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Firozabad News: नवरात्रों में शियर देवी पर उमड़ी भक्तों की भीड़, आल्हा, ऊदल, मालिखान से जुड़ा है इतिहास
Firozabad News: तहसील मुख्यालय से 12 किमी दूर कोट कसौंदी गाँव में शियर माता देवी का मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है। शियर माता निषाद समाज की कुल देवी हैं। मंदिर की स्थापना कोट कसौंदी रियासत के राजा गजराजा ने कराई थी।
Firozabad News: फिरोजाबाद जनपद के टूण्डला तहसील क्षेत्र में यमुना के किनारे शियर देवी मंदिर में आज कल माता के भक्तों की भारी भीड़ देखी जा रही है, जहाँ हजारों की तादात में श्रद्धालु रोज माता के दर्शनों को पहुँच रहे हैं। लोगों की मनोकामना पूरी होने पर माता के मंदिर पर चढ़ाए जा रहे हैं झंडे और मंदिर में माता के जयकारे गूंज रहे हैं।
बेहड़ में है माता का मंदिर
तहसील मुख्यालय से 12 किमी दूर कोट कसौंदी गाँव में शियर माता देवी का मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है। शियर माता निषाद समाज की कुल देवी हैं। मंदिर की स्थापना कोट कसौंदी रियासत के राजा गजराजा ने कराई थी। बुंदेलखंड के वीर योद्धा आल्हा ऊदल ने यहां मल विद्या भी सीखी थी। देश भर के निषाद समाज के लोग यहां दर्शन करने आते हैं और नेजा चढ़ाते है। यमुना के किनारे बने इस शियर देवी मंदिर को कोट कसौदी के मंदिर के नाम से लोग जानते हैं। माता के दर्शनों को लोग दूर-दूर से आते हैं और अपनी मन की कामना माता से मांगते हैं।
गजराजा का आल्हा ऊदल मालिखान सिंह से हुआ था युद्ध
कोट कसौदी के राजा गजराज सिंह से एक बार आल्हा ऊदल और उनके चचेरे भाई मालिखान सिंह का भयंकर युद्ध हुआ था। जिसमें गजराजा को युद्ध में हार का मुंह देखना पड़ा था। जिसके बाद कोट कसौदी के राजा गजराज ने अपनी पुत्री गजमोतिनि से मालिखान सिंह का इसी मंदिर में विवाह हुआ था। माता का आशिर्वाद लेकर दोनों का विवाह हुआ था। तब से लेकर आज तक इस मंदिर में हजारों श्रद्धालु नवरात्र के अवसर पर लोग माता के दर्शनों को आते हैं और माता पर झंडे नेजे चढ़ाते हैं। यहाँ इन दिनों बहुत बड़ा मेला भी लगता है।