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आसान नहीं राम मंदिर का निर्माण: अब होगी गर्भगृह की मिट्टी की जांच- ट्रस्ट महासचिव
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट' के महासचिव चंपत राय का कहना है कि मंदिर के लिए प्रस्तावित गर्भगृह की भूमि की मिट्टी का पहले परीक्षण कराया जाएगा और उसके बाद ही शिलान्यास होगा।
अयोध्या अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट' के महासचिव चंपत राय का कहना है कि मंदिर के लिए प्रस्तावित गर्भगृह की भूमि की मिट्टी का पहले परीक्षण कराया जाएगा और उसके बाद ही शिलान्यास होगा।
'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट' के पास प्रस्तावित मंदिर के मॉडल के आकार को विस्तार देने के लिए कई तरह के सुझाव आ रहे हैं। लेकिन ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) एवं राम जन्मभूमि न्यास के मॉडल के अनुरूप ही मंदिर का निर्माण होना चाहिए।
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मंदिर को भव्य रूप देने और आकार बढ़ाने के सुझाव पर महासचिव ने कहा कि रामजन्मभूमि न्यास की ओर से प्रस्तावित मॉडल के अनुरूप ही मंदिर का निर्माण होना चाहिए। राम जन्मभूमि पर गगनचुंबी मंदिर के न्यास के प्रस्तावित मॉडल को खारिज किया जाना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का निर्माण उसी मॉडल पर किया जाना चाहिए जो तीन दशकों से समाज के मानसपटल पर अंकित है और कार्यशाला में उसी के अनुरूप पत्थरों का तराशने का काम चल रहा है।
भूमि पूजन या शिलान्यास की तारीख
मॉडल में बदलाव से राम मंदिर निर्माण में काफी समय लगेगा। प्रस्तावित राम मंदिर पर भूमि पूजन या शिलान्यास की तारीख के बारे में महासचिव ने कहा कि सबसे पहले पुरातात्विक और स्थापत्य कला के विशेषज्ञ, इंजीनियर एक साथ बैठेंगे और भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा से विचार विमर्श करेंगे। एक पहलू यह भी है कि जहां गर्भगृह बनना है, उस भूमि की मिट्टी का परीक्षण होगा और उसके बाद ही शिलान्यास संभावित है। उन्होंने कहा कि वैसे भी मंदिर का शिलान्यास तो 1989 में कामेश्वर चौपाल ने कर दिया था, जो तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य भी बनाए गए हैं। हालांकि नए सिरे से निर्माण से पहले पूजन की परंपरा रही है और इन सभी विषयों पर ट्रस्ट की बैठक में चर्चा होगी और फैसला होगा।
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पुजारी की योग्यता व आम लोगों से दान
प्रस्तावित मंदिर के पुजारी की योग्यता, वर्ग जैसे विषयों पर उठ रहे सवालों पर कहा, ‘रामलला का अर्चक (पुजारी) रामानंदीय परंपरा का, मंत्रों का ज्ञाता, सुशिक्षित और सभ्य होना चाहिए। मंदिर का पुजारी योग्यता देखकर तय किया जाएगा और पुजारी वही होगा जो रामानंद परम्परा को बेहतर जनता होगा। जो प्रकांड होगा। पुजारी की नियुक्ति में किसी जाति को महत्व नहीं दिया जायेगा। प्रस्तावित मंदिर के निर्माण के लिये क्या आम लोगों से दान स्वीकार किया जायेगा और इसकी रूपरेखा क्या होगी, इस सवाल पर उन्होंने कहा, ‘धन के बारे में कोई विचार नहीं किया गया है। ट्रस्ट का बैंक खाता भारतीय स्टेट बैक की अयोध्या शाखा में खोला जायेगा। किन्हीं दो सदस्यों के हस्ताक्षर से खाता संचालित किया जाना है।