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Lucknow Film Festival: 'तिलसिम' का हुआ समापन, एक्ट्रेस सीमा पाहवा बोलीं- 'फ़िल्म निर्माण में जो फील्ड चुनें, जी जान से करें मेहनत'

Lucknow Film Festival: लखनऊ फि‍ल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन चांदनी जाफरी ने बताया कि किस प्रकार मीडिया और मनोरजंन उद्योग के जरिए एसेट्स (परिसंपत्तियां) बनाए जा सकते हैं

Shashwat Mishra
Published on: 5 Nov 2022 8:46 PM IST
Lucknow Indira Gandhi Foundation Organized Film Festival Tilsim concludes
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Lucknow Indira Gandhi Foundation Organized Film Festival Tilsim concludes 

Lucknow Film Festival: इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित लखनऊ फि‍ल्म फेस्टिवल 'तिलिस्म' का दूसरा दिन अभिनेता, निर्माता, निर्देशकों और जानी-मानी हस्तियों की मौजूदगी से गुलजार रहा। शनिवार को कई चर्चित ह‍स्तियों ने मीडिया व एंटरटेनमेंट के छात्रों संग फि‍ल्म निर्माण के रचनात्मक पहलुओं पर रोचक चर्चा कीं। साथ ही उन्हें करियर में सफलता के टिप्स भी दिए।

लखनऊ फि‍ल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन चांदनी जाफरी ने बताया कि किस प्रकार मीडिया और मनोरजंन उद्योग के जरिए एसेट्स (परिसंपत्तियां) बनाए जा सकते हैं। उन्होंने वीएफएक्सफ (विजुअल इफेक्ट्स) एनीमेशन के वि‍भिन्न आयामों को विस्तार से समझाया।

विजुअल इफेक्ट्स ने दर्शकों के फिल्म देखने के अनुभव में लाए बदलाव : शिजी

उधर शिजी सुनील ने बताया कि वीएफएक्स (विजुअल इफेक्ट्स) ने किस तरह से लोगों के फिल्म देखने के अनुभव में बदलाव ला दिए हैं। बेहद अनुभवी अभिनेत्री सीमा पाहवा ने कहा कि मूल्य आधारित फिल्मों के निर्माण से समाज में आए नैतिक पतन को कम किया जा सकता है। इसके बाद हुए पैनल संवाद में अपर्णा यादव, ज्योति कपूर दास, आनंद प्रकाश माहेश्वतरी, सीमा पाहवा, किरीट खुराना, अंबिका शर्मा, चांदनी जाफरी ने हिस्सा लिया।

अंबिका शर्मा ने कहा- मीडिया और मनोरंजन उद्योग में प्रगति की अपार संभावनाएं और क्षमताएं हैं। आमतौर पर हर क्षेत्र में साल 2030 तक 6 से 7 प्रतिशत की विकास दर दिखाई देती है। इससे इस उद्योग के सुनहरे भविष्यक का का पता चलता है।

अनन्या शर्मा ने स्क्रिप्टर राइटिंग के गुर सिखाते हुए कहा कि बस एक बात मायने रखती है कि खराब स्क्रिप्ट लिखने से डरो मत, लेकिन लिखते रहो। यह मत सोचो कि तुम लिखने में अच्छे हो या नहीं, बस लिखते रहो। उन्होंने सुझाव दिया कि अच्छाे रहेगा कि कोई टीम या कमेटी पटकथा लेखकों और अभिनेताओं के साथ संबंधित प्रोडक्शछन हाउस को शामिल करा दें तो लेखन में मदद मिल जाएगी।

चांदनी जाफरी ने कहा, ''लखनऊ में बने अनुकूल वातावरण में प्रतिभाओं को संवारने का काम हो रहा है। हमारे पास ऑस्कर पुरस्कार जीतने लायक तकनीकी मौजूद हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले ऑस्कर विजेताओं के नाम लखनऊ से हो सकते हैं।"

बता दें कि पैनल चर्चा के दो विषय थे। पहला विषय- "हम उत्तर प्रदेश के मीडिया से संबंधित उम्मीदवारों को संयुक्त रूप से पेशेवर अवसर कैसे प्रदान कर सकते हैं और मी‍डिया और एंटरटेनमेंट उद्योग के लिए किस प्रकार कुशल प्रतिभा पूल बनाया जा सकता है?" दूसरा- "21वीं सदी के दर्शकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए फिल्म समारोह कैसे विकसित होने चाहिए? क्या फिल्म समारोह प्रभावी ढंग से संसाधनों और ज्ञान को साझा कर सकते हैं"?

फि‍ल्म फेस्टिवल के अंतिम दिन फिल्म "गुडमार्निंग" की स्क्रीनिंग हुई। वहीं ज्योति कपूर दास की "मेकिंग ऑफ शॉर्ट एंड इम्पैक्टफुल फिल्म्स" पर भी बातचीत हुई।

फि‍ल्म निर्देशक ज्योति कपूर दास ने बताया हमारे देश में सुनाने लायक बहुत सी प्रेरक कहानियां मौजूद हैं। इच्छुक छात्र ऐसी कहानियों को तलाशें और उनसे प्रेरणा लेकर आगे बढें। उन्होंने कहा कि लखनऊ शूटिंग का बड़ा केंद्र बन चुका है। यूपी में फिल्म सिटी भी है। उन्होंने शहर में जल्द ही एक फिल्म संस्थान के निर्माण होने का विश्वास जताया।

फिल्में बदलाव का वाहक बन सकती हैं: किरीट खुराना

फि‍ल्ममेकर किेरीट खुराना ने छात्रों से कहा- जो कुछ आप हासिल करना चाहते हैं, मुमकिन है कि उसमें संघर्षों का सामना करना पड़े। लेकिन जिंदगी में सफलता का कोई छोटा रास्ता नहीं है। आपको सफल बनने के लिए कड़ी मेहनत करनी ही होगी। उन्होंने कहा कि वास्तव में फिल्में बदलाव का वाहक बन सकती हैं क्योंकि ये दर्शकों पर जबरदस्त असर छोड़ती हैं। फिल्मों से सकारात्महक बदलाव लाना संभव है। इस दिशा में उन्होंने बदलाव लाने का बीड़ा उठाया है।


खुराना ने कहा 'तारे जमीन पर' जैसी प्रभावशाली फिल्म ने समाज की सोच में बदलाव लाने में मदद की है। प्रभावशाली फिल्में अपने आप में एक अभियान भी है। उन्होंने कहा कि कैसे फिल्मों के जरिए हाशिए पर जा चुके समाज के वर्ग की आवाज उठाई जा सकती है।

रत्ना सिन्हा ने बताया कि किस तरह एक विचार को कहानी में ढालकर तराशा जा सकता है। उन्होंने फिल्मों के व्यावसायिक दृ‍ष्टिकोण और इसकी विभिन्न शैलियों पर विचार रखे। उन्होंने बताया कि फि‍ल्म लेखन के लिए किरदार के दिमाग को पढ़ना-समझना बेहद जरूरी है। ये सबसे अहम चीज है।

प्रसिद्ध अभिनेत्री सीमा पाहवा ने छात्रों से कहा कि उन्हें फिल्म निर्माण में अपनी चुनी हुई फील्ड में जी जान लगानी चाहिए। समापन समारोह का संचालन वंदना अग्रवाल ने किया।

एमरेन फाउंडेशन की अध्यक्ष रेणुका टंडन ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर अमरीश टंडन, वंदना अग्रवाल और एलएफएफ टीम के सदस्यों अभिव्यक्ति सिंह, अदिति गुप्ता, डॉ अनामता रिजवी, अंजू नारायण, अमृता तुलसी, भव्य द्विवेदी, डॉ चारू रावत, साहिबा तुसली, सागर तुलसी, वरुण रस्तोगी, उषा और पूरी रेड ब्रिगेड टीम सहित शहर के गणमान्य अतिथि मौजूद थे।



Anant kumar shukla

Anant kumar shukla

Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

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