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Foreigners की पहली पसंद है पैबंदी बेर,मिठास में आम को भी देता है मात
सहारनपुरः विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक संस्था दारुल उलूम की वजह से अपनी खास पहचान रखने वाला फतवों का शहर देवबंद, पैबंदी बेर के कारण भी पोपुलर है। यहां पर फरवरी मार्च माह में बाजारों में बिकने वाला बेर फलों के राजा आम और दूसरे फलों की मिठास को भी मात दे देता है। विदेश से आने वाले मेहमान भी पैबंदी बेर को खूब पसंद करते है।
पाकिस्तान भी है खरीददार
-पाकिस्तान से आने वाले मेहमान भारी मात्रा में बेर खरीद कर अपने मुल्क ले जाते हैं।
-दारुल उलूम में पढ़ने वाले दूसरे देशों के छात्र यहां के बेर अपने मुल्क में केवल इसलिए भेजते हैं क्योंकि इसकी मिठास दूसरे फलों को मात देती है।
-दुकानदार इसे लड्डू और पेड़ा के नाम से बुलाते हैं।
-वैसे से तो इन दिनों सभी शहरों के बाजारों में बेर बिकते नजर आते हैं, लेकिन देवबंद के पैबंदी बेर की मिठास और खुशबू बरबस ही हर किसी को अपनी ओर खींच लेती है।
-देवबंद के पुराने बाजार में गुजरने पर यहां पर लोगों को मेरे लड्डू हो गए बेर, मेरा पेड़ा हो गया बेर आदि गीतों को गाते हुए फल विक्रेताओं की आवाज सुनाई पड़ जाएगी।
-बेर को लड्डू और पेड़ा कहे जाने के पीछे भी एक खास वजह है। यहां पर बेर बेचने वाले फल विक्रेताओं का मानना है कि देवबंद का बेर लड्डू और पेड़ा की माफिक मीठा है।
चीरा वाला बेर है पहचान, होता है ज्यादा मीठा
-एक जमाने में देवबंद में हर तरफ बेरियों के बाग होते थे, समय बदलने के साथ इन बागों की संख्या कम जरुर हुई है, लेकिन बेरों की मिठास नहीं।
-इस बेर की खास पहचान यह है कि यह करीब दो इंच लंबा और एक इंच मोटा होने के साथ ही इसमें एक चीरा होता है।
-चीरा वाला बेर बेहद ही मीठा व जायकेदार होता है, जबकि कांठा बेर खट्टा मीठा होता है।
-इस बेर में आया प्राकृतिक चीरा ही इसकी पहचान है।
-इस विशिष्ठ पहचान की वजह से ही पाकिस्तान, बांग्लादेश व अन्य मुस्लिम देशों के लोग यहां के बेर को अपने साथ ले जाना नहीं भूलते।
संतरे और अंगूर से भी महंगे बेर
-मंडी में देवबंद का बेर 60-80 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है।
-इस मौसम में बिकने वाले संतरा और अंगूर से महंगा है।
-लेकिन शौकीन इसकी परवाह नहीं करते ।
इसलिए कहते हैं पैबंदी बेर
-फरवरी-मार्च माह में आने वाले इस बेर के बाग 1970 तक देवबंद की सीमाओं के चारों ओर बड़ी तादाद में थे।
-ये बेरियां पैबंद देकर लगाई जाती थी, जिसको कलम लगाना भी कहते हैं।
-इसी वजह से इसे पैबंदी बेर कहा जाता है।