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समझौते के बाद गायत्री प्रसाद धोखाधड़ी के केस में हुए दोषमुक्त
लखनऊ : अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रितीश सचदेवा ने धोखाधड़ी के एक मामले में पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को दोषमुक्त कर दिया है। कोर्ट ने यह आदेश देानेां पक्षों के बीच सुलह समझौते के आधार पर पारित किया। कोर्ट ने यह आदेश इस मामले की प्राथमिकी दर्ज कराने वाले की अर्जी को स्वीकार करते हुए दिया है।
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21 मार्च, 2017 को मेरठ के राकेश प्रजापति ने थाना गौतमपल्ली में इस मामले की प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जिसके मुताबिक उसने अपने ममरे भाई की नौकरी के लिए गायत्री को 6 लाख रुपए दिए थे। लेकिन नौकरी नहीं मिली। बाद में रकम वापस मांगने पर गायत्री ने उसके साथ गाली गलौज की। झूठे मामले में फंसाने की धमकी भी दी।
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26 अप्रैल, 2017 को इस मामले में गायत्री को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था। विवेचना के बाद इस मामले में गायत्री के खिलाफ धोखाधड़ी में आरोप पत्र दाखिल हुआ।
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एक अगस्त, 2017 को राकेश प्रजापति ने अदालत में सुलह समझौते के आधार पर इस मामले की पूरी कार्यवाही समाप्त करने की अर्जी दाखिल की। कहा कि उसने गायत्री को नहीं अपितु उनके यहां कार्यरत भैरव प्रजापति को छःह लाख रुपए दिए थे। जो अब उसे प्राप्त हो चुके हैं।
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11 अगस्त, 2017 को गायत्री की ओर से भी कहा गया कि उन्हें राकेश की अर्जी पर कोई आपत्ति नहीं है। वहीं अभियोजन की ओर से कहा गया कि यह मामला दोनों पक्षों के मध्य सुलह होने योग्य है।
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लिहाजा अदालत ने सीआरपीसी की धारा 320 के तहत दाखिल राकेश प्रजापति की अर्जी स्वीकार कर ली। साथ ही इस मामले में मुल्जिम गायत्री प्रसाद प्रजापति को दोषमुक्त कर दिया।