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26 सालों में भी पास नहीं कर सके MBBS, आखिरकार KGMU ने दिखाया बाहर रास्ता

KGMU ने 26 सालों में भी MBBS न कर पाने वालों 4 छात्रों को आखिरकार बाहर का रास्ता दिखा दिया है। चारों का दाखिला रद्द कर दिया गया है।

Archana Pandey
Published on: 31 July 2023 8:59 AM GMT
26 सालों में भी पास नहीं कर सके MBBS, आखिरकार KGMU ने दिखाया बाहर रास्ता
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KGMU (Image- Social Media)

Lucknow News: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) ने 26 सालों में भी MBBS न कर पाने वालों छात्रों को आखिरकार बाहर का रास्ता दिखा दिया है। कार्य परिषद से अनुमति मिलने के बाद ऐसे 4 छात्रों का दाखिला रद्द किया है। KGMU में पिछले साल नई नियमावली लागू की गई थी। जिसके आधार पर इतने सालों से MBBS कर रहे इन छात्रों को निकाला गया है।

उम्मीदों के साथ केजीएमसी में लिया था एडमिशन

ये चारों छात्र बड़ी ही उम्मीदों के साथ केजीएमसी में दाखिल हुए थे, लेकिन एनॉटमी, फिजियोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री में उलझ कर रह गए। फिर भी हार नहीं मानी और कोई 16 साल से तो कोई 26 साल से कॉलेज में डटा रहा। अब संस्थान को भी मजबूर होकर चार छात्रों को बाहर का रास्ता दिखाना ही पड़ा। कार्य परिषद की मुहर के बाद आखिरकार चारों का दाखिला निरस्त कर ही दिया गया।

केजीएमयू में अभी तक एमबीबीएस परीक्षा पास करने की अधिकतम अवधि निर्धारित नहीं थी। इसकी वजह से इन चाऱों छात्रों में से कोई 16 साल से, तो कोई 26 सालों से परीक्षा पास करने की कोशिश कर रहा था। लेकिन इसके बाद भी MBBS फर्स्ट ईयर के पेपर क्लीयर नहीं कर पाए।

वहीं, संस्थान भी इन छात्रों को परीक्षा पास कराने पर अड़ा हुआ था। इसी क्रम में मर्सी अटेम्प्ट और परीक्षा के अतिरिक्त मौके दिए गए, फिर भी कुछ नहीं हुआ। इनमें से सबसे पुराने छात्र ने साल 1997 में एडमिशन लिया था। दूसरे ने साल 1999, तीसरे ने 2001 और चौथे साल 2006 में एमबीबीएस एडमिशन लिया था।

लगातार चार साल फेल होने पर छोड़ना होगा संस्थान

मेडिकल यूनिवर्सिटी में पिछले साल तक ऐसे 37 छात्र थे, जो कई सालों से फेल हो रहे हैं। इन्हें देखते हुए केजीएमयू ने समिति का गठन किया था। जिसमें इन छात्रों को पास कराने के लिए विशेष कक्षाएं चलाई गई, लेकिन इससे भी कोई फायदा नहीं हुआ। ऐसे में अब कार्य परिषद ने सख्ती करनी शुरू की है। चिकित्सा आयोग के नियम के मुताबिक अब लगातार चार साल फेल होने वाले छात्रों को संस्थान छोड़ना होगा।

प्रवक्ता केजीएमयू के प्रवक्ता प्रो. सुधीर सिंह का कहना है कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता को देखते हुए निर्धारित अवधि में एमबीबीएस परीक्षा पास करने की अनिवार्यता तय कर रखी है। इसी क्रम में अब काफी पुराने इनरोलमेंट निरस्त किए जा रहे हैं।

Archana Pandey

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