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अखिलेश सरकार के चार साल: विवादों और अधूरे वादों के साथ विकास का प्रचार
लखनऊ: अखिलेश सरकार अपने चार साल पूरे होने पर 15 और 16 मार्च को प्रदेश भर में समाजवादी विकास दिवस मना रही है। देखा जाए तो बीते चार सालों में विकास का दावा करने वाली सरकार के दामन पर विवादों के दाग भी कम नही हैं और इस चुनावी साल की चुनौतियां भी, लेकिन इससे अलग सरकार अपनी उपलब्धियों पर भी इतरा रही है। मंगलवार के बाद बुधवार को भी सरकार और सरकारी मशीनरी मिलकर इसी का प्रचार करेंगी।
सीएम करेंगे बिजली आपूर्ति के किए गए वादों को पूरा करने की घोषणा
-सरकार बनने के बाद सीएम अखिलेश यादव ने अक्टूबर 2016 तक गांवों में 16 घंटे और शहरी इलाकों में 22 से 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने की घोषणा की थी।
-सरकार के चार साल पूरा होने पर सीएम बिजली आपूर्ति के किए गए अपने वादों के पूरा होने की घोषणा करेंगे।
-इस मौके पर 3712 करोड़ के बिजली उपकेंद्रों के लोकार्पण और शिलान्यास भी किया जाएगा।
मुसलमानों को आरक्षण देने के वादे पर कितना खरी उतरी सरकार
-विधानसभा चुनाव 2012 में सपा ने मुसलमानों को 18 फीसदी आरक्षण देने का वादा किया था।
-सरकार के 4 साल पूरे हो जाने के बाद भी अभी तक इस वादे को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है।
-रंगनाथ मिश्रा और सच्चर कमेटी की रिपोर्टों को भी लागू किया जाना शेष है।
सपा ने यह काम भी पूरा करने का दिया था भरोसा
-आतंकवाद के आरोप में बंद बेकसूर मुसलमानों की रिहाई।
-मदरसों में तकनीकी शिक्षा के लिए विशेष बजट आवंटित किए जाने का वादा।
-सपा ने पुलिस भर्ती में मुसलमानों के लिए विशेष प्रावधान का भी किया था वादा।
इन वादों का पूरा होना है बाकी
-सपा ने मायाराज में हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए एक आयोग बनाने की बात कही थी।
-किसानों के लिए एक आयोग का गठन किया जाना था।
-कानून-व्यवस्था के साथ स्वास्थ्य सेवाओं को विश्वस्तरीय बनाने की बात कही थी।
-यूपी में रोजगार के साथ बुनियादी सुविधाओं में बढ़ोत्तरी का वादा किया गया था।
सीएम की साफ सुथरी छवि पर बीते साल इन मुद्दों ने खड़े किए सवाल
-नोएडा अथॉरिटी में चीफ इंजीनियर रहे यादव सिंह को लेकर सरकार की हुई फजीहत।
-हाईकोर्ट ने लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अनिल यादव और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष सलिल कुमार को हटाया।
-सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और आईपीएस अमिताभ ठाकुर के बीच धमकी प्रकरण चर्चा में रहा।
-एमएलसी मनोनयन को लेकर सरकार और राजभवन रहे आमने-सामने।
-दादरी कांड बना सियासी बहस का अखाड़ा।
-लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर राजभवन से ठनी, चार बार लौटी फाइल।
-लोकायुक्त की नियुक्ति में भी सुप्रीम कोर्ट में अखिलेश सरकार को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा।
-कानून व्यवस्था के साथ अफसरों और मंत्रियों के कामों को लेकर विपक्ष हमलावर रहा।
प्रचार-प्रसार की यह है योजना
-75 सीनियर आईएएस ऑफिसर्स को एक-एक जनपद के कामों की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी दी गई।
-पांच मार्च तक डीएम, एसपी और सीडीओ के साथ कमिश्नर की बैठक होगी।
-सात मार्च तक डीएम की विभागीय अधिकारियों और खंड विकास अधिकारियों के साथ बैठक होगी।
-खंड विकास अधिकारी माइक्रो प्लान तैयार करेंगे, जिसके नोडल अधिकारी सीडीओ होंगे।
-हर जिले के लिए राजनीतिक प्रतिनिधि नामित किए जाएंगे।
-14 मार्च से लेकर 16 मार्च तक सीनियर आईएएस ऑफिसर जिलों में रहेंगे और प्रबंध की मॉनिटरिंग करेंगे।
-15 और 16 मार्च को विकास खंड स्तर पर स्थानीय विधायक या अन्य जनप्रतिनिधि कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे।
-15 मार्च को ही जिला स्तर पर 500 लाभार्थियों की भागीदारी वाला एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
-इसकी अध्यक्षता सपा से नामित राजनीतिक प्रतिनिधि करेगा।