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DS Chauhan: UP के पूर्व DGP बने UPCA के निदेशक, जानें कौन हैं रिटायर IPS डीएस चौहान

DS Chauhan: उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) में पहली बार किसी पुलिस अधिकारी की एंट्री हुई है। यूपीसीए के निदेशकों की बैठक में सर्वसम्मति से प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक डीएस चौहान को डायरेक्टर पैनल में शामिल किया गया है।

Krishna Chaudhary
Published on: 3 May 2023 5:09 PM IST
DS Chauhan: UP के पूर्व DGP बने UPCA के निदेशक, जानें कौन हैं रिटायर IPS डीएस चौहान
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पूर्व डीजीपी डीएस चौहान (सोशल मीडिया)

DS Chauhan: उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) में पहली बार किसी पुलिस अधिकारी की एंट्री हुई है। यूपीसीए के निदेशकों की बैठक में सर्वसम्मति से प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक डीएस चौहान को डायरेक्टर पैनल में शामिल किया गया है। अभी तक यूपीसीए में 12 निदेशक कार्यरत थे, चौहान की नियुक्ति के बाद अब इसकी संख्या बढ़कर 13 हो गई है।

पूर्व डीजीपी डीएस चौहान की नियुक्ति की जानकारी देते हुए यूपीसीए के मीडिया प्रभारी मोहम्मद तालिब ने बताया कि राजीव शुक्ला के इस्तीफा देने के बाद से पद खाली चल रहा था, जिसे सर्वसम्मति से भरा गया है। उन्होंने बताया कि यूपीसीए के 12 निदेशकों की बैठक अध्यक्ष निधिपति सिंघानिया की अध्यक्षा में संपन्न हुई। सिंघानिया इस मीटिंग से ऑनलाइन जुड़े थे।

कौन हैं पूर्व DGP डीएस चौहान

साल 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी डॉ.देवेंद्र सिंह चौहान 31 मार्च 2023 को उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक डीजीपी के पद से रिटायर हो चुके हैं। यूपी के मैनपुरी जिले से आने वाले चौहान की गिनती एक साफ-सुथरी और ईमानदार छवि रखने वाले पुलिस अधिकारियों में होती है। तीन दशक के लंबे करियर में उन्होंने कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। यही वजह है कि मई 2022 में जब तत्कालीन डीजीपी मुकल गोयल को हटाया गया था तब चौहान ही इस पद के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ की पसंद बनकर उभरे थे।

डीएस चौहान के पास डीजीपी के साथ-साथ डीजी इंटेलिजेंस और डीजी विजिलेंस का भी प्रभार था। वे नोएडा, गाजियाबाद, सहारनपुर, बुलंदशहर, आगरा, प्रतापगढ़ और रामपुर के सीनियर एसपी रह चुके हैं। वह झांसी जोन के डीआईजी और बरेली जोन के आईजी भी रह चुके हैं। वे दो बार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर साल 2006 से 2011 के बीच ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन में डीआईजी और 2016 से 2020 के बीच सीआरपीएफ में आईजी व एडीजी के पद पर तैनात रह चुके हैं।

पूर्व डीजीपी चौहान की गिनती तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों में होती रही है। 1998 में गौतमबुद्ध नगर के एसपी रहते हुए उन्होंने एक अस्पताल में चल रहे किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का खुलासा किया था। पुलिस की इस कार्रवाई ने उन्हें पूरे देश में नेम और फेम दिलाया था।

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