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पूर्व दस्यु सुंदरी लड़ेगी पंचायत चुनाव, इटावा से मांग रही वोट
इटावा के बीहड़ों में जनता के वोट लूटने वाली दस्यु सुंदरी अब जनता से हाथ जोड़कर प्रधान पद के वोट मांगते हुए दिख रही हैं।
इटावा : उत्तर प्रदेश के इटावा के बीहड़ों में कभी बंदूक उठाकर जनता के वोट लूटने वाली पूर्व दस्यु सुंदरी अब जनता से हाथ जोड़कर प्रधान पद के वोट मांगते हुए समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का कर रही प्रयास,बीहड़ में बीता बागी जीवन अब पंचायत चुनाव जीत प्रधान बनने की कोशिश में पूर्व दस्यु सुंदरी सुरेखा दिवाकर चंबल के बीहड़ के कुख्यात डकैतों में से एक पांच लाख के इनामी सलीम गुर्जर की पत्नी गाँव के पंचायत में दो-दो हाथ करने के मूड में है।
सुरेखा दिवाकर जनता का जनमत किया हासिल
इटावा चंबल के बीहड़ में खूंखार डकैत पहलवान उर्फ सलीम गुर्जर की पत्नी सुरेखा दिवाकर जनता का जनमत हासिल कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का प्रयास कर रही है। चंबल के थाना सहसों के बदनपुरा गांव की निवासी पूर्व दस्यु सुंदरी सुरेखा बताती है कि बागी जीवन के दौरान कभी भी किसी महिला एवं निर्दोष के साथ अत्याचार नहीं किया और ना ही सलीम गुर्जर के गैंग में किसी भी डकैत को करने दिया।
डाकू सलीम गुर्जर
12 मार्च 1999 को थाना सहसों के चौकीदार देवी चरण के घर मुखबिरी के शक में डाकू सलीम गुर्जर उनकी कक्षा 5 में पढ़ने वाली मासूम 13 साल की सुरेखा को अगवा करके ले गया था। सुरेखा बताती है कि जंगल में ले जाकर सलीम उर्फ पहलवान गुर्जर ने उससे शादी कर ली। बात 2004 की है। जब सुरेखा सलीम के बेटे की मां बनने वाली थी तभी मध्यप्रदेश के भिंड जिले की पुलिस और सलीम के गैंग की मुठभेड़ हो गई। गर्भवती होने के कारण सुरेखा मौके से भाग ना सकी और पुलिस के हाथ लग गई अगले ही दिन पुलिस अभिरक्षा में भिंड के जिला अस्पताल में सुरेखा ने एक बेटे को जन्म दिया।
महिला दस्यु सुंदरी डकैतों का रखने का चलन हुआ शुरू
चंबल का बीहड़ कुख्यात डकैतों निर्भय गुर्जर, सलीम गुर्जर, अरविंद गुर्जर, रामवीर गुर्जर, जगजीवन परिहार एवं फक्कड़ जैसे कुख्यात खूंखार डकैतों से भरा पड़ा था प्रत्येक गैंग में 30 से 35 डकैत हुआ करते थे उसी समय गैंग में महिला दस्यु सुंदरी डकैतों को रखने का चलन शुरू हो गया था अपने दुश्मनों के घर से उनकी बहू बेटियों को उठाकर जबरदस्ती गैंग में रखा जाता था सुरेखा उनमें से एक थी।
सुंदरी सुरेखा ने बताई यह बात
पूर्व दस्यु सुंदरी सुरेखा ने बताया कि किस तरह बागी जीवन के दौरान जब गांव में पंचायत चुनाव हुआ करते थे। तब हम सब डकैत किस तरह गांव-गांव घूमकर अपने मनमाफिक लोगों को जिताने के लिए फरमान जारी करते थे और गांव के लोगों को सख्त हिदायत दी जाती थी कि उनके चुने हुए प्रत्याशियों को वोट नहीं किया, तो उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा आपराधिक जीवन से मुक्ति पाने के बाद 14 साल जेल में बिताने के बाद नेक दिल सुरेखा को उसके अपने गांव में गांव के लोग बेहद सम्मान दे रहे हैं।
महिलाओं को सिलाई का काम सिखाने का बीड़ा भी उठाया
वहीं सुरेखा अपने बेटे एवं भाई भाभी के साथ मेहनत मजदूरी करने के साथ ही गांव की बेटियों एवं महिलाओं को सिलाई का काम सिखाने का बीड़ा भी उठाया है जिसके चलते आज गांव में अच्छी छवि बन जाने के बाद ग्रामीणों के कहने पर ग्राम पंचायत चुनाव में प्रधान पद पर दावेदारी के लिए मैदान में उतर चुकी है सुरेखा अपने बेटे सूरज को पढ़ा लिखा कर सरकारी अफसर बनाने का प्रयास कर रही है। सूरज इस समय कक्षा 5 का छात्र है मां सुरेखा केवल कक्षा 5 तक ही पढ़ सकी लेकिन अपने बेटे को प्रतिदिन अपने साथ पढ़ाने जरूर बैठती है।
बागी जीवन में सुरेखा ने 14 साल जेल में बिताए
5 साल के बागी जीवन में सुरेखा पर जालौन के उरई में 11 मुकदमें भिंड में 3 मुकदमें, एवं इटावा जनपद में आधा दर्जन से अधिक मुकदमे होने के चलते 14 साल जेल में बिताने के बाद अदालत ने सभी मुकदमो से बरी कर दिया। जेल से छूटने के बाद सुरेखा वपिस अपने घर थाना सहसो के बदनपुरा गांव मे अपने भाई भाभी के साथ अपने बेटे को लेकर रह रही है।
प्रधान पद से चुनाव लड़ना चाहती है
गुर्जर बाहुल्य गांव मे सुरेखा का एक मात्र परिवार धोबी जाति का है बावजूद उसके गांव वाले सुरेखा को बड़ा मान सम्मान देते है, और इसी मान सम्मान के बदले पूर्व दस्यु सुंदरी गांव वालों के लिए एवं अपने बेटे के लिए कुछ करने की चाहत लेकर प्रधान पद से चुनाव लड़ना चाहती है और गांव वाले भी पूरी तरह से सुरेखा के साथ खड़े दिख रहे है। अब देखने वाली बात होगी कि पूर्व दस्यु सुंदरी जो मुख्य धारा से जुड़कर गांव के विकास के लिए पंचायत चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रही है उसके हाथ कितनी सफलता लगेगी।
रिपोर्ट : उवैश चौधरी
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