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ढह गया बसपा का एक और मजबूत पिलर, कौन है अखिलेश यादव के PDA को धार देने वाले ये नेता?

Who is Daddu Prasad: बहुजन समाद पार्टी के कद्दावर नेता अब मायावती का साथ छोड़कर अखिलेश यादव के साथ आ रहे हैं।

Snigdha Singh
Published on: 7 April 2025 10:57 AM IST
ढह गया बसपा का एक और मजबूत पिलर, कौन है अखिलेश यादव के PDA को धार देने वाले ये नेता?
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Daddu Prasad: उत्तर प्रदेश के 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने अभी से खेल खेलना शुरू कर दिया है। इसकी शुरुआत अखिलेश यादव ने दलित वोट बैंक सेंधमारी के साथ शुरू की। सियासत में जब मायावती का सुनहरा अवसर था तो इंद्रजीत सरोज, दद्दू प्रसाद, लालजी वर्मा और सुखदेव राजभर जैसे मजबूत नेता उनके पिलर रहे। धीरे-धीरे मायावती के ये मजबूत सहारे अपनी जगह से खिसक कर सपा के साथ आ गए। इसी तरह एक फिर मायावती की पार्टी के कद्दावर नेता दद्दू प्रसाद आज पार्टी छोड़ अखिलेश यादव के साथ आने का फैसला किया है।

बहुजन समाज पार्टी की कोर टीम के नेता दद्दू प्रसाद आज समाजवादी पार्टी में शामिल हो जाएंगे। इससे अखिलेश यादव के पीडीए फॉमूले को और मजबूती मिलेगी। दरअसल, अखिलेश यादव ने बीते दिनों प्रेस कॉनफ्रेंस में बताया था कि 14 अप्रैल यानी बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जयंती पर आठ अप्रैल से घर घर अभियान चलाने जा रहे हैं। अखिलेश यादव अपने पीडीए फॉर्मूले में दलितों की हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं, जबकि सियासी जानकारों की माने तो यह दलित वोट बैंक को अपनी तरफ करने की एक सियासी चाल है। मायावती के दिग्गज नेता अब समाजवादी के पीडीए फॉर्मूले को और मजबूत करेंगे।

कौन हैं दद्दू प्रसाद

दद्दू प्रसाद, उत्तर प्रदेश की तेहरवीं, चौदहवीं और पंद्रहवीं विधानसभा में विधायक रहे। उन्होंने 2002 और 2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में चित्रकूट जिले के मानिकपुर (अ0जा0) विधानसभा क्षेत्र से बसपा की ओर से चुनाव लड़ा और तीनों बार जीत हासिल की। 1982 में दद्दू प्रसाद ने राजनीति की शुरुआत डीएस-4 (दलित शोषित समाज संघर्ष समिति) के माध्यम से की। वर्ष 2007 में उन्हें ग्राम्य विकास मंत्री और जोनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी सौंपी गई। 2012 में प्रदेश की सत्ता गंवाने के बाद, उन्हें हिमाचल प्रदेश के शिमला लोकसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई।

बहुजन समाज पार्टी के दिग्गज नेताओं इंद्रजीत सरोज, लालजी वर्मा और सुखदेव राजभर ने अपने समय के अनुसार पार्टी को छोड़ दिया। सुखदेव अपने बेटे को अखिलेश यादव की पार्टी से जोड़ गए। हरीशंकर तिवारी भी अपने बेटों और भांजे को सपा की साइकिल पर सवार कर गए। ऐसे में पूर्वांचल की राजनीति में मायावती कमजोर हो गई। ये दोनों ओबीसी और ब्राह्मण के दो बड़े चेहरे रहे। वहीं, अब ब्राह्मणों से जोड़ने के लिए मायावती ने पार्टी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्र को ज़िम्मेदारी दी हुई है। इसी तरह अब दद्दू प्रसाद भी पार्टी छोड़कर अखिलेश यादव यानी समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया।

मायावती की मुश्किल

हाल के वर्षों में बसपा का वोट शेयर और सीटें लगातार घटती गई हैं। पार्टी को अपनी रणनीति, नेतृत्व और संगठनात्मक ढांचे में सुधार की आवश्यकता है। दलित वोट बैंक में सेंध और अन्य पार्टियों के उभरते प्रभाव को देखते हुए, बसपा के लिए अपने आधार को पुनः स्थापित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

बसपा सुप्रीमो मायावती आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुटी हैं. भाजपा के प्रति मायावती का नरम रुख पार्टी के नेताओं को पसंद नहीं आ रहा है, जिससे मुस्लिम नेता बसपा छोड़ रहे हैं. यह भी कहा जाता है कि वह अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ संवाद नहीं करती हैं, जिससे पार्टी का जनाधार घट रहा है

Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh, leadership role in Newstrack. Leading the editorial desk team with ideation and news selection and also contributes with special articles and features as well. I started my journey in journalism in 2017 and has worked with leading publications such as Jagran, Hindustan and Rajasthan Patrika and served in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi during my journalistic pursuits.

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