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मुंह के कैंसर में असरदार है फ्री फ्लैप सर्जरी, नहीं बिगड़ता चेहरे का शेप

मुंह के कैंसर का न सिर्फ तकलीफदेह है, बल्कि इलाज के बाद पीड़ित का चेहरा बिगड़ जाता है और देखने भयावह लगता है। इतना ही नहीं इलाज के बाद भी मरीज खाने-पीने और कुछ भी चबाने के लिए पहले की तरह सामान्य तरिका नहीं अपना सकता। लेकिन तमाम शोध और प्रयोगों के बाद अब ऐसी तकनीक आई है जिससे पहले से कम कष्टप्रद इलाज संभव हो गया है और इलाज के बाद मरीज का चेहरा फिर से पुराने शेप में लाया जा सकता है।

priyankajoshi
Published on: 7 Feb 2018 5:27 PM IST
मुंह के कैंसर में असरदार है फ्री फ्लैप सर्जरी, नहीं बिगड़ता चेहरे का शेप
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लखनऊ: मुंह के कैंसर का न सिर्फ तकलीफदेह है, बल्कि इलाज के बाद पीड़ित का चेहरा बिगड़ जाता है और देखने भयावह लगता है। इतना ही नहीं इलाज के बाद भी मरीज खाने-पीने और कुछ भी चबाने के लिए पहले की तरह सामान्य तरिका नहीं अपना सकता। लेकिन तमाम शोध और प्रयोगों के बाद अब ऐसी तकनीक आई है जिससे पहले से कम कष्टप्रद इलाज संभव हो गया है और इलाज के बाद मरीज का चेहरा फिर से पुराने शेप में लाया जा सकता है।

बुधवार को यह जानकारी गुड़गांव के मेदांता मेडिसिटी हॉस्पिटल के हेड एंड नेक ऑन्कोलॉजी विभाग के हेड डॉ. दीपक सरीन ने दी।

क्या है फ्री फ्लैप सर्जरी

डॉ. दीपक सरीन ने बताया की फ्री फ्लैप सर्जरी में पैर की हड्डी, मांस और खून की नालियों को प्रभावित चेहरे के आकार में काटकर चेहरे से जोड़ दिया जाता है। इसके लिए अब 3डी तकनीक के आधार पर मरीज के चेहरे की डमी बनाई जाती है और इलाज के बाद उसे उसी जगह जोड़ दिया जाता है। साथ ही खून की नलियों को फिर से जोड़ दिया जाता है जिससे लगाया गया चेहरा फिर से पहले की तरह फंक्शन करने लगे। डॉ. सरीन ने बताया सर्जरी, रेडिएशन और दवाइयों के बाद अब कैंसर का इलाज पहले से ज्यादा आसान और अफोर्डेबल हो गया है।

शुरुआत में नहीं आते मरीज

डॉ. सरीन ने बताया कि भारत पूरी दुनिया में मुंह के कैंसर की राजधानी है। इस समय तम्बाकू की वजह से दुनिया के 80% फीसदी मरीज भारत के हैं। क्योंकि यहां लोग कैंसर की शुरुआत में नहीं आ पाते। कैंसर जब दूसरे या तीसरे स्टेज पर पहुंच जाता है तभी लोग डॉक्टर के पास पहुंचते हैं। जिससे इलाज में मुश्किल होती है इलाज और महंगा होता चला जाता है। डॉक्टर दीपक सरीन ने बताया की शुरुआत में ही अगर इलाज शुरू किया जाए तो 90 फीसदी मामलों में इलाज संभव है वह भी कम परेशानी और कम पैसे में। इसलिए लोगों को इंतज़ार नहीं करना चाहिए और समय से डॉक्टर के पास पहुंचना चाहिए।

ऐसे करें कैंसर की शुरुआती पहचान

-मुंह या गले में छाला 3 हफ्ते से ज्यादा।

-मुंह या गले में गांठ हो जाए।

-मुंह या गले में गांठ हो और दर्द हो।

-गरदन में गांठ हो जाए।

-मुंह में सफ़ेद चकत्ते हो और ठीक न हो।

इनसे होता है कैंसर

-सबसे ज्यादा तम्बाकू से कैंसर होता है

-अलकोहल से यह तेजी से बढ़ता है

-एचपीवी इन्फ़ेक्सन

-संक्रमित वायरस से सम्पर्क होने पर

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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