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50 लाख साल पुराने हाथी के इस पूर्वज का मिला जबड़ा, वैज्ञानिक भी हैरान

यह वह हाथी है जो पहली बार इन जंगलों में चला था। सहारनपुर मंडल के मुख्य वन संरक्षक/प्रभारी वन संरक्षक वीके जैन ने यह जानकारी दी है।

Aradhya Tripathi
Published on: 19 Jun 2020 7:12 PM IST
50 लाख साल पुराने हाथी के इस पूर्वज का मिला जबड़ा, वैज्ञानिक भी हैरान
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सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जनपद में शिवालिक के जंगल से हाथियों का 50 लाख साल पुराना नाता है। यहां शुक्रवार को बादशाही बाग रेंज में हाथी का 50 लाख साल पुराना फॉसिल (जीवाश्म) मिला है। बताया गया कि रेंज के तीन से चार किलोमीटर की दूरी पर यह जीवाश्म मिला है। देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने इसे प्रमाणित किया। कार्बन डेटिंग से जीवाश्म की उम्र की जानकारी मिली है। अब टाइगर रिजर्व का रास्ता भी साफ हो गया है।

स्टेगोडॉन के पूर्व का मिला जीवाश्म

यह वह हाथी है जो पहली बार इन जंगलों में चला था। सहारनपुर मंडल के मुख्य वन संरक्षक/प्रभारी वन संरक्षक वीके जैन ने यह जानकारी दी है। सहारनपुर के बादशाही बाग के डाठा सौत के किनारे एक हाथी का फौसिल्स प्राप्त किया गया। बता दें कि जनपद सहारनपुर के अंतर्गत शिवालिक वन प्रभाग, सहारनपुर का एक वन क्षेत्र है। जिसमें वन्य जीवों की गणना का कार्य पिछले 6 माह से किया जा रहा है। इसी के चलते इस क्षेत्र में विशेष सर्वेक्षण भी वन प्रभाग द्वारा किया गया। सर्वेक्षण के दौरान एक हाथी का फौसिल्स प्राप्त किया गया।

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इस फौसिल्स का अध्ययन वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी देहरादून के वैज्ञानिकों से करवाया गया। उनके द्वारा बताया गया कि यह फौसिल्स हाथी के पूर्वज का है जिसको "स्टेगोडॉन" कहते है जो कि वर्तमान में विलुप्त हो चुके हैं। यह फौसिल्स लगभग 50 लाख वर्षों से अधिक पुराना है और इस क्षेत्र में प्रथम बार रिपोर्ट किया गया है। यह शिवालिक रेंज की डॉकपठान फार्मेशन का है। "स्टेगोडॉन" का दाँत 12 से 18 फीट लंबा होता था।

50 लाख साल पुराना हाथी का जबड़ा

मुख्य वन संरक्षक वीरेंद्र कुमार जैन, सहारनपुर ने बताया कि विशेष सर्वेक्षण के दौरान यह 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जबड़ा हमें मिला। जिसका सर्वे हमने वाडिया इंस्टीट्यूट से करवाया है। उन्होंने बताया कि यह जबड़ा हाथी के पूर्वजों का है जो लगभग 50 लाख वर्ष पुराना है। उस समय उनके दांत 12 से 18 फीट लंबे होते थे और उस समय हिप्पोपोटेमश, घोड़ा समकालीन थे

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और आज का हाथी भी उसी का एक रूप है जिसमे धीरे-धीरे चेंजिंग आए हैं। ओर आज की तारिख में "स्टेगोडॉन" खत्म हो चुके है। लेकिन जो उनके डीएनए के थ्रू उनके जो चेंजेज आए हैं जो आज का हाथी है ये अफ्रीकन व इंडियन प्रजाति में एगजेस कर रहा है।

रिपोर्ट- नीना जैन

Aradhya Tripathi

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