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महामना के श्री गंगा सभा हरिद्वार में महिलाओं के मुद्दे पर छिड़ी जंग

Anoop Ojha
Published on: 25 July 2018 8:59 AM GMT
महामना के श्री गंगा सभा हरिद्वार में महिलाओं के मुद्दे पर छिड़ी जंग
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लखनऊ: महामना मदनमोहन मालवीय द्वारा स्थापित श्री गंगा सभा हरिद्वार में महिलाओं की भागीदारी को लेकर जंग छिड़ गयी है। इस संस्था के संविधान के मुताबिक़ इसमें महिलाओं की सहभागिता संभव नहीं है जबकि संस्था से जुड़े कुछ लोग इसमें महिलाओं को भी शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं। श्री गंगा सभा के महामंत्री रामकुमार मिश्रा सभा के संविधान में संशोधन की पैरवी कर रहे हैं जबकि सभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम शर्मा इसे परंपरा के विपरीत बताते हुए खुलकर विरोध में उतर आए हैं।

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श्री गंगा सभा में कोई महिला सदस्य नहीं

इस समय श्री गंगा सभा की महत्ती सभा में तकरीबन 2500 सदस्य हैं, जबकि प्रधान सभा में यह संख्या 900 के आसपास है। इनमें महिला सदस्य एक भी नहीं। इसके पीछे श्री गंगा सभा के संविधान और परंपराओं को माना जा रहा है। श्री गंगा सभा के वर्तमान संविधान के मुताबिक़ संस्था के सदस्यों के परिवारों की महिलाओं को भी न तो सभा के किसी पद पर चुनाव लडऩे का अधिकार है न ही मतदान करने का। यहां तक कि उन्हें विभिन्न समितियों में भी नामित नहीं किया जा सकता है। हरकी पैड़ी के महिला घाट की व्यवस्थाओं से संबंधित मामलों की समिति में भी किसी महिला को शामिल करने का विधान नहीं है।

महामना ने 1916 में स्थापित किया था श्रीगंगा सभा

इसको समझने के लिए श्री गंगा सभा के इतिहास पर दृष्टिपात करना जरुरी लगता है। बात 1914 की है। उस समय तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के नहर विभाग ने गंगा नदी पर बांध बनाने की योजना बनाई थी। हरिद्वार के लोग इस कदम को आस्था के विरुद्ध मान रहे थे। उस समय महामना पं. मदन मोहन मालवीय के नेतृत्व में इसके विरुद्ध जनआंदोलन खड़ा हो गया। सरकार को झुकना पड़ा और तय हुआ कि गंगा की धारा को अविरल बनाए रखने और तीर्थ की मर्यादा को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए हरकी पैड़ी से एक मील नीचे तक कोई बांध नहीं बनाया जाएगा। इस घटना के बाद पं. मालवीय ने हरिद्वार के स्थानीय तीर्थ पुरोहित समाज और संतों के सहयोग से 1916 में श्री गंगा सभा (रजि.) हरिद्वार की स्थापना की ताकि हिंदू हितों का संरक्षण किया जा सके। हरकी पैड़ी पर विश्व विख्यात गंगा आरती का आयोजन भी भारतरत्न पं. मालवीय द्वारा ही 1916 में शुरू किया गया था।

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महिलाओ की भागीदारी के लिए कोर्ट जा रहा एक पक्ष

बताया जा रहा है कि 102 वर्ष पुराने श्री गंगा सभा के प्रारूप व संविधान में महिलाओं को सदस्य बनाए जाने का कोई प्रावधान नहीं है। अब संस्था के संविधान में संशोधन कर इसके दरवाजे महिलाओं के लिए खोलने की मांग को लेकर एक पक्ष कोर्ट का रुख करने जा रहा है। वहीं दूसरा पक्ष कह रहा है कि वह इसका विरोध करेगा। विरोध कर रहे पक्ष का तर्क है कि जब अन्य धार्मिक संस्थाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व नहीं है तो श्री गंगा सभा में इसकी क्या जरूरत है। दूसरा पक्ष कह रहा है कि यहां गंगा स्नान और गंगा आरती के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। इनमें महिलाओं की संख्या भी खासी होती है। श्री गंगा सभा में महिलाओं को भागीदारी दिए जाने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि यदि महिलाएं भी इसमें शामिल होंगी तो तीर्थ क्षेत्र में आने वाली महिला श्रद्धालुओं के लिए बेहतर प्रबंधन में वे सहायक हो सकेंगी।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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