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Sonbhadra News: एआरटीओ दफ्तर से जुड़ा हुआ था फर्जीवाड़े का रैकेट, गिरफ्तार हुए दो आरोपियों का सनसनीखेज खुलासा

Sonbhadra News: ओवरलोडिंग तथा अवैध परिवहन में बंद कराए गए वाहनों को फर्जी रिलीज आर्डर पर छुड़ाने के मामले में चोपन पुलिस ने इस मामले में बुधवार को दो आरोपियों को दबोच लिया।

Kaushlendra Pandey
Published on: 11 Jan 2023 1:09 PM GMT
Two arrested in Sonbhadra for releasing vehicles stopped in overloading and illegal transportation on fake release orders
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सोनभद्र: ओवरलोडिंग तथा अवैध परिवहन में बंद कराए गए वाहनों को फर्जी रिलीज आर्डर पर छुड़ाने के मामले में दो गिरफ्तार

Sonbhadra News: ओवरलोडिंग तथा अवैध परिवहन में बंद कराए गए वाहनों को फर्जी रिलीज आर्डर पर छुड़ाने के बहुचर्चित मामले में गिरफ्तारी का दौर शुरू हो गया है। चोपन पुलिस ने इस मामले में बुधवार को दो आरोपियों को दबोच लिया। पूछताछ में जहां आरोपियों ने तत्कालीन एआरटीओ के संज्ञान में फर्जी रिलीज आर्डर पर गाड़ियां छोड़े जाने की जानकारी दी है। वहीं डिस्पैच रजिस्टर के जरिए होने वाले खेल को लेकर भी बड़ा खुलासा किया है। पूछताछ के बाद दोनों आरोपियों का धारा 419, 420, 467, 468, 409, 120बी आईपीसी के तहत न्यायालय के लिए चालान कर दिया गया। उधर, पुलिस की कार्रवाई से परिवहन महकमे में हड़कंप की स्थिति बनी रही। बताया जा रहा है कि मामले में सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय के दो बाबुओं की भी संलिप्तता सामने आए हैं। फिलहाल दोनों कार्यालय से नदारद बताए जा रहे हैं।

उच्चाधिकारियों ने लिया संज्ञान तब 56 वाहनों की दर्ज कराई गई एफआईआर

बताते चलें कि पिछले वर्ष 20 जुलाई को थानों में बंद वाहनों को छोड़े जाने का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया था। विभागीय जांच में जहां तात्कालिक तौर पर 138 वाहनों को फर्जी रिलीज आर्डर पर छोड़े जाने की पुष्टि हुई थी। वहीं 56 वाहनों के मामले में चोपन, विंढमगंज, हाथीनाला और म्योरपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। हालांकि तात्कालिक तौर पर 286 से अधिक वाहनों को फर्जी रिलीज आर्डर पर छोड़े जाने की बात सामने आई थी लेकिन अगस्त से लेकर अब तक जहां, प्रकरण की कराई जा रही विस्तृत जांच अधर में लटकी हुई है। वहीं कई मामलों को बाद में, सरकारी कोष में धनराशि जमा कराकर मैनेज करने की चर्चा है। इसको देखते हुए तत्कालीन एआरटीओ के अलावा दूसरे अधिकारियों को भी इसके लपेटे में आने की आशंका जताई जाने लगी है।

रिलीज आर्डर फार्म भरते थे आरोपी, कार्यालय करता था डिस्पैच

मामले की छानबीन कर रहे प्रभारी निरीक्षक लक्ष्मण पर्वत की अगुवाई वाली टीम ने बुधवार को जैसे ही दबिश देकर अजीत कुमार मिश्रा पुत्र स्व. दशरथ निवासी नई बस्ती उरमौरा, थाना राबटर्सगंज तथा विजेंद्र कुमार उर्फ गुड्डू पुत्र स्व. दामोदर सिंह निवासी नई बस्ती अरौली, चुर्क, थाना राबटर्सगंज की गिरफ्तारी की। वैसे ही परिवहन महकमे में हड़कंप मच गया। चोपन थाने लाकर दोनों आरोपियों से पूछताछ की गई। इस दौरान थाने में बंद गाड़ि़यां न केवल एआरटीओ के संज्ञान में फर्जी रिलीज आर्डर पर छोड़े जाने की जानकारी दी गई बल्कि इस बात का भी खुलासा किया गया कि उनका कार्यालय में अक्सर आना-जाना बना रहता था। आरोपियों का दावा है कि रिलीज आर्डर उनसे जरूर भरवाए जाते थे लेकिन उसके डिस्पैच आदि का काम कार्यालय द्वारा संपादित किया जाता था। रिलीज आर्डर पर एआरटीओ के दस्तखत होने के बाद उन्हें बताया जाता था कि इसे कहां पहुंचाना है। उसके हिसाब से वह रिलीज आर्डर संबंधित जगह पहुंचा देते थे।

संज्ञान में आने के बाद भी बना दिया गया फर्जीवाड़े का रिकार्ड

आरोपियों ने पूछताछ में पुलिस को जो जानकारियां दी हैं, उसके मुताबिक नवंबर 2021 में ही फर्जीवाड़े के चार केस सामने आए थे लेकिन तत्कालीन एआरटीओ ने इस पर कोई एक्शन लेना जरूरी नहीं समझा। जनवरी-फरवरी 2022 में फर्जीवाड़े का रिकार्ड ही बना दिया गया। जून में जाकर उच्चाधिकारियों के संज्ञान में बात आई लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कागजी खेल चलता रहा। 20 जुलाई 2022 को जब मामला मीडिया की सुर्खियां बना। तब 30 जुलाई से एफआईआर की कार्रवाई शुरू की गई। वह भी 56 वाहनों तक ले जाकर रोक दी गई।

कार्यालय में चलता था दबदबा, साहब के माने जाते थे खासमखास

लोगों के बीच हो रही चर्चाओं पर यकीन करें तो आरोपियों से गहनता से पूछताछ हुई तो कैश का भी बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। चर्चा यहां तक की कैशबुक में कटिंग और हेराफेरी का खेल तो खेला ही गया है, कंप्यूटर की हार्डडिस्क में स्टोर कई डाटा भी, बगैर उच्चाधिकारियों के अनुमति के डिलीट कर दिए गए हैं। चर्चाओं की मानें तो जो दोनों आरोपी पुलिस के हत्थे चढ़े हैं, उनकी लंबे समय तक एआरटीओ दफ्तर में हनक बनी हुई थी।

कार्यालय के भीतर मौजूद कंप्यूटर पर उन्हें कई बार काम करते तो देखा ही गया था, वाहन रिलीज आर्डर भरने से लेकर पकड़ी गई गाड़ियों को छुड़वाने में भी अहम भूमिका मानी जाती थी। अब चूंकि दोनों पुलिस के हत्थे चढ़ गए हैं और पूछताछ में उन्होंने कार्यालय की जिस तरह से संलिप्तता उजागर की है। उससे माना जा रहा है कि बाहर से लेकर परिवहन विभाग में अंदर तक बैठा फर्जीवाड़े का एक बड़ा सिंडीकेट सामने आ सकता है।

Shashi kant gautam

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