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पहली बार नोएडा में 3डी मैपिंग, अमेरिकन तकनीक पर होगा सिस्‍टम

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Published on: 22 Sep 2016 10:32 AM GMT
पहली बार नोएडा में 3डी मैपिंग, अमेरिकन तकनीक पर होगा सिस्‍टम
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नोएडा: यूपी में पहली बार किसी शहर का 3डी मॉडल तैयार होने जा रहा है। इसकी शुरुआत नोएडा के व्यवसायिक सेक्टर से हो चुकी है। एक हफ्ते पहले ही इस मॉडल का प्रेजेंटेशन देखा जा चुका है। अधिकारियों की मानें तो नोएडा के अलावा ग्रेटर नोएडा यमुना एक्सप्रेस-वे के इलाकों का भी 3डी मॉडल तैयार किया जाएगा।

हैदराबाद की नेशनल रिमोट सेंसिंग कंपनी की ओर से काम किया जा रहा है। अथॉरिटी को अब कंपनी की ओर से 0.3 मीटर रेजुल्यूशन का इंतजार कर रही है। प्राधिकरण के सईओ पीके अग्रवाल ने बताया कि यह सिस्टम अमेरिका की तकनीक पर आधारित होगा। 2017 तक मैपिंग का कार्य पूरा कर लिया जाएगा।

इस तरह से हो रहा है काम

-नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि कंपनी हाई रेजुल्यूशन पर काम कर रही है।

-जिसका एक महीने में रिजल्ट सामने दिखाई देने लगेगा।

-अधिकारियों ने बताया कि पहले हमारी ओर से 0.6 से 0.9 मीटर रेजुल्यूशन पर काम हो रहा हैै।

-अधिकारियों की मानें तो पब्लिक यूज में 0.3 मीटर रेजुल्यूशन सबसे लेटेस्ट टेक्रोलॉजी है।

-इसे अमेरिका में तैयार किया गया है। ये टेक्रोलॉजी नोएडा की 3डी मैैपिंग में भी सहायक होगी।

आखिर क्या है 3डी मैपिंग?

3डी मैपिंग एक ऐसी तकनीक है जिसका इस्तेमाल करके थ्री-डायमेंशनल ऑब्जेक्ट तैयार किए जाते हैं। एक ही प्रोडक्ट के कई लेयर्स का इस्तेमाल करके और डिजिटल फाइल की मदद से इसमें मैटेरियल (ज़्यादातर इसमें प्लास्टिक के अलग-अलग फॉर्म का इस्तेमाल होता है) को एक के ऊपर एक लगाया (एक क्रम में) जाता है, जब तक फाइनल प्रोडक्ट थ्री-डायमेंशनल फिगर में न बदल जाए।

कैसे काम करती है?

-इसे बनाने की शुरुआत पहले एक वर्चुअल डिजाइन से की जाती है (जो ऑब्जेक्ट बनाना होता है उसका पहले एक वर्चुअल डिज़ाइन तैयार किया जाता है)।

-इसे कैड (कंप्यूटर एडेड डिजाइन) सॉफ्टवेयर की मदद से तैयार किया जाता है।

-इसमें एक पूरी तरह नई डिज़ाइन या पुराने डिज़ाइन को स्कैन करके, इसे बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है।

पहले ही मिल जाएगी अतिक्रमण संबंधित जानकारी

-अक्सर देखा गया है कि प्राधिकरण योजना तो बनाता है लेकिन अतिक्रमण व अन्य कारणों से योजना अपने तय समय में पूरी नहीं हो पाती।

-इससे प्राधिकरण को अतरिक्त बजट खर्च करना पड़ता है।

-इस तकनीक के माध्यम से प्लानिंग स्टेज में ही पता चल सकेगा कि वहां अतिक्रमण है या नहीं।

-यदि है तो कितने क्षेत्र में फैला है। उसे प्राथमिकता के तौर पर हटाया जा सकेगा।

-या कोई अन्य बाधा इलेक्ट्रानिक व पाइप लाइन जिसे योजना से पहले ही शिफ्ट किया जा सकेगा।

कैसे करेगा काम

-उदाहरण के तौर पर यादि सेक्टर-11 में मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण करना है।

-पार्किंग की क्षमता के व बिल्डिंग की ऊचाई, फ्लोर के हिसाब से एक 3डी आलेख तैयार किया जाएगा।

-इस आलेख को सेक्टर-11 के थ्री डी मैप में उस स्थान पर सेट किया जाएगा जहा पार्किंग प्रस्तावित है।

-विकल्पों के आधार पर पार्किंग निर्माण में आने वाली सभी बाधाओं को मैप पहले ही बता देगा।

रडार बेस पर होगी थ्री मैपिंग

-शहर में बनाए जाने वाला 3डी मैप रडार बेस पर बनाया जाएगा।

-अधिकारियों के मुताबिक एक वैन रडार सिस्टम पर आधारित होगी।

-मसलन यदि हमें एमपी-०1 व ०2 की थ्री मैपिंग करनी है तो रडार वैन उन दोनों सड़को पर चलेगी।

-एक निश्चित दूरी तक की सभी चीजे रडार के माध्यम से थ्री डी में बदलती जाएंगी।

-इसकी पिक्सल कंप्यूटर में अपलोड होते जाएंगे।

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