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खतरे के निशान से 55 सेमी ऊपर पहुंची घाघरा, कई इलाकों में अलर्ट जारी

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Published on: 6 Aug 2017 9:08 AM GMT
खतरे के निशान से 55 सेमी ऊपर पहुंची घाघरा, कई इलाकों में अलर्ट जारी
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बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी और गोंडा सीमा से बहने वाली घाघरा नदी में नेपाल से छोड़ा गया बाढ़ का पानी अब और लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। लगभग ढाई लाख क्यूसिक पानी नेपाल द्वारा घाघरा नदी में छोड़े जाने के बाद इलाके में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है।

बाराबंकी जिलाधिकारी अखिलेश तिवारी द्वारा सभी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रो में एसडीएम से लेकर लेखपाल तक मौजूद रहने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। हालांकि जिलाधिकारी का ये भी कहना है की कभी घाघरा नदी खतरे से ऊपर जा रही है, तो कभी नीचे आ जा रही है। लेकिन मौजूदा समय में घाघरा खतरे के निशान से करीबन 55 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है, जिसकी चपेट में करीबन आधा दर्जन से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं।

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में नेपाल नदियों द्वारा घाघरा नदी में छोड़ा गया पानी अब बाढ़ पीड़ितों के लिए और मुसीबत बनता जा रहा है। दरअसल लगातार नेपाल द्वारा बाराबंकी और गोंडा सीमा से गुजरने वाली घाघरा नदी में पहाड़ों पर हो रही बारिश का पानी छोड़े जाने के चलते घाघरा खतरे के निशान से करीबन 55 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है, जिसके बाद बाराबंकी जिला प्रशासन ने बाढ़ के हालात देखते हुए 13 नावें और बढ़ा दी हैं।

जानकारी के अनुसार दो दिन पूर्व मवेशियों के लिए चारा लेने गए एक किशोर की बाढ़ की लहरों ने उसे मौत की नींद सुला दी। एक तरफ जहां देश में राखी के त्योहार मनाने की तैयारियां चल रही हैं, वहीं बाराबंकी के घाघरा नदी के आसपास बसे लोग अपने आशियाने को बाढ़ में डूबता देख आंसू बहा रहे हैं। जिलाधिकारी बाराबंकी अखिलेश तिवारी ने बताया नेपाल द्वारा पानी घाघरा नदी में छोड़े जाने से लगातार बाढ़ के हालात बिगड़ रहे हैं।

आगे की स्लाइड में जानिए बाढ़ पीड़ितों की कहानी

बाढ़ प्रभावित इलाकों में सुरक्षा और बाढ़ पीड़ितों के लिए जिला प्रशासन पूरी तैयारी करने भले ही कर रहा हो, लेकिन सच्चाई ये है की बाढ़ पीड़ित मजबूर होकर तमाम समस्यावों का सामना कर रहे हैं। बाराबंकी के तहसील सिरौलीगौसपुर के नाउन पुरवा, चरपुरवा, नयापुरवा, बेहटा व रायपुर मांझा गावों में बाढ़ का पानी और बढ़ गया है।

इन गावों के लोग भले ही बंधे पर गुजर बसर कर रहे हो, लेकिन इनके और इनके जानवरों के लिए जिंदगी चलाना दुश्वार हो गया है। एक तरफ जहां बाढ़ पीड़ितों के लिए एक वक्त की रोटी का जुगाड़ करना मुश्किल हो रहा है, वहीं बंधे पर लगी घास भी अब नहीं बची है, जिससे जानवरों के लिए चारे की ब्वस्था करना बाढ़ पीड़ितों के लिए लोहे के चने चबाने से कुछ कम नहीं लग रहा है।

वहीं तहसील सिरौलीगौसपुर व रामसनेहीघाट के परसावल, नैपुरा, कमियार, कोयलावर गढ़ी , टिकरी ,गनौली , व किठूरी गावों में कहर बरपा रही है सड़कों पर कई फिट ऊपर तक पानी भरने से इन गावों के लोगो को आवागमन में काफी दिक्कते आ रही है उधर रामनगर तहसील के जमका खुज्जी व कंचना पुर और तहसील सिरौलीगौसपुर के मलदहा, अतसुईया, कोठरी गोरिया, सहित दर्जनों गावों में कटान तेज हो गयी है। बाढ़ प्रभावित गांव बेहटा की महिला ग्राम प्रधान भी इससे अछूती नहीं है। ग्रामीणों के साथ-साथ प्रधान सुधा भी घाघरा की तबाही से बेहाल है हालांकि निडर होकर वो आज भी गांव के किनारे रह रही हैं।

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