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जौनपुर: निलंबित चल रहे तीन सहायक अध्यापकों की सेवा समाप्त

Shivakant Shukla
Published on: 29 Aug 2018 1:27 PM IST
जौनपुर: निलंबित चल रहे तीन सहायक अध्यापकों की सेवा समाप्त
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जौनपुर: जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने पूर्व में निलंबित चल रहे तीन सहायक अध्यापकों की सेवा समाप्त कर दिया है। बता दें कि अलग अलग विद्यालयों पर तैनात तीनों शिक्षकों में दो बीएड के फर्जी अंकपत्र के सहारे नौकरी कर रहे थे जबकि एक शिक्षक नियमों के खिलाफ अनुकंपा के आधार पर नौकरी हासिल कर ली थी। बर्खास्तगी के बाद बेसिक शिक्षा विभाग इन तीनों से अब वेतन रिकवरी की तैयारी कर रहा है।

क्या है पूरा मामला

डा. भीम राव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के बीएड सत्र 2004-05 के अंकपत्र के सहारे प्रदेश के विभिन्न जिलों के प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्ति पाने वाले शिक्षकों के बीएड के अंक पत्र फर्जी होने की शिकायत पर अपर पुलिस अधीक्षक विशेष अनुसंधान दल उत्तर प्रदेश ने जांच की थी। उन्होंने महाविद्यालय वार सम्पूर्ण सूचनाओं का चार्ट फर्जी एवं टेंम्पर्ड छात्रों की नामवार सूची तैयार कर शासन को सौंपी थी।

शासन को सौंपी गई एक्सेल सीट के क्रमांक 3061 पर कुलदीप वर्मा पुत्र बदन सिंह और क्रमांक 803 पर संतोष कुमार शर्मा पुत्र हरिप्रसाद शर्मा का नाम अंकित है। इनके खिलाफ एएसपी विशेष अनुसंधान दल उत्तर प्रदेश की ओर से धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया है।

एफआईआर दर्ज होने के बाद सचिव बेसिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद के 12 अक्तूबर 2017 को दिए गए निर्देश के क्रम में कुलदीप वर्मा सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय कादीपुर विकास खंड सुइथाकला और संतोष कुमार शर्मा सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय गोधुआ विकास खंड मुंगराबादशाहपुर को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जौनपुर कार्यालय से 16 नवंबर 2017 को निलंबित किया गया था। दोनों शिक्षकों ने अपने पक्ष में कोई साक्ष्य कार्यालय में प्रस्तुत नहीं कर सके। दोनों की सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई।

तीसरा मामला

तीसरा मामला नगर क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय हैदरपुर का है। यहां तैनात सहायक अध्यापक अब्दुल वारी खां की भी सेवा समाप्त कर दी गई। उनके खिलाफ जन सुनवाई पोर्टल पर किसी ने शिकायत की थी कि उन्होंने नियम कानून के खिलाफ मां की मौत के बाद मृतक आश्रित के रूप में नौकरी हासिल कर ली है। शिकायत के बाद बेसिक शिक्षा विभाग के वित्त एवं लेखाधिकारी नंदकुमार कुरील ने जांच की।

जांच में पता चला कि अब्दुल वारी खां के पिता अब्दुल जब्बार खां और उनकी मांता उम्मतुन्निशा दोनों बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी कर रहे थे। मां उम्मतुन्निशा की मौत के बाद 31 दिसंबर 2009 को अब्दुलवारी की नियुक्ति सहायक अध्यापक के पद पर अनुकंपा के आधार पर हुई थी।

चार सितंबर 2000 की नियमावली के मुताबिक जब पति पत्नी दोनों राज्य सरकार या केंद्र सरकार या फिर निगम के किसी कार्यालय में नौकरी कर रहे हों तो सेवा काल में उनकी मौत होने पर अनुकंपा के आधार पर उनके किसी आश्रित को नौकरी नहीं दी जा सकती। वित्त एवं लेखाधिकारी ने जांच रिपोर्ट 27 अगस्त को बीएसए को सौंपी। बीएसए ने अब्दुलवारी की भी सेवा समाप्त कर कर दी।

Shivakant Shukla

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