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आशियाना गैंगरेप : कोर्ट ने गौरव शुक्ला को बताया दोषी, भेजा गया जेल
लखनऊ: 11 साल पहले राजधानी के आशियाना में हुए गैंगरेप केस में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया। कोर्ट ने मुख्य आरोपी गौरव शुक्ला को दोषी पाया है। जज अनिल कुमार शुक्ल ने कहा कि सजा पर सुनवाई 16 अप्रैल को होगी।
फैसला सुनाए जाने के वक्त गौरव शुक्ला कोर्ट में मौजूद था। वह मुंह ढंक कर पहुंचा था। दोषी करार दिए जाने के बाद गौरव शुक्ला को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।
बाद में उसे जेल भेज दिया गया।
कोर्ट ने कहा...
-फैसला सुनाते हुए फास्ट ट्रैक जज अनिल कुमार शुक्ल ने कहा कि अभियोजन आरेापी गौरव के खिलाफ आरेापों को साबित करने में सफल रहा है।
-भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत आरेापित के तर्क सही नहीं हैं। प्राथमिकी में घटना का सारा विस्तृत विवरण हो यह जरूरी नहीं है।
-प्राथमिकी किसी संज्ञेय अपराध की पुलिस को सूचना देना मात्र है, जिससे कि विवेचना प्रारम्भ हो सके।
-यह मामला गैंगरेप जैसे जघन्य अपराध का है, जिसमें मात्र भुक्तभोगी का बयान ही सजा के लिए पर्याप्त है।
-भुक्तभेागी से अच्छा कोई साक्षी नहीं हो सकता है। विक्टिम का बयान का बयान भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 क के तहत साबित माना जाने योग्य है।
गौरव का तर्क
-गौरव की ओर से कोर्ट मे दलील दी गई थी कि उसका नाम प्राथमिकी में नही था और पहली बार विक्टिम के कलमबद्ध बयान में आया था।
-अभियोजन इस बात को साबित करने मे असफल रहा कि जिस कार से अभियुक्तों का आना बताया गया वह कार गौरव की थी।
-पुसिल आज तक पता नही लगा पाई कि वह कार किसकी थी।
मुंह छुपाकर आया गौरव शुक्ला
फैसले पर खुशी
कोर्ट से फैसला आते ही सामाजिक संस्था एडवा के मेंबर के चेहरे खुशी से खिल उठे। एडवा विक्टिम के लिए कई सालों से कानूनी लड़ाई लड़ रही थी।
खुशी जताते एडवा के मेंबर्स
टल गया था फैसला
-आरेापित गौरव शुक्ला की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी भी मंगलवार को खारिज की जा चुकी है।
-जज अपना फैसला 9 फरवरी को ही सुनाने वाले थे, लेकिन गौरव की एक याचिका हाईकोर्ट में लंबित होने की वजह से फैसला टल गया था।
-गौरव के नाबालिग होने की मांग वाली यह याचिका हाईकोर्ट ने 18 मार्च को खारिज कर दी।
-इसके खिलाफ गौरव ने सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए समय मांगा था।
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-इस बीच विक्टिम के पिता की अर्जी पर हाईकोर्ट ने 8 अप्रैल को ट्रायल कोर्ट में फैसला लटकाने पर नाराजगी जताई थी।
-अर्जी मंजूर करते हुए जस्टिस सुधीर कुमार सक्सेना ने कहा था कि यह न्याय की विडंबना ही है कि घटना के 11 साल बीत जाने पर भी गैंगरेप विक्टिम को अभी तक न्याय नहीं मिला है।
-जस्टिस सक्सेना ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में केवल एसएलपी दाखिल करने से ही फैसला नहीं टाला जा सकता है।
-जब तक कि सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट रूप से कोर्ट को ऐसा करने से नहीं रोकता है।
-हाईकोर्ट ने कहा कि स्वंय सुप्रीम कोर्ट ने हत्या, डकैती और रेप जैसे जघन्य मामलों में विचारण कोर्ट की प्रकिया रोकने की भर्त्सना की है।
-इसलिए ऐसे मामलों को कोर्ट में प्राथमिकता के आधार पर सुना जाता है।
-इसी के साथ हाई कोर्ट ने को आदेश दिया कि यदि अगली तारीख यानि 13 अप्रैल तक यदि सुप्रीम कोर्ट रोक ना लगाए तो फैसला सुना दिया जाए।
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आरोपी की एसएलपी खारिज
-आरोपी गौरव शुक्ला की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी खारिज हो गई है।
-इससे अब उम्मीद बढ़ गई है कि फास्ट ट्रैक कोर्ट बुधवार को अपना फैसला सुना सकता है।
-पीड़िता के वकील जलज गुप्ता ने बताया कि इसी साल मार्च में हाईकोर्ट ने आरोपी को घटना के समय बालिग करार दिया था।
हाईकोर्ट ने लगाई थी लताड़
-इस आदेश के खिलाफ गौरव ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने धारा 376 के नाम से ही उसे खारिज कर दिया।
-इससे पहले पीड़िता के पिता की अर्जी पर हाईकोर्ट ने 8 अप्रैल को ट्रायल कोर्ट को फैसला लटकाने पर कड़ी लताड़ लगाई।
-जस्टिस सुधीर कुमार सक्सेना ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में केवल एसएलपी दाखिल करने की दलील पर फैसला टाला नहीं जा सकता।
-हाई कोर्ट ने कहा कि खुद सुप्रीम कोर्ट ने हत्या,डकैती व रेप जैसे मामलों में ट्रायल कोर्ट की प्रक्रिया रोकने की आलोचना की है।
-इसी के साथ हाईकोर्ट ने फास्ट कोर्ट को आदेश दिया था कि अगली तारीख यानी 13 अप्रैल को आरोपी की ओर से सुप्रीम कोर्ट का कोई अंतरिम आदेश पेश नहीं किया जाता तो वह अपना फैसला सुना दे।
अाखिर क्या होता है एसएलपी
-स्पेशल लीव पिटिशन या विशेष अनुमति याचिका हाईकोर्ट या ट्रिब्यूनल के किसी जजमेंट के खिलाफ दायर की जा सकती है।
-इसके लिए सुप्रीम कोर्ट से विशेष परमिशन लेनी होती है, हालांकि वह हाईकोर्ट कानून को सामने रख कर ही निर्णय देता है।
-लेकिन यदि कोई संवैधानिक या कानूनी मामला रह जाता है तो सुप्रीम कोर्ट इसकी अनुमति प्रदान कर देता है ।
-एसपीएल किसी अभियुक्त का कानूनी अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट इसकी अनुमति तभी देता है जब कोई संवैधानिक या कानूनी मामला जजमेंट में छूट गया हो ।
क्या था पूरा मामला
-2 मई 2005 की रात जब एक नाबालिग किशोरी घरों में झाडू-पोछा लगाकर अपने भाई के साथ घर लौट रही थी।
-तभी आशियाना इलाके के नागेश्वर मंदिर के पास पराग डेरी की तरफ से एक सेंट्रो कार आकर रुकी।
-कार से उतरे तीन लड़कों ने उसे जबरदस्ती गाड़ी में घसीट लिया। किशोरी का भाई चिल्लाता रहा, लेकिन किसी ने मदद नहीं की।
-इस दौरान दरिंदो ने किशोरी को हवस का शिकार बनाते हुए उसके साथ सामूहिक रेप किया हया।
-जब किशोरी ने विरोध किया तो दरिंदों ने उसे सिगरेट से दागा।
दूसरे आरोपियों का क्या हुआ
-कोर्ट ने घटना में दोषी पाए गए दो आरोपियों अमन बक्शी और भारतेंदु मिश्रा को दस-दस साल का सश्रम कैद और फैजान को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
-घटना के दो अन्य आरोपियों सौरव जैन और आसिफ सिद्दीकी को नाबालिग घोषित किया गया था, जिनकी मौत हो चुकी है।