TRENDING TAGS :
कांग्रेस छोड़कर सावित्रीबाई फुले ने बनाई खुद की पार्टी, रखा ये नाम....
भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुईं सावित्रीबाई फुले अब खुद अपनी नयी पार्टी बनाईंगी। रविवार को राजधानी के चारबाग स्थित रविन्द्रालय प्रेक्षागृह में बुलाये गये सम्मेलन में वह अपनी नयी पार्टी का ऐलान कर दी है। यह सम्मेलन नमो बुद्धाय जन सेवा समिति के तत्वावधान में हुआ।
लखनऊ: भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुईं सावित्रीबाई फुले अब खुद अपनी नयी पार्टी बनाईंगी। रविवार को राजधानी के चारबाग स्थित रविन्द्रालय प्रेक्षागृह में बुलाये गये सम्मेलन में वह अपनी नयी पार्टी का ऐलान कर दी है। यह सम्मेलन नमो बुद्धाय जन सेवा समिति के तत्वावधान में हुआ। अब कांग्रेस छोड़कर सावित्रीबाई फुले ने अपनी खुद की पार्टी बना ली है। इनकी पार्टी का नाम है कांशीराम बहुजन समाज पार्टी।
यह पढ़ें....बजट 2020:कल हलवा सेरेमनी का आयोजन, 10 दिन के लिए अधिकारी होंगे नजरबंद
सावित्रीबाई फुले 2012 से 2014 तक बहराइच की बलहा विस सीट से बीजेपी की विधायक रहीं। इसके बाद 2014 में बहराइच संसदीय सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर वह लोकसभा पहुंची। मगर बतौर बीजेपी सांसद कार्यकाल के अंतिम वर्षों में उनका बीजेपी से मोहभंग हो गया। पार्टी में रहते हुए उन्होंने बगावत की। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ही उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।
यह पढ़ें....अब मथुरा-वृंदावन में सरकार करने जा रही है ये काम, होगा अरबों खर्च
2019 का लोकसभा चुनाव बहराइच से ही उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लड़ा मगर जीत नहीं पाईं। अब उन्होंने कांग्रेस भी छोड़ दी है। कांग्रेस छोड़ने पर सावित्रीबाई फुले ने कहा कि कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी उनकी विचारधारा से सहमत नहीं हो सकीं, इसलिए उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी। उन्होंने कहा कि अब वह बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय के नारे को सार्थक करने के लिए आंदोलन का रास्ता अपनाएंगी। उन्होंने आगे कहा कि आज हमारा संविधान, हमारा आरक्षण खतरे में है।
6 की उम्र में शादी, नहीं गई ससुराल
सावित्री फुले बीजेपी कांग्रेस में दलित महिला चेहरा थीं। छह साल की उम्र में उन्हें विवाह के लिए मजबूर किया गया था, हालांकि उनकी विदाई नहीं हुई थी। बड़े होने पर उन्होंने ससुराल पक्ष वालों को बुलाकर सन्यास लेने की अपनी इच्छा बताई। फिर अपनी छोटी बहन की शादी अपने पति से कराकर वे बहराइच के जनसेवा आश्रम से जुड़ींआठवीं क्लास पास करने पर उन्हें 480 रुपये का वजीफा मिला था, जिसे स्कूल के प्रिंसिपल ने अपने पास रख लिया. इसका सावित्री ने जमकर विरोध किया। फिर स्कूल से उनका नाम काट दिया गया। यहीं से राजनीति की शुरुआत करने वाली साध्वी 2012 में बीजेपी के टिकट पर बलहा (सुरक्षित) सीट से चुनाव जीता। 2014 में उन्हें सांसद का टिकट मिला और वह देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंच गईं। वो बहुजन समाज पार्टी में रह चुकी हैं।