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खेल नहरों की सफाई का : मेरठ में गंगनहर के बंद होते ही रेत माफिया कर रहे खनन
ब्यूरो
मेरठ। मेरठ और आसपास के जिलों में नहर बंद होते ही रेत माफिया सक्रिय हो गए हैं। गंगनहर से दिन-रात ठेलियों के माध्यम से रेत निकाल कर बुग्गी और ट्रैक्टर-ट्रलियों में भरकर बेचा जा रही है। रेत माफिया रात में खनन कर रहे हैं। दिन होने से पहले ही निकाले गए रेत को ठिकाने लगा दिया जाता है। शासन के तमाम कड़े निर्देशों के बावजूद न तो सिंचाई विभाग के अफसर गंभीर हैं और न पुलिस। सिंचाई विभाग हर वर्ष गंग नहर की सफाई के नाम पर 20 से 25 दिन तक गंग नहर में पानी रोक देता है। नहर के बंद होते ही रेत माफिया अपना काम शुरू कर देते हैं और यह सिलसिला साल दर साल चलता है। प्रशासन नहर में रेत खनन न होने देने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी करता है, लेकिन रेत माफिया को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि कोई रोक टोक होती ही नहीं है।
गंग नहर बंद होने का इंतजार पूरे साल रेत खनन माफिया करते है। गंग नहर बंद होते ही रात-दिन लगातार खनन होता है। रेत खनन को लेकर माफियाओं में टकराव की स्थिति भी रहती है। सिखेड़ा, काटका, चितौड़ा, जौली, नंगला बुजुर्ग में खनन माफिया में संघर्ष की कई घटनाएं हो चुकी हैं। रेत खनन होने से गंग नहर की आंतरिक संरचना और किनारे खराब हो जाते हैं जिससे नहर में कटान की स्थिति पैदा होती है। खनन रोकने के लिये लिए विभागीय टीमों का गठन किया जाता है, मगर राजनीतिक संरक्षण प्राप्त माफिया के आगे सब हथियार डाले रहते हैं।
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नहर की निगरानी में पुलिस की कई पिकेट तैनात रहती है। कई बार ऐसे मौके आये हैं जब पुलिसकर्मियों की संलिप्ता को देखते हुए उन्हें निलंबित किया गया। इस साल अभी तक एक दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी रेत खनन में संदिग्ध भूमिका के कारण निलंबित हो चुके हैं। कस्बे में नहर से रेत लाने वाले बुग्गी चालकों ने बताया कि रात में नहर पर कुछ दबंग रेत खनन करने वालों से 100 रुपए प्रति बुग्गी व 500 रुपए प्रति ट्राली के हिसाब से वसूल करते हैं। जो भी इन लोगों को पैसे नहीं देता है उसे पुलिस से पकड़वा दिया जाता है।
नहरों की सफाई के लिए शासन द्वारा काफी बजट भी जारी किया जाता है। ऐसे में नहर सफाई के नाम पर जहां सरकारी खजाने की सफाई हो रही है। वहीं विभागीय अधिकारी, ठेकेदार और माफियाओं की चांदी हो रही है। मेरठ, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद,सहारनपुर में मिट्टी और रेत खनन की शिकायतें कमिश्नर और डीएम से भी की गई हैं। लेकिन अभी तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई है।
सिंचाई विभाग की मेरठ, गाजियाबाद और हापुड़ जनपद की 750 किमी की नहर, माइनर और रजबहों की सफाई का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। शासन ने 330 किमी नहर, रजबहे और माइनरों की सफाई का प्रस्ताव पास किया। इसके बाद दशहरे पर नहर बंद कराकर ठेकेदारों से सफाई कार्य शुरू कराया गया। इनमें कुछ रजबहों को मनरेगा के तहत साफ कराने का आदेश दिया गया है। वहीं बाकी जेसीबी से साफ कराए जाने हैं। सिंचाई विभाग के के अनुसार मेरठ में ही 125 किमी की नहर, रजबहे और माइनरों की सफाई चल रही है।