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रत्नों का खेल: रंगों का मेल और जिंदगी के रंग

raghvendra
Published on: 28 Feb 2018 11:38 AM IST
रत्नों का खेल: रंगों का मेल और जिंदगी के रंग
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रामकृष्ण बाजपेयी

होली के रंग जिंदगी के रंगों में ऐसे घुल मिल जाते हैं कि पता ही नहीं चलता कि होली का रंग ज्यादा गाढ़ा है या जिंदगी का। हर होली पर हम सबकी कोशिश यही रहती है कि होली का रंग जिंदगी के रंग से ज्यादा गाढ़ा होकर कुछ ऐसा चढ़े कि कम से कम एक साल इसी रंग की मस्ती में गुजर जाए। बात रंगों की है तो सुख समृद्धि और खुशहाली के रंग भी इससे जुड़ जाते हैं। लोगों के लिए खास रंगों का खास महत्व रहता है। बहुत से लोग तो हर दिन के हिसाब से खास रंग वाले कपड़े या नग पहनने लगते हैं। उन्हें उम्मीद होती है कि यह रंग उनकी जिंदगी में रंगत लाएगा। रंग का रंगत से इसलिए भी रिश्ता है क्योंकि जिंदगी में रंगत लाने वाले ग्रह भी बारह होते हैं और रंग भी बारह होते हैं। शायद ही कोई हो जो जिंदगी में रंग चढ़ाने के लिए बेताब न हो।

लाल रंग का रिश्ता मंगल से है तो पीला रंग बृहस्पति का माना जाता है। चंद्रमा और शुक्र के लिए सफेद तो बुध के लिए हरा। शनि के लिए काले रंग तो राहू के लिए कत्थई रंग के रत्न पहनने की सलाह मिलती है। सप्ताह के विभिन्न दिन इन्हीं ग्रहों के पसंदीदा रंग के कपड़े पहनने की भी रवायत है। खारिज चाहे कोई कितना करे पर यह पोशीदा सच है कि हर नामचीन इस पर अमल करता है। इसके लिए अगर सिर्फ उनकी उंगलियों पर नजर टिकाई जाए तो जाना जा सकता है कि ग्रहों के खेल को वह रंगों और रत्नों से कैसे नियंत्रित करते हैं। इन ग्रहों के रंगों और रत्नों को नमस्कार का कितना चमत्कार इनकी जिंदगी में होता है,ये तो वे ही बता सकते हैं।

नेताओं को नगीनों का सहारा

कुछ लोग इन्हीं रंगों में किसी को एक, दो या तीन रंगों को गाढ़ा या हल्का करने के लिए उसके पत्थर को ठोस रूप में नगों के जरिये धारण कराकर जिंदगी को उस रंग में रंग देते हैं। अब देखिये रंगों के इस खेल में कौन-कौन सी हस्तियां हैं। इनमें चोटी के नेता भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अक्सर दो अंगूठियां पहने दिखते रहे हैं। जिसमें एक मोती होता था और दूसरा गोमेद। उनकी अंगूठियां बदलती रही हैं, लेकिन उनकी मंत्रिपरिषद के आधे से अधिक मंत्री नगों के रंगों पर यकीन करते हैं और इसके जरिये अपनी जिंदगी के रंगों को संवारने में लगे रहते हैं और नगों के रंग अपनी ताकत का एहसास कराते रहते हैं। इसीलिए बाकी सभी लोग भी किसी खास रंग के जरिये में अपनी जिंदगी को कलरफुल बनाना चाहते हैं।

गले में भी पहनते हैं रत्न

अब जिसने उंगलियों में नग धारण किए हैं उनके नगों के रंग तो नजर आ जाते हैं और सबको पता चल जाते हैं। लेकिन तमाम ऐसे भी हैं जो गले में नगों को धारण किए रहते हैं और ये नग प्रत्यक्ष नजर नहीं आते हैं। जैसे अमर सिंह ने एक बार एक टीवी चैनल के शो में अपने कुर्ते के बटन खोलकर गले में पड़े ढेर सारे ताबीज यंत्र दिखाते हुए कहा था मैं तो सबको मानता हूं। जो भी मौलवी, पंडित, पादरी जो कुछ रक्षा के लिए दे देता है, उसे पहन लेता हूं। सवाल यह भी उठ सकता है कि पावरफुल मंत्री नये भारत की तस्वीर तैयार कर रहे हैं या फिर उनके नगीने। नगीनों के जरिये कोई अपने मातहतों पर पकड़ मजबूत करना चाहता है तो कोई इनके सहारे अपना कद बढ़ाना चाहता है। साठ साल से ऊपर के इन मंत्रियों की इच्छाएं न भरी हैं न भरेंगी, जनता की तकदीर इन्हीं नगीनों के जरिये गढ़ी जाएगी और तब नगीनों के रंग देश की तकदीर का रंग बन जाएंगे।

नगों के जरिये पा रहे मजबूती

ताकतवर नेता अमित शाह हों या राजनाथ सिंह, सभी नगों के जरिये अपनी मजबूती का दम भरते नजर आते हैं। अरुण जेटली नग के जरिये देश की अर्थव्यवस्था को रंग देते दिखते हैं तो गडकरी देश के विकास की इबारत को नग के जरिये रंग दे रहे हैं। गडकरी गनमेटल व अगाटे को पहनते हैं। केंद्रीय मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा नवरत्न के जरिये सांख्यिकी और कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करते नजर आते हैं। डा. हर्षवर्धन ‘कैट्स आई’ के जरिये देश के स्वास्थ्य को सुधार रहे हैं। वहीं हरसिमरत कौर पन्ना पहनकर खाद्य और प्रसंस्करण में हरियाली लाती दिखती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख सचिव नृपेंद्र मिश्र भी लाल मूंगा पहनते हैं। राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचने वाले प्रणव मुखर्जी भी लाल मूंगा पहना करते थे। राधामोहन सिंह पीला पुखराज धारण करते हैं और देश की कृषि को उन्नत कर रहे हैं।

केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान पुखराज और हीरा दोनों का सहारे लिए हुए हैं। केंद्रीय संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद भी पुखराज और मूंगे के सहारे दिन संवार रहे हैं। सुषमा स्वराज और साध्वी उमा भारती की तकदीर का रास्ता एक अदद नीलम बुलंद किए हुए है। कलराज मिश्र भी बड़ा पुखराज पहनते हैं। गोपीनाथ मुंडे भी भारीभरकम पुखराज पहना करते थे। सालों तक लोगों के दिलों पर राज करने वाली हेमामालिनी को मोती पर भरोसा हैं। लालू प्रसाद यादव भी नगों व ज्योतिषियों के मुरीद रहे हैं। मुलायम सिंह यादव भी नगों पर भरोसा करते रहे हैं। पं. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तीन अंगुलियों में अंगूठियों के जरिये सितारा बुलंद किए हुए हैं।

प्रमुख उद्योगपतियों में डालमिया दो अंगूठी पहनते हैं। लक्ष्मी मित्तल नीलम पहनते हैं। टेक्नोक्रेट सैम पित्रोदा भी तीन अंगूठियां पहना करते थे। विजय माल्या के हाथों में भी तमाम कीमती नगीने रहते हैं। नीता अम्बानी एमराल्ड व एक हार पहनती हैं।

बॉलीवुड के दिग्गज भी लेते हैं सहारा

नगों के जरिये संसार गढऩे या हासिल करने की चाह में और भी तमाम नामीगिरामी हस्तियां शामिल हैं। इनमें प्रसिद्ध सितारवादक रविशंकर व क्रिकेटर सुनील गावस्कर भी शामिल हैं। फिल्म अभिनेता-अभिनेत्रियों में अमिताभ बच्चन सहित उनका पूरा कुनबा नगों के रंगों में यकीन करने वालों में शामिल हैं। अन्य में अजय देवगन तीन अंगूठी पहनते हैं। फराह खान भी नग के मोह से दूर नहीं हैं। गोविंदा तो दोनों हाथों में नग पहनते हैं। कैटरीना तीन नग पहनती हैं। सुप्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर मजबूत नग पहनती हैं। एआर रहमान तीन अंगूठियां पहनते हैं। शिल्पा शेट्टी का पन्ना बहुत मजबूत है। सलमान खान का ब्रेसलेट भी पावरफुल है।

कुल मिलाकर हमारी-आपकी रोजमर्रा की जिंदगी में रंगों का असर रहता है। कोई रंग माफिक आता है कोई नहीं, लेकिन रंग का असर तो रहता ही है। हम खुद भी रंगों के आकर्षण में घिरे रहते हैं। इसलिए रंगों में खुद को इतना रंगिये कि जिंदगी के रंगों में निखार आ जाए और जिंदगी खुशहाल हो जाए।

शक्ति का रंग लाल

आइए तुलसीदास की बातों का मर्म समझते हैं। तुलसीदास को मन के रंग पढऩा आता था। वे आपके मन में क्या इच्छा है उसे भी जानते थे और उन्होंने उसे पाने का रास्ता भी बताया। तुलसीदास राम भक्त थे और हनुमान भी रामभक्त। लेकिन हनुमान के पास बल था। तुलसीदास ने शक्ति का रंग लाल तय कर दिया। लाल देह लाली लसै। अरुधरि लाल लंगूर। वज्र देह दानव दलन, जय-जय-जय कपि शूर। अब शक्ति पानी है तो खूब खेलिये लाल रंग। ऐसा रंगिये की हनुमान जी की तरह लाल हो जाए। लाल रंग में रंगे हुए हनुमान अष्टसिद्धि नव निधियों के दाता हैं। पाइये इसी तरह आठों सिद्धियों और नौ निधियों का खजाना। इसी के लिए हम सारी जिंदगी संघर्ष करते हैं।

लग्न के स्वामी ग्रह व उनके रंग

मेष का स्वामी- मंगल, लाल

वृष का स्वामी-शुक्र, सफेद

मिथुन का स्वामी-बुध, हरा

कर्क का स्वामी-चन्द्रमा, सफेद

सिंह का स्वामी-सूर्य, लाल, नारंगी व सुनहरा

कन्या का स्वामी-बुध, हरा

तुला का स्वामी-शुक्र, सफेद

वृश्चिक का स्वामी-मंगल, लाल

धनु का स्वामी- गुरु, पीला

मकर का स्वामी-शनि, काला व नीला

कुम्भ का स्वामी-शनि, काला व नीला

मीन का स्वामी- गुरु, पीला

राहू का रंग काला

केतु का चितकबरा

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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