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Garima Greh for UP Transgenders: ट्रांसजेंडरों के लिए बनेंगे गरिमा गृह, अब की जाएगी गिनती

Garima Greh for UP Transgenders: ट्रासंजेडरों को मूलभूत सुविधाए देने के लिए राज्य सरकार ने एक बड़े बजट का प्रस्ताव पहले ही कर दिया है। इसमें 25 करोड़ शिक्षा के क्षेत्र में खर्च किया जाएगा।

Shreedhar Agnihotri
Written By Shreedhar AgnihotriPublished By Monika
Published on: 25 April 2022 12:59 PM IST
Garima Grih for Transgenders
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ट्रांसजेंडरों के लिए बनेगे गरिमा गृह (फोटो: सोशल मीडिया)

Garima Greh for UP Transgenders: यूपी में उत्तर प्रदेश किन्नर बोर्ड के गठन के बाद प्रदेश की योगी सरकार (CM Yogi) अब ट्रांसजेंडरों की जनसंख्या (Transgenders Population in UP) का पता लगाएगी। इसके लिए समाज कल्याण विभाग को निर्देश दिए गए हैं। ट्रांसजेंडरों की संख्या की सही जानकारी हो जाने के बाद योजनाओं के क्रियान्वयन में आसानी हो सकेगी। साथ ही शिक्षा पुर्नवास और मूलभूत जरूरतों को पूरा करने में सुविधा रहेगी।

इसके साथ ही बुजुर्ग हो चुके ट्रांसजेडरों के लिए आवास बनाए जाएगें। वृद्वाश्रम की तर्ज पर बनाए जाने वाले इन आवासीय कॉलोनियों को गरिमा गृह (Garima Grih) कहा जाएगा। वहीं दूसरी तरफ ट्रासंजेडरों को मूलभूत सुविधाए देने के लिए राज्य सरकार ने एक बड़े बजट का प्रस्ताव पहले ही कर दिया है। इसमें 25 करोड़ शिक्षा के क्षेत्र में खर्च किया जाएगा।

विभागीय सूत्रों का कहना है कि ट्रासंजेंडरो की पहचान के लिए आधार कार्ड बनाया जाएगा। साथ ही उनका पंजीकरण भी किया जाएगा। राज्य सरकार की मंशा ट्रांसजेंडरों को गरिमामयी जीवन देने की है। जिससे उन्हे समाज में सम्मान मिल सके।

किन्नरों की संख्या लगभग डेढ लाख के आसपास

बता दें कि एक अनुमान के अनुसार उत्तर प्रदेश में ट्रांसजेंडरों यानी किन्नरों की संख्या लगभग डेढ लाख के आसपास है। इसलिए इन्हे समाज से जोड़ने की मांग काफी दिनों से की जा रही थी। किन्नरों की यह पुरानी मांग थी कि समाज के अन्य वर्गाे की तरह ही उन्हे भी शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य समेत सभी सुविधाए मिलनी चाहिए। किन्नर समाज से जुड़ी संस्थाएं यह भी मांग करती आ रही हैं कि उन्हे सबसे ज्यादा पुलिस उत्पीड़न का सामना आए दिन करना पडता है। पर किन्नर कल्याण बोर्ड के गठन से उन्हे इससे मुक्ति मिल सकेगी।

अंतिम संस्कार के लिए भी अलग से व्यवस्था

दरअसल, किन्नर समाज की एक बड़ी समस्या उनकी मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार की भी होती है। इस समाज का कहना है कि हमारे समाज में किसी के निधन के बाद उसके अंतिम संस्कार के लिए भी अलग से व्यवस्था होनी चाहिए। उनका कहना है कि भले ही मरने वाला हिन्दू समाज का हो पर उसे दफनाया ही जाता है वह भी रात के अंधेरे में इसलिए हमे भी दाह संस्कार की सुविधा मिलनी चाहिए।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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