5 मिनट की इस ‘लीला’ को देखने पहुंचते हैं लाखों लोग, भाईयों का प्रेम देख भर आती हैं लोगों की आंखें

sudhanshu
Published on: 20 Oct 2018 1:08 PM GMT
5 मिनट की इस ‘लीला’ को देखने पहुंचते हैं लाखों लोग, भाईयों का प्रेम देख भर आती हैं लोगों की आंखें
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वाराणसी: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जन्मस्थली भले ही अयोध्या रही हो लेकिन रामभक्ति के जनांदोलन का रुप काशी में ही देखने को मिलता है। राम से जुड़ी हर लीला, यहां अलग अंदाज में होती है। इन्हीं में से एक है भाई-भाई के प्रेम का प्रतीक लक्खा मेला भरत मिलाप। महज पांच मिनट की लीला और इस अद्भुत पल के इंतजार में वाराणसी के नाटी इमली की सड़कों पर सुबह से ही भक्तों का हुजूम हिलोरे मार रहा था। अस्ताचलगामी सूर्य की किरणों के साथ प्रभु श्री राम और लक्ष्मण ने अपने सामने भारत शत्रुघ्न को नतमस्तक देख गले लगा लिया। अश्रुधाराओं के बीच श्रीराम काफी देर तक भाइयों को गले लगाए रहे।

चार शताब्दियों से चली आ रही है परंपरा

इस दौरान मंच की छटा ऐसी थी कि मानो कलियुग में त्रेता काल उतर आया हो। इस झांकी के दर्शन के लिए देश-विदेश के लोगों की भीड़ उमड़ी थी। श्रीराम भक्तों से नाटी इमली का कोना-कोना, छत-बरामदों से लगायत हर स्थान ठंसाल पड़ा था। यहां बुजुर्ग, युवा या बालमन सभी ने पलकों में प्रभु की मूरत बसाए, लीला मंच पर नजरें गड़ाए एक झलक पा लेने का दूसरे प्रहर से ही जतन किया। आधुनिकता और बदलते दौर के बावजूद चार शताब्दियों से ये परंपरा चली आ रही है। रामनगर में चित्रकूट रामलीला समिति की रामलीला का भरत मिलाप दैवीय शक्तियों के बीच हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी संपन्न हुआ। जैसे ही घडी में चार बजकर 40 मिनट का समय हुआ और अस्ताचलगामी सूर्य की रौशनी एक नियत स्थान पर पड़ी गोस्वामी तुलसी दास की लिखी गयी पंक्तियां जैसे ही कंठ से फूटी 14 वर्षों बाद वनवास से वापस लौटे भगवान् श्रीराम भाइयों को देख खुद को रोक न पाए और उनकी तरफ दौड़ लगा दी।

खास अंदाज में होते हैं यादव बंधु

मिलन झांकी के बाद पुष्पक विमान पर सवार चारों भाई, माता सीता और पवनसुत अवध के लिए रवाना हुए। विमान को कंधे से लगाए यादव बंधुओं ने लीलास्थल पर घुमाया और लोगों को प्रभु का दर्शन कराया। इस दौरान यादव बंधु खास पोशाक में रहते हैं। यादव बंधु सफेद रंग का कुर्ता पायजामा और सिर पर केसरिया साफा बांधे नजर आते हैं। लीला शुरू होने से पहले काशी नरेश अपने हाथी में बैठकर लीला स्थल पहुंचे तो सभी काशीवासियों ने हर हर महादेव के उद्घोष के साथ उनका स्वागत किया। उन्होंने देव स्वरूपों को सोने की गिन्नियां भेंट की और उसके चंद क्षणों बाद लीला शुरू हो गयी।

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