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सीएम सर, ऐसी हैं डगरवाहा के मजरा रामगढ़ की गौशाला
जिले में गोवंश के नाम पर कई गौशालाओं के फर्जीवाड़े के खुलासे होने शुरू हो गए हैं।
झांसी। जिले में गोवंश के नाम पर कई गौशालाओं के फर्जीवाड़े के खुलासे होने शुरू हो गए हैं। गोशाला के नाम पर सालाना लाखों रुपयों का अनुदान राज्य सरकार और केंद्र सरकार की योजनाओं के माध्यम से उठाया गया, लेकिन धरातल पर गोवंश के लिए कोई भी व्यवस्था दिखाई नहीं दे रही है। ऐसे में गोवंश संरक्षण के नाम पर संचालित डगरवाहा के मजरा स्थित रामगढ़ की गौशाला में बड़ा घपला सामने आया है। यह गौशाला टपरा बनाकर चलाई जा रही हैं जबकि एक भी गाय वहां पर नहीं है।
तस्करी के दौरान पकड़े गए व खुले में घूम रहे मवेशियों को एक साथ रखने के लिए गौ-सेवा आयोग की ओर से प्रदेश भर में गौ शालाएं बनाई गई है। इसके लिए सरकारी जमीन मुहैया कराकर उनके खान-पान की व्यवस्था भी की। जिले में इसी तरह के कई गौ शालाएं हैं। इन्हें सरकार की ओर से हर माह हजारों रुपये का अनुदान मिले भी। बताते हैं कि गौशाला के लिए 20 लाख और पानी की टंकी निर्माण के लिए 25 लाख रुपया दिया गया है। यह रुपया कहां गया। इसका पता नहीं। वहां पर न तो गौशाला है और न ही पानी की टंकी। यह पैसा ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) के अंतर्गत जारी किया गया था। बताते हैं कि मनरेगा/ चतुर्थ/14 वां वित्त आयोग योजनान्तर्गत कन्वजैन्स हेतु कार्य योजना वर्ष 2019-2020 में जारी गई थी।
रामगढ़ निवासी घनश्याम ने बताया कि अप्रैल 2019 में गौशाला खोली गई थी। इसके लिए शासन ने पैसा मुहैया कराया था मगर न तो गौशाला चालू की गई है और न ही गौशाला बनाई गई है। टपरे बनाकर गौशाला बनाई गई है। यहां पर अभी तक एक भी जानवर नहीं लाया गया। कुछ जानवर आए भी तो वह कुछ दिन बाद मृत हो गए थे। मगर इन्हें दूसरे स्थानों पर फेंक दिया था। इसी तरह पानी की टंकी बनाने के लिए 25 लाख रुपया मुहैया कराया गया, मगर पैसा कहां गया यह तो ग्राम पंचायत विकास अधिकारी व ग्राम प्रधान बता सकते हैं।
गौशाला चालू, जानवर कहां
गौशाला में गायों को रखा जाता है मगर डगरवाहा स्थित रामगढ़ मजरा में गौशाला टपरे में चल रही हैं लेकिन एक भी गाय नहीं है। गाय कहां गई किसी को नहीं पता। इनका हिसाब-किताब भी नहीं। गौशाला चलाने के लिए नियम हैं। अनुमित के लिए कम से कम दर्जनों मवेशियों का होना जरूरी है। यहां एक गाय के पीछे सरकार हर रोज रुपया देती है, पैसा आता भी है लेकिन गाय कहां है। इसका अभी तक प्रशासनिक अधिकारी ने निरीक्षण तक नहीं किया है। इस पूरे मामले में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी की भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध है।
कागजों में गायों का दर्शाते हुए उठा रहे हैं अनुदान
डगरवाहा के मजरा रामगढ़ में गौशाला का संचालन हो रहा है। संचालकों ने कागजों में गायों को दर्शाते हुए लाखों रुपये का फर्जी तरीके से अनुदान उठा भी लिया। ऐसे में हर वर्ष विभाग की टीमों से जो भौतिक सत्यापन करवाया जाता है, उस पर भी सवाल उठ रहे हैं।
चारे के लिए दिए जाते हैं 60 हजार रुपये
गौशाला में गायों के चारे के लिए शासन द्वारा तीन माह के लिए साठ हजार रुपया दिया जाता हैं मगर जब गाय गौशाला में नहीं है तो चारे के लिए दी जा रही राशि कहां गई। गायों को दिए जाने वाले भूसा को बेच देने का भी आरोप है।
तीन कर्मचारियों की लगाई जाती हैं ड्यूटी
डगरवाहा के मजरा रामगढ़ में गौशाला के नाम पर तीन लोगों का स्टॉफ रखा गया है। इनमें मात्र दो लोग ही काम करते हैं। वह टपरे वाली गौशाला में बैठ जाते हैं। इसके बाद शाम होते ही घर वापस चल जाते हैं। प्रत्येक कर्मचारी को तीन हजार रुपया वेतन दिया जाता है। इन कर्मचारियों की डयूटी आवारा पशुओं की देखरेख के लिए भी लगाई जाती है।