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Fatehpur News: कोटेदार से परेशान ग्रामीणों ने लगाई प्रशासन से मदद की गुहार

गांव दपसौरा में ग्रामीणों का आरोप है कि पुराने कोटेदार की मृत्यु हो जाने के बाद जबरन कोटा मृतक के पुत्र को दिया गया है। जबकि कोटेदार के पुत्र का व्यवहार कुशल नहीं है जिसकी वजह से ग्रामीण कोटे का पुनः निर्वाचन करना चाहते हैं।

Ramchandra Saini
Written By Ramchandra SainiPublished By Pallavi Srivastava
Published on: 6 July 2021 10:08 AM GMT
Villagers troubled by the will of the Kotdar
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कोटेदार की मनमर्जी से परेशान ग्रामीण pic(social media)

Fatehpur News: उत्तर प्रदेश शासन एक तरफ ग्रामीणों को फ्री राशन देने का बात कर रही है वहीं दूसरी ओर लोगांे को राशन लेने के लिए हफ्तों कोटे के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। दिन भर धूप में बैठने के बाद भी राशन नहीं मिल रहा है। यहाँ तक ग्रामीणों का आरोप है कि कोटेदार मनमर्जी करते हैं। और जिसका नाम राशन कार्ड से जोड़ना और जिसका नाम हटाना चाहे वह कभी भी कर सकते है।ं सरकार भले ही ग्रामीणों की मदद करना चाह रही है, वह गरीबों को हर तरह से जीने की सुविधाएं देना चाहते हैं लेकिन प्रशासनिक अमला लगातार उन सुविधाओं को लोगों तक पहुंचने नहीं देना चाहता। जिसकी वजह से ही ग्रामीण लगातार अधिकारियों के चैखट पर चक्कर लगाने को मजबूर हैं। लेकिन किसी भी तरह से ग्रामीणों की बात नहीं सुनी जा रही है।

ताजा मामला उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जनपद के अमौली ब्लाक का है जहाँ के गांव दपसौरा में ग्रामीणों का आरोप है कि पुराने कोटेदार की मृत्यु हो जाने के बाद जबरन कोटा मृतक के पुत्र को दिया गया है। जबकि कोटेदार के पुत्र का व्यवहार कुशल नहीं है जिसकी वजह से ग्रामीणों का कहना है कि उस कोटे का पुनः निर्वाचन किया जाना चाहिए। निर्वाचन में जिसे प्राथमिकता मिलती है प्रशासन को चाहिए कोटा उसे दे दिया जाए। लगातार गांव के सैकड़ों ग्रामीण कोटेदार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए और कोटे को बदलवाने के लिए निम्न से उच्च अधिकारियों के चैखट पर जाकर अपना माथा टेक आए हैं। लेकिन अधिकारियों को ग्रामीणों के बात सुनाई ही नहीं देती।

कोटेदार की मनमानी से ग्रामीण परेशान

ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारी और नवनियुक्त कोटेदार की मिलीभगत के चलते कोटे का निर्वाचन स्थगित कर दिया जाता है और गुपचुप तरह से निर्वाचन कराने की साजिश रची जा रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारी कोटेदार की मिलीभगत से कोटे का निर्वाचन ना करा कर कोटा जस का तस वहीं रखना चाहते हैं। जिससे अधिकारियों को उनका पुराना रवैया चलता रहे और उनकी काली कमाई का जरिया बना रहे। ग्रामीणों का आरोप है कि कोटेदार ग्रामीणों के साथ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करता है, अभद्र टिप्पणी करता है, तौल में भी गोलमोल होता है। और सरकार की नियम शर्तों का पूरी तरह से कोटेदार ने मजाक बना रखा है। जिसके खिलाफ जो ग्रामीण आवाज उठाता है कोटेदार के द्वारा राशन कार्ड से उसका नाम कटवा दिया जाता है। और राशन के लिए हफ्तों घुमाया जाता है। आखिरकार राशन लेने वाला व्यक्ति हार कर राशन नहीं ले पाता ।


प्रशासन से मद्द की गुहार

गांव में रहने वाले अनेकों ग्रामीणों से बात कर जब जानकारी ली गई तो ग्रामीणों ने बताया कि कोटा लगातार तीन पीढ़ियों से एक ही घर पर बना हुआ है जिसके लिए पहले भी आवाज उठाई जाती रही है, लेकिन आज तक किसी ने सुनवाई नहीं की। लेकिन अब कोटे संचालक के द्वारा जिस तरह की हरकतों को किया जा रहा है उसको देखते हुए कोटा वहां रहना उचित नहीं है। इसके लिए ग्रामीण लगातार जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी और अन्य अधिकारियों से मुलाकात कर रहे हैं। लेकिन ग्रामीणों का कहना है की दबंग कोटेदार की वजह से ग्रामीणों की सुनवाई नहीं हो पा रही है। अगर यही हाल प्रशासन का रहा तो ग्रामीणों को हार कर राशन लेना ही बंद करना पड़ेगा और उनके पास आत्महत्या के अलावा कोई रास्ता नहीं होगा। अब देखना यह है कि क्या प्रशासन उनकी बात को सुनता है या लगातार इसी तरह से ग्रामीणों को नजरअंदाज कर कोटेदार को समर्थन करता है ।

Pallavi Srivastava

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