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Sonbhadra News: नमामि गंगे की परियोजना में लगा दिए गए वनों की सुरक्षा दीवार के पत्थर, वनकर्मियों पर पत्थर बेचने का आरोप
Sonbhadra News: नमामि गंगे के तहत सोन के पानी पर आधारित पेयजल परियोजना के निर्माण में, जंगल की सुरक्षा दिवार के पत्थर उठाकर लगा दिए गए हैं।
Sonbhadra News: प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) और सीएम योगी (CM Yogi Adityanath) की महत्वाकांक्षी योजना नमामि गंगे (हर घर नल से जल) में मानकों की अनदेखी तथा आस-पास पड़े पत्थर-बालू को हटाकर निर्माण कार्य में प्रयोग किए जाने की शिकायत थमने का नाम नहीं ले रही है।
ताजा मामला गुरमा वन रेंज तथा सोन नदी से सटे रिजुल एरिया का बताया जा रहा है। आरोप है कि यहां नमामि गंगे के तहत सोन के पानी पर आधारित पेयजल परियोजना के निर्माण में, जंगल की सुरक्षा दिवार के पत्थर उठाकर लगा दिए गए हैं। इसमें संबंधित बीट के वनकर्मियों की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है। इसको लेकर एक भाजपा नेता की तरफ से आनलाइन शिकायत भी दर्ज कराई गई है, जिस पर डीएफओ सोनभद्र को मामले की जांच कर स्थिति से अवगत कराने के निर्देश दिए गए हैं।
पेयजल परियोजना का निर्माण
बताते चलें कि नमामि गंगे योजना (Namami Gange Scheme) के तहत रिजुल गांव में सोन किनारे एक पेयजल परियोजना का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए नदी से पानी उठाकर, उसे ट्रीट किया जाएगा। इसके बाद उसे जगह-जगह स्थापित की जा रही पानी टंकियों के जरिए, हर घर नल योजना के तहत, गांवों में पेयजल की आपूर्ति दी जाएगी।
भाजपा नेता जनार्दन बैसवार आदि ग्रामीणों का आरोप है कि रिजूल ग्राम पंचायत में हनुमान मंदिर के पास सोन नदी में बनाये जा रहे इंटक वेल, ट्रीटमेंट प्लांट सहित अन्य निर्माण कार्यों में, पास के जंगल की सुरक्षा के लिए, बनाई गई सुरक्षा दिवार के पत्थर उठा लिए जा रहे है। ग्रामीणों द्वारा किए जा रहे दावों को सच मानें तो फॉरेस्ट चैकी कदरा से बैरहवा टोला तक बनाई गई सुरक्षा दीवाल का पूरा पत्थर, संबंधित ठेकेदार के जरिए परियोजना के निर्माण कार्य में खपा दिया गया है। इसमें कदरा बीट इंचार्ज की भी मिलीभगत होने का दावा किया जा रहा है।
ग्रामिणों का आरोप है कि कदरा बीट इंचार्ज की तरफ से परियोजना निर्माण का कार्य कर रहे लोगों से मिल कर सुरक्षा दिवार के पत्थर बेच दिए गए हैं और उसे तेजी से उठाकर निर्माण कार्य में प्रयुक्त भी किया जा रहा है। मौके पर एक किमी से अधिक का सुरक्षा दिवार गायब होने की तस्वीर भी दिखाई जा रही है। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि नदी किनारे और उसके नजदीक जो कार्य हुए हैं, उसमें भी बगैर किसी अनुमति, बगैर सरकार को कोई रायल्टी दिए, नदी से ही बालू उठाकर उपयोग कर लिया गया है।
डीएफओ सोनभद्र को प्रकरण की जांच कराने का निर्देश
चूंकि नदी किनारे का मामला है और इस निर्माण कार्य में बालू भी सोन नदी का ही प्रयुक्त होना है, इसलिए इस पर किसी की नजर भी नहीं पड़ रही। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार, परियोजना से जुड़े अधिकारी भी यहां दौरा कर चुके हैं, बावजूद इन चीजों पर उनकी नजर क्यूं नहीं पड़ रही। यह समझ से परे है। उधर, जनार्दन बैसवार की तरफ से की गई आनलाइन शिकायत पर मामले की जांच के आदेश दे दिए गए है। डीएफओ सोनभद्र को प्रकरण की जांच कर छह जुलाई तक स्थिति से अवगत कराने का निर्देश दिया गया है।
इस बारे में जानकारी के लिए गुरमा रेंजर सीपी तिवारी के सेलफोन पर कॉल की गई लेकिन वह उपलब्ध नहीं हो पाए। वहींं, इस योजना को कोआर्डिनेट कर रहे एडीएम नमामि गंगे आशुतोष द्विवेदी ने सेलफोन पर कहा कि उनकी परियोजना में सुरक्षा दीवार के पत्थरों का कोई उपयोग नहीं है। स्टैंडर्ड साइज की गिट्टी- पत्थर प्रयोग किए जाने हैं, इसकी आपूर्ति अधिकृत जगह से ली जानी है। फिर भी मामले की जानकारी की जाएगी। अगर ग्रामीणों का आरोप सही मिला तो कार्रवाई होगी।