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Sonbhadra News: सोनभद्र में डीएपी के लिए मारामारी, प्राइवेट दुकानदारों की चांदी

Sonbhadra News: सोनभद्र की समितियों से लगभग एक पखवाड़े से डीएपी पूरी तरह नदारद हैं। मंगलवार देर शाम तक 1200 एमटी की एक रैक आने की उम्मीद भी जताई जा रही है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 6 Dec 2022 9:13 PM IST
Fighting for DAP in Sonbhadra private shopkeepers happy
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Fighting for DAP in Sonbhadra private shopkeepers happy (Newstrack)

Sonbhadra News: खरीफ की मसल को लेकर मौसम की मार से बेहाल किसान, अब डीएपी के संकट से जूझ रहे हैं। हालात यह है कि सोनभद्र की समितियों से लगभग एक पखवाड़े से डीएपी पूरी तरह नदारद हैं। मंगलवार देर शाम तक 1200 एमटी की एक रैक आने की उम्मीद भी जताई जा रही है। तय समय पर यह रैक मिल भी गई तो समितियों पर पहुंचने में कम से कम दो से तीन दिन का वक्त लग सकता है। इसके चलते प्राइवेट दुकानदारों की चांदी कट रही है।

बताते चलें कि जिले में 60 से अधिक साधन सहकारी समितियां मौजूद हैं। इसके जरिए रबी और खरीफ दोनों सीजन में किसानों के लिए खाद की बड़ी जरूरत पूरी की जाती है। इस बार बारिश कम होने के कारण, लगभग 70 प्रतिशत भूभाग पर धान की रोपाई नहीं हो सकी।

इसके बावजूद, खरीफ के फसल की बोवाई और सिंचाई ने जोर पकड़ा तो समितियों से डीएपी नदारद हो गई। एक-दो दिन नहीं बल्कि 15 दिन से समितियों से डीएपी नदारद है। कहीं-कहीं इससे भी पहले से डीएपी खत्म होने की बात बताई जा रही है।

इसके चलते जब किसान खाद के लिए समितियों पर पहुंच रहे हैं तो कई केंद्रों पर ताला लटकता मिल रहा है। कहा जा रहा है कि जनपद सृजन के बाद बाद पहली बार ऐसा हुआ कि जब सभी समितियों से एक साथ डीएपी गायब हो गई है।

इसके चलते किसानों को महंगी कीमत पर प्राइवेट दुकानदारों से डीएपी तो खरीदनी ही पड़ रही है। कम गुणवत्ता वाली और नकली डीएपी मिलने का भी खतरा सता रहा है। इसको पड़ोसी राज्यों से सटी सीमा पर तस्करों को भी तेजी से सक्रिय होने की चर्चा है।

अधिकारी समय से डिमांड भेजने की बात कह, कर रहे किनारा

बताते हैं कि जिले के लिए रबी के सीजन पर 5592 टन डीएवी की मांग पहले से अनुमानित है। इसको देखते हुए बुआई का काम तेजी पकड़ते-पकड़ते आधी खाद मंगा ली जाती है लेकिन इस बार ऐसा हुआ कि महज 1700 एमटी खाद ही उपलब्ध हो पाई।

वह भी समितियों पर पहुंचते ही दो से तीन के भीतर गायब हो गई। दिलचस्प मसला यह है कि 10 प्रतिशत खाद रिजर्व में रखी जाती है लेकिन इस बार रिजर्व का भी कोटा खत्म कर दिया गया है।

खरीफ के सीजन में डीएवी की कम खपत के बावजूद, जिस तरह से संकट की स्थिति सामने आई है। उसने कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं एआर कोआपरेटिव मिहिर पात्रा का कहना था कि तीन हजार एमटी की डिमांड भेजी गई थी।

मांग के मुताबिक डीएपी न मिलने से संकट की स्थिति बनी है। 1200 एमटी की रैक मंगलवार रात तक पहुंच रही है। एक-दो दिन में उसे समितियों पर भेजने का काम शुरू कर दिया जाएगा। दूसरी रैक भी जल्द उपलब्ध हो जाए, इसको लेकर प्रयास जारी हैं।



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Durgesh Sharma

Durgesh Sharma

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