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गांव की बेटियों ने बनाया फैशन को अपना पैशन
लखनऊ/रांची: झारखण्ड के एक गाँव की बेटियों ने वह कमाल कर दिखाया है जो काम बड़ी बड़ी फैशन और डिजाइनर कंपनियां किया करती हैं। गाँव में ही रह कर गाँव के संसाधन से इन बालिकाओं ने इतना बड़ा कारोबार खड़ा कर दिया है जिसकी धूम आज फैशन बाजार में भी है। इन लड़कियों के काम को खूब सराहा जा रहा है इनके बनाये सामने की बिक्री भी खूब हो रही है।
सब कुछ डिजाइनर
यह सही है कि डिजाइनर ड्रेसस के साथ मैचिंग बैग, सैंडिल होना लड़कियों के फैशन का हिस्सा होता है। वे इनके बिना बाहर निकलना भी नहीं पसंद करती। लेकिन क्या आप जानती है कि जिस डिजाइनर बैग, रंग-बिरंगी लाह की चूड़ियां,कानों में लटकते क्विलिंग पेपर रंग के बारे में हम बातें कर रहे उसे किसी और ने नहीं बल्कि गांव की बेटियों ने तैयार किया है। शायद इस बात पर आपको यकीन ना हो लेकिन यह बिल्कुल सच है।हालत यह है कि झारखंड के इस गाँव की इस उपलब्धि का संज्ञान वह की सरकार ने भी लिया है और इस दिशा में वह और काम कराने जा रही है।
सारवां प्रखंड के मधुवाडीह गांव की कहानी
यह देवघर से 25 किमी दूर सारवां प्रखंड के मधुवाडीह गांव की कहानी है। यहाँ की लड़कियां आज के फैशन की नब्ज पकड़ चुकी हैं। वे ऐसी ही वस्तुएं बना रहीं हैं और डिजाइन में नए-नए प्रयोग भी करतीं हैं। बेटियों की बनाई इन वस्तुओं की बाजार में बड़ी मांग है। इसमें लड़कियों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में मदद के लिए आगे आया संस्था 'नीड्स' सहयोग कर रही है।
प्रशिक्षण केंद्र में इन लड़कियों को दिया जाता है प्रशिक्षण
मधुवाडीह स्थित प्रशिक्षण केंद्र में इन लड़कियों को प्रशिक्षण मिलता है। उसकी बदौलत वे केंद्र में 80 प्रकार के उत्पाद बना रहीं हैं। वे कांवड़ियों की सुविधा के लिए बोल बम ड्रेस के साथ कपड़े के जूते व चप्पल भी बना रहीं हैं। हाल में झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी इन बेटियों की कला की सराहना की थी। अब ये लड़कियां सैनेटरी नैपकिन बनाने का भी प्रशिक्षण ले रहीं हैं। बताया जा रहा है कि दो-तीन माह में उसका भी उत्पादन होने लगेगा।
15 से 18 वर्ष की उम्र की लड़कियों को प्रशिक्षण
इन सामने के निर्माण की प्रशिक्षण ले चुकी प्रीति, मुन्नी कुमारी, सिंधु कुमारी व ममता कुमारी इंटर और स्नातक में पढ़ती हैं। इस काम में भी समय देती हैं। 'नीड्स' ने इन लड़कियों के लिए कंप्यूटर लैब भी बनाई है। वहां कंप्यूटर का प्रारंभिक ज्ञान मिलेगा। यहाँ 15 से 18 वर्ष की उम्र की लड़कियों को प्रशिक्षण देते हैं। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य यह है कि लड़कियां प्रशिक्षण लेंगी तो स्वावलंबी बनेंगी। इससे बाल विवाह भी रुकेगा। जागरूक बेटियां सामाजिक बुराइयों का विरोध कर सकेंगी।
2017 में शुरू किया गया नीड्स का लैब
बताया जा रहा है कि इस गांव में 'नीड्स' का केंद्र सितंबर- 2017 में शुरू हुआ। पहले चरण में ऊषा कंपनी के सहयोग से सारवां प्रखंड के बिशनपुर, दानीपुर, कल्हौर व बनवरिया गांव की 37 लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए छह माह का मुफ्त प्रशिक्षण दिया गया। सामग्री बनाने को कच्चा माल 'नीड्स' की ओर से उपलब्ध कराया जाता है। इस बारे में ऊषा कंपनी की प्रशिक्षक राजकुमारी का कहना है कि इन लड़कियों की बनाई वस्तुओं की काफी मांग है।वह आश्वस्त हैं कि आने वाले समय में इनकी बनाई सामग्री बाजार में छा जाएगी।