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विवि प्रशासन के कारण गयी पिता की जान

raghvendra
Published on: 6 July 2018 12:45 PM IST
विवि प्रशासन के कारण गयी पिता की जान
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कपिल देव मौर्य

जौनपुर: अपने कारनामों से सुर्खियों में रहने वाला बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय एक बार पुन: सुर्खियों में आ गया है। इस बार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव स्व.देवराज की बेटी स्मृतराज ने इसे सुर्खियों में ला दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो एवं पुलिस अधीक्षक के नाम लिखे पत्र से विश्वविद्यालय को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है। पत्र में स्मृत राज ने आरोप लगाया है कि स्व.देवराज की मौत के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन जिम्मेदार है। विवि प्रशासन इस सन्दर्भ में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

स्मृत राज के पत्र एवं वीडियो ने जो सवाल खड़ा किया उससे साफ है कि यहां पर कदम-कदम पर भ्रष्टाचार है। इस मामले में सच क्या है उसका पता तो पूरी जांच के बाद ही पता चलेगा मगर सवाल यह है कि पूरे मामले की ईमानदारी से जांच होगी या या फिर लीपापोती कर दिया जाएगा।

साजिश के तहत किया गया निलंबित

वायरल वीडियो एवं पुलिस अधीक्षक को दिए पत्र में स्मृत राज ने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक साजिश के तहत फंसाकर मेरे पिता देवराज को निलम्बित कर दिया था जिसके कारण वे अवसाद में चले गये और तमाम उपचारों के बाद भी उनकी मौत हो गयी। पिता को निलम्बित करने के बाद से लेकर उनकी मौत के बाद तक मेरे विश्वविद्यालय परिसर स्थित सरकारी आवास में तीन बार चोरियों का प्रयास किया गया। इस दौरान सामानों को तितर-बितर किया गया। हर बार थाना सराय ख्वाजा को तहरीर दी गयी,लेकिन एक बार भी मामले की जांच नही हुई न ही चोरी का खुलासा ही किया गया। इसके पीछे जो कारण सामने आया वह यह कि विश्वविद्यालय प्रशासन के दबाव के कारण पुलिस ने मामले का पर्दाफाश नहीं किया।

कुलपति को भी कटघरे में खड़ा किया

स्मृत राज ने कुलपति प्रो.राजाराम यादव,उपकुलसचिव संजीव सिंह एवं एक महिला कर्मचारी को कटघरे में खड़ा करते हुए अपने पिता की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है। उसका आरोप है कि उपरोक्त लोग भ्रष्टाचार में संलिप्त रहे है जिसके कागजात मेरे पिता थे। उसे पाने के लिए उन्हें इतना प्रताडि़त किया कि वे अवसाद में चले गये जिससे उनकी मौत हुई। कालोनी के बाहर हर समय सुरक्षा गार्ड मौजूद रहते हैं। इसके बाद भी मेरे ही आवास में तीन बार चोरी की घटनाएं हुईं। चोर रुपया-पैसा नहीं ले गए। केवल कुछ अभिलेखों को बिखेरकर चले गए। इससे साफ है कि उन्हें केवल भ्रष्टाचार के अभिलेखों की तलाश रहती है।

जानमाल की सुरक्षा की गुहार

इसके साथ ही स्मृत राज ने अपने पत्र में विश्वविद्यालय के सुरक्षा कर्मियों से स्वयं एवं अपने परिवार को खतरा बताया है और कहा है कि हमारे परिवार के साथ कोई भी अनहोनी हो सकती है। उन्होंने पुलिस अधीक्षक से पूरे मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई एवं अपने परिवार के जान माल की सुरक्षा की गुहार लगायी है। वायरल पत्र एवं वीडियो के बारे में विश्वविद्यालय प्रशासन से बात करने की कोशिश की गयी मगर कुलपति से लेकर अन्य जिम्मेदार लोगों ने इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। विगत कई दिनों से सोशल मीडिया पर पत्र एवं वीडियो चर्चा का विषय बना हुआ है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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