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बेल मिलने के 24 घंटे के अंदर फिर से जेल गए पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति, जानें क्यों ?
लखनऊ: सपा सरकार के कद्दावर कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति को मंगलवार (25 अप्रैल) को गैंगरेप मामले में जमानत मिलने की खबर मिलते ही योगी सरकार बुधवार (26 अप्रैल) को हरकत में आई। सरकार ने प्रजापति की जेल से रिहाई से पहले ही उनकी दो अलग-अलग मुकदमों में ज्यूडिशल कस्टडी की मांग की। जिसके बाद कोर्ट ने गायत्री को गैंगरेप केस में रिहाई से पहले ही उनको फिर से दूसरे मुकदमों में ज्यूडिशल कस्टडी में जेल भेज दिया।
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गायत्री को मंगलवार को विशेष जज ओम प्रकाश मिश्रा द्वितीय की कोर्ट से बेल मिलने के बाद चारों ओर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। सरकार तुरंत सक्रिय हुई और गायत्री के खिलाफ शिंकजा कसने की तैयारी कर ली गई। सुबह कोर्ट खुलते ही गायत्री के खिलाफ दर्ज अन्य दो मुकदमों के विवेचक कोर्ट पहुंच गए और अलग-अलग कोर्ट में अर्जियां पेश कर उन मामलों में भी गायत्री की कस्टडी लेने की मांग की। कोर्ट ने एक मामले में 9 मई तो दूसरे मामले में 10 मई तक गायत्री को ज्यूडिशल कस्टडी में लेकर जेल भेज दिया। ज्यूडिशल रिमांड पर सुनवाई के दौरान गायत्री जेल से कोर्ट में उपस्थित थे।
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यह है पहला मामला
एसीजेएम रितीश सचदेवा ने थाना गौतमपल्ली में दर्ज धोखाधड़ी व जान माल की धमकी के मामले में मुल्जिम गायत्री को 09 मई तक के लिए ज्यूडिशल कस्टडी में जेल भेजा है। 21 मार्च 2017 को इस मामले की एफआईआर राकेश प्रजापति ने दर्ज कराई थी। जिसके मुताबिक, मेरठ के रहने वाले राकेश ने अपने ममेरे भाई आदेश की नौकरी के लिए पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री को छह लाख रुपए दिए थे, लेकिन नौकरी नहीं मिली। वादी का आरेाप है कि बाद में अपनी रकम का तगादा करने पर गायत्री ने उसके साथ गाली गलौज की और झूठे मामले में फंसाने की धमकी भी दी। इस मामले की विवेवना कर रहे एसएसआई नवेंदु शेखर अग्निहोत्री ने कोर्ट से मुल्जिम गायत्री को ज्यूडिशल कस्टडी में लेने की मांग की।
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यह है दूसरा मामला
इसके तत्काल बाद पुलिस ने थाना गोमतीनगर से संबंधित धोखाधड़ी, कूटरचना और आपराधिक षडयंत्र के एक दूसरे मामले में भी कोर्ट से गायत्री का ज्यूडिशल रिमांड हासिल किया। सीजेएम संध्या श्रीवास्तव ने इस मामले में मुल्जिम गायत्री को 10 मई तक के लिए ज्यूडिशल कस्टडी में जेल भेज दिया। 20 जून 2015 को इस मामले की एफआईआर डॉ. नूतन ठाकुर ने दर्ज कराई थी। जिसमें तत्कालीन कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति महिला मानवाधिकार आयोग की तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष जरीना उस्मानी और इसके सदस्य अशोक पांडेय समेत आठ लोगों को नामजद किया गया है। एफआईआर के मुताबिक मुल्जिमों ने आपराधिक षडयंत्र के तहत डॉ. नूतन और उनके पति अमिताभ ठाकुर के खिलाफ रेप और अन्य झूठे मामले दर्ज कराए। इसके लिए तमाम फर्जी अभिलेख भी तैयार किए गए। इस मामले के विवेचक और जघन्य अपराध इकाई के इंस्पेक्टर विनोद कुमार शर्मा ने अर्जी प्रस्तुत कर कोर्ट से मुल्जिम गायत्री को ज्यूडिशल कस्टडी में लेने की मांग की।