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Fatehpur News: 34वीं बार पीएम मोदी को खून से लिखी चिट्ठी, बुंदेलियों ने मनाया काला दिवस

Fatehpur News: पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग दिन प्रतिदिन तेज होती जा रही है। बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के केंद्रीय अध्यक्ष प्रवीण पाण्डेय ने कहा कि 1947 में जब देश आजाद हुआ, तब बुंदेलखंड राज्य था।

Ramchandra Saini
Published on: 1 Nov 2023 6:00 PM IST
Fatehpur Letter written in blood to PM Modi
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Fatehpur Letter written in blood to PM Modi

Fatehpur News: जिले में अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग कर रहे बुंदेलखंड राष्ट्र समिति ने आज के दिन को काला दिवस के रूप में मनाया। पत्थर कटा चौराहे मे सुभाष चंद्र बोस स्मारक पर काले वस्त्र धारण कर अलग राज्य की मांग के साथ प्रधानमंत्री को सम्बोधित खून से खत लिखे गये। एक नवंबर को काला दिवस के रूप में मना केंद्र सरकार से बुंदेलखंड राज्य बनाने की मांग की गई है। पीएम मोदी से बुंदेलखंड राज्य बनाकर वर्षों पुरानी ऐतिहासिक भूल को सुधारने की अपील की गई है। बुंदेलों की मानें तो आज ही के दिन बुंदेलखंड के दो टुकड़े करके उसके वजूद को खत्म किया गया था।

पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग दिन प्रतिदिन तेज होती जा रही है। बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के केंद्रीय अध्यक्ष प्रवीण पाण्डेय ने कहा कि 1947 में जब देश आजाद हुआ, तब बुंदेलखंड राज्य था। नौगांव इसकी राजधानी थी। चरखारी के कामता प्रसाद सक्सेना मुख्यमंत्री थे । लेकिन 22 मार्च, 1948 को बुंदेलखंड का नाम बदलकर विन्ध्य प्रदेश कर दिया गया। इसमें बघेलखंड को जोड़ दिया गया। एक नवंबर, 1956 बुंदेलखंड के इतिहास का वो काला दिन है । जब बुंदेलखंड के दो टुकड़े कर उसको भारत के नक्शे से मिटा दिया गया था। आधा हिस्सा उत्तर प्रदेश और आधा हिस्सा मध्यप्रदेश में शामिल कर दिया गया था। तभी से बुंदेलखंड दो बड़े राज्यों के बीच पीस रहा है।


केंद्रीय प्रवक्ता देवव्रत त्रिपाठी नें बताया की तत्कालीन नेहरू सरकार ने प्रथम राज्य पुनर्गठन आयोग के सदस्य सरदार के एम पणिक्कर की बुंदेलखंड राज्य बनाए रखने की सिफारिश को दरकिनार करते हुए यह फैसला लिया था। आयोग ने 30 दिसंबर, 1955 को जो रिपोर्ट केन्द्र सरकार को सौंपी थी, उसमें 16 राज्य और 3 केन्द्र शासित प्रदेश बनाने की सिफारिश की थी, जिसमें थोड़ा बदलाव करके नेहरू सरकार ने 14 राज्य व 5 केन्द्र शासित प्रदेश बना दिए। अगर उस समय बुंदेलखंड के सांसद, विधायक सरकार के इस फैसले का विरोध कर देते तो आज हम लोग देश के सबसे पिछड़े इलाके में न गिने जाते।


जिला अध्यक्ष रामप्रसाद विश्वकर्मा ने कहा कि आजादी के बाद बुंदेलखंड के साथ लगातार भेदभाव होता रहा। हम लोग एक नवंबर को खून से खत लिख कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 66 साल पहले बुंदेलखंड के साथ हुए अन्याय से अवगत कराना चाहते हैं और उनसे अपील करना चाहते हैं कि जिस तरह प्रधानमंत्री ने जम्मू कश्मीर राज्य से धारा 370 हटाकर एक ऐतिहासिक भूल सुधारी है, वैसे ही वे खंड खंड बुंदेलखंड को एक कर इस ऐतिहासिक भूल को भी सुधारें, जिससे बर्षों पुराना बुंदेलों का खोया वैभव वापिस मिल सके।

खून से ख़त लिखने वालो मे मुख्य रूप से प्रवीण पाण्डेय, देव व्रत त्रिपाठी, राम प्रसाद विश्वकर्मा, शेर सिंह, ज्योतिष अवस्थी, योगेश पासवान, अरुण विस्वकर्मा, सौरभ भारती, राजेश विश्वकर्मा, दीपक यादव, निपेंद्र सिंह आदि रहे l

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