Sonbhadra News: फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में पूर्व विधायक रूबी प्रसाद की बढ़ी मुश्किलें, होगी कार्रवाई

Sonbhadra News: जाति प्रमाण पत्र मामले में पूर्व विधायक रूबी प्रसाद की मुश्किलें बढ़ गई हैं प्रमुख सचिव विधानसभा को पेंशन को लेकर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।

Kaushlendra Pandey
Published on: 23 Jun 2022 1:08 PM GMT
Sonbhadra News: In the fake caste certificate case, the troubles of former MLA Ruby Prasad increased, action will be taken
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पूर्व विधायक रूबी प्रसाद: Photo - Social Media

Sonbhadra News: कथित फर्जी अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र (SC certificate) के मामले में दुद्धी की पूर्व विधायक तथा मौजूदा समय में भाजपा नेता रूबी प्रसाद (BJP leader Ruby Prasad) की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। राज्य स्तरीय स्क्रूटनी कमेटी द्वारा माह भर पूर्व प्रमाण पत्र को फर्जी बताए जाने के बाद जहां शासन से डीएम को प्रमाण पत्र निरस्त कर, संबंधित तहसीलदार, कानूनगो और लेखपाल के साथ ही पूर्व विधायक के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए जा चुके हैं।

वहीं अब पूर्व विधायक की पेंशन के मामले में (Former MLA pension case) प्रमुख सचिव विधानसभा सचिवालय को अग्रेतर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। इस निर्देश से जहां जिले की सियासी हलचल बढ़ गई है। वहीं पूर्व विधायक खेमे की तरफ से, कोर्ट से राहत मिलने के किए जा रहे दावे के बीच, शासन की तरफ से मामले में शुरू की गई बड़ी कार्रवाई ने हड़कंप की स्थिति उत्पन्न कर दी है।

बताते चलें कि एससी-एसटी आयोग (SC-ST Commission) के उपाध्यक्ष रामनरेश पासवान की तरफ से गत एक फरवरी को शासन में शिकायत की गई थी कि अभिलेखों में धोखाधड़ी करके रूबी प्रसाद पुत्री सुबोध सिंह निवासी वसुदेवा, समस्तीपुर, बिहार ने अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिया है। इसको लेकर राज्य स्तरीय स्क्रूटनी कमेटी की तरफ से मामले की सुनवाई और जांच प्रक्रिया अपनाई गई। दुद्धी तहसीलदार और सतर्कता प्रकोष्ठ की टीम भेजकर मौके की भी स्थिति जंचवाने का दावा किया गया। 18 अप्रैल को कमेटी की हुई आखिरी बैठक में प्रमाण पत्र को फर्जी करार दिया गया।


कमेटी के निर्णय के क्रम में समाज कल्याण अनुभाग एक के अनुसचिव अशोक कुमार यादव की तरफ से डीएम, समाज कल्याण अधिकारी, एसडीएम दुद्धी, तहसीलदार दुद्धी सहित अन्य को पत्र भेजकर बताया गया कि राज्य स्तरीय कमेटी ने जाति प्रमाण पत्र को निरस्त करने की संस्तुति की है। उसे निरस्त करते हुए अन्य विधिक कार्रवाई की जाए। वहीं पूर्व विधायक रूबी प्रसाद का कहना था कि आरोप झूठे हैं। उनका कहना कि एकपक्षीय तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की गई है। जिन तथ्यों को आधार बनाया गया है, उस पर उन्हें सुनवाई का मौका ही नहीं दिया गया।

हाईकोर्ट में रूबी ने दाखिल कर रखी है याचिका, पक्षकारों से मांगा गया है जवाब, दंडात्मक कार्रवाई पर लगाई गई है रोक

बताते हैं कि रूबी प्रसाद ने, राज्य स्तरीय स्कूटनी कमेटी के निर्णय और उसके आधार पर दिए गए निर्देश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति चंद्र कुमार राय की बेंच ने नौ जून को मामले की सुनवाई की।

याची के अधिवक्ता का तर्क था कि मामले में शिकायतकर्ता यूपी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष हैं। याचिकाकर्ता के खिलाफ विधानसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे। मामले को लेकर जिला स्तरीय समिति सुनवाई कर रही थी लेकिन उपाध्यक्ष बनने के तुरंत बाद शिकायत कर्ता ने अपीलीय क्षेत्राधिकार का प्रयोग करने वाली राज्य स्तरीय समिति के समक्ष एक शिकायत की और राज्य स्तरीय समिति ने अधिकारिता से परे जाकर आक्षेपित आदेश पारित कर दिया। इस पर मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने पक्षकारों को नोटिस जारी करने के साथ ही, सुनवाई की अगली तिथि 11 जुलाई मुकर्रर की और तब तक के लिए संबंधित आदेश के अनुसरण में कोई दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी। इसको लेकर पूर्व विधायक खेमा कभी राहत महसूस कर रहा था।



पेंशन को लेकर विशेष सचिव के तरफ से दिए गए निर्देश

वहीं इस बीच 21 जून को शासन के विशेष सचिव रजनीश चंद्र ने प्रमुख सचिव विधानसभा सचिवालय को भेजे गए पत्र भेज ने एक बार फिर से हड़कंप की स्थिति उत्पन्न कर दी। भेजे गए पत्र में निर्देशित किया गया है कि अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र के आधार पर रूबी प्रसाद 2012 से 2017 तक विधायक रहीं। जांचोपरांत उनका जाति प्रमाणपत्र फर्जी पाया गया। उपरोक्त को दृष्टिगत रखते हुए रूबी प्रसाद को देय पेंशन के संबंध में अग्रेतर कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। बृहस्पतिवार को सरकारी प्रवक्ता की तरफ से इस आदेश की पुष्टि की गई।

Shashi kant gautam

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