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Firozabad News: 42 साल बाद कोर्ट का फैसला, 90 वर्षीय बुजुर्ग को आजीवन कारावास की सजा

Firozabad News: मामले के 10 में से नौ आरोपितों की मौत हो चुकी है। जबकि जीवित बचे एक मात्र आरोपित 90 वर्ष की उम्र के हैं। उन्हें तत्कालीन मामले में दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

Brajesh Rathore
Published on: 1 Jun 2023 9:55 PM IST

Firozabad News: 1981 में दलित जाटव समुदाय के नरसंहार के मामले में अदालत ने फैसला सुनाया है। करीब 42 साल बाद आए अदालत का निर्णय से पीड़ितों को न्याय मिला। हालांकि, इस दरम्यान इस मामले के 10 में से नौ आरोपितों की मौत हो चुकी है। जबकि जीवित बचे एक मात्र आरोपित 90 वर्ष की उम्र के हैं। उन्हें तत्कालीन मामले में दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

ये था उस दौरान का पूरा मामला

मैनपुरी जिले के शिकोहाबाद कोतवाली क्षेत्र के साडूपुर गांव में वर्तमान फिरोजाबाद जिले के थाना मक्खनपुर क्षेत्र में 1981 में दलित जाटव समुदाय का नरसंहार हुआ था। उस समय केंद्र में इंदिरा गांधी की सरकार थी। प्रदेश में वीपी सिंह मुख्यमंत्री थे। उस समय इस गांव में बदमाशों ने जाटव समाज के 10 लोगों को गोलियों से भून दिया था। जिसमें कैलाश, हरिशंकर, महेंद्र, सुरेश, प्रेमसिंह, चमेली, सगुना देवी, पार्वती और बैकुंठी की मौत हुई थी। उस दौरान जब इस मामले की रिपोर्ट दर्ज हुई थी, प्रदेश में राजनीतिक भूचाल आ गया था। उस वक्त मैनपुरी जिले में एक माह में ये दोहरा दलित हत्याकांड था।

तब प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने किया था गांव का दौरा

इस घटना के बाद सहानभूति के नाम पर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और मुख्यमंत्री बीपी सिंह ने गांव दौरा किया था और पीड़ितों से मुलाकात की थी। तब विपक्ष के नेता पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने तमाम नेताओं के साथ दिहुली से साडूपुर गांव तक पदयात्रा की थी और पीड़ितों को हर संभव मदद का वादा किया था। लेकिन पीड़ितों का कहना है कि आज तक उन्हें समुचित सरकारी मदद उपलब्ध नहीं हो सकी है। कहा जाता है कि सरकार द्वारा पीड़ितों को शिकोहाबाद नगर में पशु चिकित्सालय के पास दुकान दी गई थी, जिसपर बाद में दबंगों ने कब्जा कर लिया। ग्रामीणों ने शिकायत की कोई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

तब मुख्यमंत्री की चली गई थी कुर्सी, आज ये कहना है पीड़ितों का

दिहुली के बाद साडूपुर कांड की आवाज पूरे देश और प्रदेश में गूंजी थी। सियासी भूचाल के बीच तब तत्कालीन मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह को त्याग पत्र देना पड़ा था। बहरहाल, अदालत का फैसला आने पर पीड़ित परिवार के लोगों ने खुशी जाहिर की और न्याय पर विश्वास जताया। उस दौरान रामभरोसी लाल के दो बेटे एक बेटी की हत्या हुई थी। उन्होंने कहा- ‘निर्णय हुआ अच्छा है, लेकिन थोड़ा लेट है, वो अदालत का निर्णय से खुश हैं।’

पीड़िता ने कहा- ‘नहीं मिली परिवार को नौकरी’

इस घटना में प्रेमवती नाम की महिला के परिवार के पांच लोगों की हत्या हुई थी। उनका कहना है कि तब सरकार ने फ्री बिजली और सरकारी नौकरी वादा किया था, कोई पूरा नहीं हुआ। अदालत के निर्णय से वो खुश हैं। इसी तरह पीड़ित रामनरेश ने कहा कि सरकार ने घोषणा काफी की थी। लेकिन फायदा कुछ नहीं हुआ। शिकोहाबाद नगर में दुकाने दी गईं लेकिन दबंगो ने उसे कब्जा कर लिया। इसी तरह पीड़ित महेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार की तमाम घोषणा के बावजूद कुछ नहीं मिला। ग्राम प्रधान अरविंद कठेरिया का कहना है कि अदालत के निर्णय का स्वागत है। लेकिन नेताओं के अपने वादे पूरे नहीं किए।

आज भी सिहर उठते हैं उस घटना को याद कर

साडूपुर गांव के लोग आज भी उस घटना को याद कर सहम जाते हैं। अपनी पीड़ा छुपा नहीं पाते। दर्द चेहरे पर साफ झलकता है। कुछ लोग मजदूरों की जिंदगी जी रहे हैं और पीड़ित परिवार सरकार पर वादे पूरे नहीं करने का आरोप लगाते नहीं थकते हैं।



Brajesh Rathore

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