाकर भाजपा के रामबख्श वर्मा को हराकर यह सीट सपा के खाते में डाल दी। फिर 2004 के चुनाव में भी सपा ने यहां से जीत हासिल की। इस बार सपा के टिकट पर चंद्रभूषण सिंह मुक्तूबाबू ने 1,76,129 वोट पाकर कांग्रेस की लुईस खुर्शीद को 2,745 वोट से हराया था। लेकिन 2009 के चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने वापसी की। इस बार कांग्रेस के सलमान खुर्शीद ने 1,69,351 वोट पाकर बसपा के नरेश अग्रवाल को 27,199 वोट से हरा दिया।

फर्रुखाबाद लोकसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण

फर्रुखाबाद लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या 1,86,270 है। शाक्य मतदाताओं की संख्या 1,40,600 और 2,75,200 लोधी मतदाताओं की संख्या है। इसके अलावा यादव मतदाताओं की संख्या 2,18,480 और 1,74,000 मुस्लिम मतदाताओं की संख्या है। वहीं ब्राह्मण मतदातओं की संख्या 1,50,260 और 1,03,021 कुर्मी मतदाताओं की संख्या है। वैश्य मतदाता 87,130 और जाटव की संख्या 98,250 है।

फर्रुखाबाद लोकसभा क्षेत्र की चुनावी मुद्दे

फर्रुखाबाद जिला क्षेत्रफल की दृष्टि से छोटा है। आलू की फसल यहां की मुख्य फसल है । किसान पूरी तरह से आलू की फसल पर ही निर्भर हैं। बीते तीन वर्षो में आलू की इतनी ज्यादा पैदावार हुई है कि किसान के लिए सिरदर्द बन गई। किसानों का आलू उनके घर पर ही सड़ने लगा, आलू के सही दाम नहीं मिलने पर किसानों ने आलू को बर्बाद कर दिया। कोल्ड स्टोर में आलू रखने की जगह नहीं थी । इस दिशा में सरकारों ने भी ध्यान नहीं दिया। इस बात को लेकर फर्रुखाबाद का किसान नाराज हैं। फर्रुखाबाद में बिजली समस्या और क्षेत्र का विकास सबसे बड़ी समस्या है। किसानों की इन समस्याओं को सभी दलों के नेताओं ने नजरंदाज किया है।

फर्रुखाबाद लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद

  • कांग्रेस से पं. मूलचंद्र दुबे 1952, 1957 और 1962 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से डॉ राम मनोहर लोहिया 1963 में लोकसभा उपचुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से अवधेश चंद्र सिंह राठौड़ 1967 और 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी से दया राम शाक्य 1977 और 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से खुर्शीद आलम खान 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता दल से संतोष भारतीय 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से सलमान खुर्शीद 1991 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से साक्षी महाराज 1996 और 1998 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • सपा से चंद्र भूषण सिंह 1999 और 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से सलमान खुर्शीद 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से मुकेश राजपूत 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
Sandip Kumar Mishra

Sandip Kumar Mishra

Content Writer

Sandip kumar writes research and data-oriented stories on UP Politics and Election. He previously worked at Prabhat Khabar And Dainik Bhaskar Organisation.

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