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गंगा प्रदूषण मामला : सुनवाई 22 फरवरी को- कोर्ट ने विभिन्न मुद्दों पर दिये आदेशों पर मांगी रिपोर्ट

हाईकोर्ट ने कहा है कि गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने की मांग को लेकर विचाराधीन जनहित याचिका पर 2006 से अब तक विभिन्न मुद्दों पर पारित आदेशों को अलग से सुनवाई करना जरूरी है। कोर्ट ने इलाहाबाद विकास प्राधिकरण के अधिवक्ता को मूल पत्रावली का निरीक्षणकर समय समय पर पारित आदेशों के तहत भिन्न बिन्दुओं पर रिपोर्ट तैयार करने की छूट दी है ताकि अलग अलग बिन्दुओं पर अलग से सुनवाई की जा सके।

Anoop Ojha
Published on: 23 Jan 2019 4:51 PM GMT
गंगा प्रदूषण मामला : सुनवाई 22 फरवरी को- कोर्ट ने विभिन्न मुद्दों पर दिये आदेशों पर मांगी रिपोर्ट
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प्रयागराज: हाईकोर्ट ने कहा है कि गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने की मांग को लेकर विचाराधीन जनहित याचिका पर 2006 से अब तक विभिन्न मुद्दों पर पारित आदेशों को अलग से सुनवाई करना जरूरी है। कोर्ट ने इलाहाबाद विकास प्राधिकरण के अधिवक्ता को मूल पत्रावली का निरीक्षणकर समय समय पर पारित आदेशों के तहत भिन्न बिन्दुओं पर रिपोर्ट तैयार करने की छूट दी है ताकि अलग अलग बिन्दुओं पर अलग से सुनवाई की जा सके।

कोर्ट ने महानिबंधक कार्यालय को ए.डी.ए. के अधिवक्ता व सहयोगी अधिवक्ता को याचिका की पत्रावली का निरीक्षण करने की अनुमति देने को कहा है। यह कार्यवाही तीन हफ्ते में पूरी करने का भी आदेश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 22 फरवरी को होगी।

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यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति सी.डी.सिंह की खण्डपीठ ने गंगा प्रदूषण को लेकर विचाराधीन जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता वी.सी.श्रीवास्तव, विजय कुमार राय, भारत सरकार के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी व अपर मुख्य अधिवक्ता सुधांशु श्रीवास्तव ने बहस की।

कोर्ट ने कहा कि गंगा नदी की सफाई के मुद्दे पर गंगा की पवित्रता कायम रखने, सीवेज सिस्टम तैयार करने, गंगा प्रदूषित पानी गंगा में जाने से रोकने, गंगा किनारे के उद्योगों को बंद करने जिसमें कानपुर जाजमऊ के चर्म उद्योग भी शामिल हैं। सीवेज ट्रीटमेंट प्लाट लगाने गंगा किनारे निर्माण पर रोक लगाने जैसे कई मुद्दारें को लेकर आदेश पारित किये गये हैं। जिनकी अलग अलग सुनवाई किये जाने की जरूरत है।

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याचिका पर कंपनी द्वारा दूषित पानी न छोड़ने के बावजूद कुम्भ मेले में बंद रखने पर आपत्ति की गयी। गंगा के उच्चतम बाढ़ बिन्दु से 500 मीटर तक निर्माण पर रोक लगाने के मामले पर भी आपत्ति की गयी। यह कहा गया कि सौ मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। गंगा प्रदूषण के लिए ग्रीन ट्रिब्यूनल को सुनवाई का क्षेत्राधिकार है। इसलिए याचिका अधिकरण में स्थानान्तरित की जाए। याची के अधिवक्ता ने इसका विरोध किया। मामले की सुनवाई 22 फरवरी को होगी।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

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