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फतवा कोई फरमान नहीं है - मौलाना महमूद मदनी

Anoop Ojha
Published on: 13 Oct 2018 3:30 PM IST
फतवा कोई फरमान नहीं है - मौलाना महमूद मदनी
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सहारनपुर: उत्तराखंड हाईकोर्ट के फतवों पर रोक लगाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को स्थगनादेश जारी कर दिया है। देश में मुसलमानों की सबसे बड़ी जमात जमीयत उलमा-ए-हिंद (महमूद गुट) ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले पर स्थगनादेश दिए जाने के बाद जमीयत उलेमा ए हिंद ने खुशी जाहिर की हैं। जमीयत के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि फतवा कोई फरमान नहीं है।

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विगत 30 अगस्त को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने धार्मिक संस्थाओं द्वारा जारी किए जाने वाले फतवों को असंवैधानिक बताते हुए इन्हें प्रतिबंधित कर दिया था। अदालत के इस निर्णय के बाद देशभर में इस्लामी हल्कों में बेचैनी थी। जमीयत उलमा-ए-हिंद ने इसे संविधान की धारा 141 के खिलाफ और पूर्व में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के विरुद्ध बताया और जमीयत के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। गत चार सितंबर को उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ जमीयत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि हाईकोर्ट का यह फैसला भारतीय संविधान के अनुच्छेद 26 और विश्वालोचन मदान केस बनाम भारत सरकार में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विपरीत है।

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भारतीय संविधान के अनुच्छेद 26बी में सभी को अपनी धार्मिक समस्याओं में स्वयं के प्रबंध का अधिकार दिया गया है। इसलिए इसे कोई भी अदालत खत्म नहीं कर सकती है। जमीयत की ओर से दायर की गई इस याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद उत्तराखंड हाईकोर्ट के उक्त निर्णय पर स्थगनादेश जारी कर दिया है। याचिकाकर्ता एवं जमीयत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने स्थगनादेश मिलने पर संतुष्टि का इजहार किया और कहा कि देश के कोने-कोने में दारुल इफ्ता धार्मिक मार्गदर्शन का कर्तव्य अंजाम दे रहा है। यह बात स्पष्ट रूप से समझ लेनी चाहिए कि फतवा कोई फरमान नहीं है। उन्होंने इस मामले में स्थगनादेश दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट का आभार जताया है।



Anoop Ojha

Anoop Ojha

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