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Meerut News: जिनोमिक चिप तथा बेसिक इस्काईमा सिलेक्शन से होगा फास्ट ग्रोइंग फील्ड का विकास

Meerut News: प्रधान वैज्ञानिक ने कहा कि पैदावार में अनुवांशिक लाभ और वर्तमान परिदृश्य में अन्य जटिल लक्षणों को पारंपरिक प्रजनन के आधार पर बनाए रखना मुश्किल होगा।

Durgesh Sharma
Written By Durgesh Sharma
Published on: 3 Dec 2022 6:46 PM IST
Fast growing field will be developed by genomic chip and basic ischima selection in ccsu Meerut
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Fast growing field will be developed by genomic chip and basic ischima selection in ccsu Meerut (CCSU)

Meerut News: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग में चल रहे दो दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम मौलिकूलर टूल्स एंड टेक्निक्स इन लाइफ साइंसेस के दूसरे दिन भी विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रोफेसर एस वी एस राणा, डॉ संदीप शर्मा प्रिंसिपल साइंटिस्ट एनबीपीजीआर नई दिल्ली, डॉक्टर सुधीर कुमार श्रीवास्तव (ICAR PUSA Campus New Delhi ) और अन्य का व्याख्यान और हैंडसम ट्रेनिंग प्रोग्राम रहा। एनबीपीजीआर से आए हुए प्रधान वैज्ञानिक डॉ संदीप कुमार शर्मा ने बताया कि, हम फ्रांस, यूरोप व अन्य देशों की तर्ज पर हम मोलीकुलर टूल्स जैसे Genomic Chip, लिंकेज Disequilibirium एसोसिएशन मैपिंग, जीवास तथा हमारे द्वारा डिवेलप की गई बेसिक Schima Genomic सिलेक्शन की सहायता से प्लांट साइंस के अंदर fast-growing fields का विकास कर सकते हैं।

उन्होनें कहा कि पैदावार में अनुवांशिक लाभ और वर्तमान परिदृश्य में अन्य जटिल लक्षणों को पारंपरिक प्रजनन के आधार पर बनाए रखना मुश्किल होगा। इसलिए फसल जेनोमिक के साथ पारंपरिक पादप प्रजनन के संयोजन की आवश्यकता होगी क्योंकि पारंपरिक प्रजनन गेहूं तथा चावल में प्रोफेसर पीके गुप्ता सुधार करने में सफल हो चुके है।

जेनोमिक उपकरणों और संसाधनों का उपयोग पौधों में अनुवांशिक लाभ तथा पैदावार को आगे बढ़ाएगा...

नई जिनोमिक दुनिया में प्लांट ब्रीडर्स के लिए बेहतरीन विशेषताओं के साथ नई किस्मों के पौधों की विभिन्न प्रकार की बीमारियों जैसे बायोटिक तथा एबायोटिक रजिस्टेंस के साथ नई किस्मों को प्राप्त करना आसान हो गया है।

विशेष रूप से वर्तमान और नए जिनोमिक्स उपकरण अनुवांशिक लक्षणों के पादप प्रजनन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होगा। साथ ही डॉक्टर सुधीर कुमार श्रीवास्तव ने पौधों की नई किस्मों को स्टैटिसटिकल तथा इन सिलिको हैंडस ऑन ट्रेनिंग के दौरान विभिन्न प्रकार के स्टैटिसटिकल, मौलिकूलर और बायोइनफॉर्मेटिक्स सॉफ्टवेयर की सहायता से पौधों की नई किस्मों के जीनोम के अंदर सुधार करना सिखाया।


इसी श्रंखला में वैज्ञानिक और एमेरिटस प्रोफेसर एसवीएस राणा ने हिस्ट्री एंड डेवलपमेंट ऑफ बायोलॉजी टू मॉलिक्यूलर बायोलॉजी पर आधारित व्याख्यान दिया। जिसमें प्रोफेसर ओके राणा ने मोरफ़ोलॉजिकल फिजियोलॉजिकल बायोकेमिस्ट्री साइटोलॉजिकल साइटोकेमेस्ट्री बायोटेक्नोलॉजिकल, संख्यात्मक तथा गुणात्मक लक्षणों आदि को एक साथ जोड़ कर अब रीसेंट में चल रही हैं।

मौलिकूलर बायोलॉजी की महत्ता पर प्रकाश डाला और कहा कि मौलिकूलर बायोलॉजी के साथ-साथ टैक्सनॉमी हिस्टोलॉजी एनाटॉमी फिजियोलॉजी बायोटेक्नोलॉजी बायोकेमिस्ट्री का ज्ञान का पाठ पढ़ाना भी आवश्यक है।

फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के आयोजन सचिव डॉ अशोक कुमार तथा विभागाध्यक्ष प्रो विजय मालिक ने वैज्ञानिकों का स्वागत किया तथा डॉ रमाकांत ओझा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस दौरान प्रो रूप नारायण, डॉ रमाकांत, सहित विभिन्न विभागों के शिक्षक, प्रो प्रशांत कुमार, प्रोफेसर, डॉ यशवेंद्र वर्मा, तथा विभिन्न कॉलेजों से आए हुए शिक्षक प्रोफेसर पंजाब मलिक, डॉ गीता सिंह, डॉ रीना तोमर, डा अमित शर्मा, डॉ निर्लिप कौर आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम में डा.कुलदीप कुमार, सादिया समर, ज्योति चौधरी, वंदना शर्मा का विशेष सहयोग रहा।



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Durgesh Sharma

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